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क्या इस्लामिक स्टेट का अगला निशाना पेरिस ओलंपिक है! अक्सर हाई-प्रोफाइल इवेंट बनते रहे आतंकियों का टारगेट

अगले महीने पेरिस में होने जा रहे ओलंपिक पर भी इस्लामिक स्टेट के हमलों का खतरा है. हाल के महीनों में मॉस्को से लेकर दुनिया के कई हिस्सों में जो अटैक हुए, उनसे साफ है कि इस्लामिक स्टेट (ISIS) एक बार फिर मजबूत हो रहा है. इसका सीधा असर फिलहाल पेरिस पर हो सकता है, जहां महीनेभर बाद ओलंपिक का आयोजन होने जा रहा है.

इस्लामिक स्टेट अक्सर मेगा इवेंट्स पर निशाना साधता रहा. (Getty Images) इस्लामिक स्टेट अक्सर मेगा इवेंट्स पर निशाना साधता रहा. (Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 जून 2024,
  • अपडेटेड 3:42 PM IST

साल 2017 में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) का सफाया होने के साथ ही लगा कि दुनिया को इस्लामिक चरमपंथियों के आतंक से लगभग मुक्ति मिल गई, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बीते कुछ समय में कई हमले हुए, जिनकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस ने ली. ये वहीं टैररिस्ट गुट है, जिसने मॉस्को में कंसर्ट हॉल पर अटैक किया था, जिसमें लगभग डेढ़ सौ मौतें हुईं. कल्चरल या स्पोर्ट इवेंट हमेशा ही आतंकियों के फेवरेट टारगेट रहे. 

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कब-कब हुए स्पोर्ट इवेंट पर हमले

- साल 1972 में म्यूनिख ओलंपिक गेम्स के दौरान फिलीस्तीनी आतंकवादी गुट ब्लैक सेप्टेंबर ने 11 इजरायली खिलाड़ियों को बंदी बना लिया था. 

- जर्मनी और फ्रांस के बीच साल 2015 में हुए फुटबॉल मैच के दौरान सुसाइड बॉम्बर ने मैदान में घुसना चाहा, इस दौरान 4 मौतें हुईं. 

- साल 2013 में बोस्टन मैराथन के दौरान आतंकियों ने फिनिश लाइन के पास विस्फोट कर दिया, जिसमें कई मौतें के अलावा ढाई सौ लोग घायल हुए थे. 

- अटलांटा ओलंपिक के दौरान साल 1996 में हुए आतंकी हमले में दो लोग मारे गए, जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए. 

अक्सर टैररिस्ट गुट बड़े आयोजनों पर अटैक करते हैं. जैसे पिछले साल अक्टूबर में हमास ने इजरायली म्यूजिक कंसर्ट पर अटैक किया था. स्पोर्ट एक्टिविटी के दौरान भी टैरर अटैक होते रहे. इस्लामिक स्टेट से लेकर अलकायदा जैसे किसी भी आतंकवादी संगठन का ये मुख्य टारगेट रहते आए. इसकी वजह भी है. 

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आतंकवादी क्यों करते हैं इवेंट्स पर हमला

- स्पोर्ट इवेंट के दौरान हमला करने पर दुनियाभर में उनका खौफ बढ़ता है. साथ ही मीडिया अटेंशन भी जमकर मिलता है, जो उनका मकसद है. इससे टैरर फंडिंग और मिलिटेंट्स की खोज आसान हो जाती है.

- इवेंट जितना बड़ा होगा, हमले से जानमाल के नुकसान का भी डर उतना ही बड़ा रहेगा. जिंदा बचे लोगों में भी आतंकियों का डर बैठ जाता है. 

- हाई-प्रोफाइल इवेंट पर हमला करने से होस्ट देश की इकनॉमी पर असर पड़ता है. अगर किसी देश में बार-बार हमले हों, तो वहां बाकी देश नहीं जाना चाहते, जिससे अर्थव्यवस्था चरमराती है. 

- ये अटैक इंटरनेशनल प्रेशर बनाते हैं. आतंकी अगर कोई खास चीज चाहते हों तो वे हमले के बाद मैसेज के जरिए ये डिमांड उठाते और धमकाते हैं. 

पेरिस ओलंपिक पर हमले की आशंका कितनी गहरी?

अप्रैल में इस्लामिक स्टेट खुरासान ने एक वीडियो जारी करते हुए साल 2015 के पेरिस आतंकवाद को दोबारा जिंदा करने को कहा था. बता दें कि उस साल शहर के अलग-अलग जगहों पर हुए ब्लास्ट में 130 से ज्यादा जानें गईं तथा 350 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. बहुतों को घेरकर गोली भी मारी गई थी. कंसर्ट हॉल के अलावा स्टेडियम पर भी अटैक हुआ था. अब आईएसआईएस इसे ही दोहराने की बात कर रहा है. पेरिस में जल्द ही ओलंपिक होने जा रहा है, जो अपने में बेहद हाई-प्रोफाइल मौका है. जाहिर तौर पर ऐसे में उसपर सबसे पहला खतरा हो सकता है. 

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हालांकि साल 2015 के हमले से फिलहाल के हालातों की तुलना उतनी सही नहीं. वो इस्लामिक स्टेट का दौर था. उसके पास मिलिटेंट भी थे, और भरपूर फंडिंग भी. फिलहाल इस्लामिक स्टेट या तो अफ्रीका में पैसे जुटाने में लगा हुआ था, या फिर अफगानिस्तान में आईएस खुरासान नाम से धीरे-धीरे बढ़ रहा है.  

क्या है ISIS खुरासान? 

यह इस्लामिक स्टेट का ही हिस्सा है, जिसे अफगानिस्तान-पाकिस्तान के आतंकवादी चलाते हैं. इसका मुख्यालय अफगानिस्तान के नांगरहार राज्य में है जो पाकिस्तान के बेहद नजदीक है. नया होने की वजह से ये आसपास के देशों, जैसे तजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, किर्गिस्तान पर ज्यादा फोकस कर रहा है. 

सीधा हमला न कर पाने पर अपनाता है ये तरीका

इस्लामिक स्टेट पैसों की तंगी होने पर अलग तरीके भी अपनाता रहा है. अंदेशा जताया जा रहा है कि वो पेरिस ओलंपिक के दौरान भी ऐसा कर सकता है. जैसे, साल 2010 में अलकायदा ने एक कार्गो प्लेन में बम प्लांट कर दिया. बम हालांकि फेल हो गया, लेकिन डरी हुई अमेरिकी सरकार ने एयरप्लेन सिक्योरिटी पर खरबों रुपए फूंक दिए.

बाद में अलकायदा ने इसका मजाक बनाते हुए कहा था कि अमेरिका को चूना लगाने का उनका मकसद पूरा हुआ. हो सकता है कि इस्लामिक स्टेट जानबूझकर डर पैदा कर रहा हो ताकि फ्रांस को इकनॉमिक नुकसान हो. 

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पेरिस ओलंपिक में कैसी होगी सुरक्षा

स्पोर्ट मेगा-इवेंट में बहुत टाइट सुरक्षा रहती है. इसमें पुलिस या सेना की तैनाती ही नहीं होती, इंटेलिजेंस भी पहले से एक्टिव रहता है ताकि छोटी से छोटी सूचना भी छूट न जाए. द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस लगभग 45 हजार सिक्योरिटी फोर्स, 20 हजार प्राइवेट सिक्योरिटी और 15 हजार मिलिट्री की तैनाती करने जा रहा है. इतना बड़ा दस्ता इवेंट के दौरान हर दिन मौजूद रहेगा. इसमें सेंध लगाना लगभग नामुमकिन है. लेकिन इसका दूसरा पक्ष भी है. इस सारी सुरक्षा में जो पैसे खर्च होंगे, उसका भार आखिरकार सरकारी खजाने पर पड़ेगा. ये भी किसी न किसी तरह से आतंकियों का मकसद पूरा कर रहा है.

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