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संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को हुई सुरक्षा में चूक के मामले में गिरफ्तार आरोपियों को सात दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है. आरोपियों का कहना है कि वो बेरोजगारी और देश की बाकी दूसरी समस्याओं से परेशान थे.
सागर और मनोरंजन को विजिटर्स गैलरी से कूदने के बाद लोकसभा चैम्बर से ही गिरफ्तार कर लिया गया था. जबकि, नीलम और अमोल को संसद भवन के बाहर से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने विशाल नाम के आरोपी को भी गिरफ्तार किया है, जिसके यहां गुरुग्राम में ये आरोपी ठहरे हुए थे. जबकि, इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड माना जा रहा ललित झा अब भी फरार है. ललित मूल रूप से बिहार का है, लेकिन वो कोलकाता में रहता है.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए समेत आईपीसी की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है.
इंडिया टुडे ओपन सोर्स इंटेलिजेंस टीम (OSINT) ने जब इन गिरफ्तार आरोपियों की ऑनलाइन गतिविधियों का एनालिसिस किया, तो पता चला कि ये क्रातिंकारी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह से काफी प्रभावित थे.
वैचारिक झुकाव...
नीलम रानोलिया ने सोशल मीडिया पर खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताया है. उनकी सोशल मीडिया प्रोफाइल देखकर पता चलता है कि वो संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर की कट्टर फॉलोअर हैं.
नीलम कथित तौर पर कंपीटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रही है और प्रगतिशील आजाद युवा संगठन (PAYS) से जुड़ी हुई है. इस संगठन के आदर्श भगत सिंह हैं.
उनके परिवार का दावा है कि नीलम के पास MA., B.Ed और M.Ed की डिग्री है. साथ ही उन्होंने M.Phil और NET का एग्जाम भी क्लियर किया है. उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल देखने पर पता चलता है कि किसान आंदोलन, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर मुखर रहतीं हैं.
ललित झा अभी फरार है. और संसद भवन के बाहर उसने ही नीलम और अमोल का वीडियो रिकॉर्ड किया था. ललित के पास इन सभी के मोबाइल फोन भी हैं.
ललित सोशल मीडिया पर बीजेपी सरकार की नीतियों के प्रति नाराजगी जताता रहता है. जबकि, सुभाष चंद्र बोस, फिदेल कास्त्रो, चंद्रशेखर आजा और समाजवादी कवि एडम गोंडावी के विचारों को बढ़ावा देता है. दिलचस्प बात ये है कि वो स्वामी विवेकानंद और जे. कृष्णमूर्ति का भी फॉलोअर है.
वो एक गैर-रजिस्टर्ड एनजीओ साम्यवादी सुभाष सभा का महासचिव भी है. ये एनजीओ नोट पर महात्मा गांधी की जगह सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छापने की वकालत करता है.
सोशल मीडिया पर ललित अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और NATO गठबंधन की आलोचना करता है. साथ ही वो महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू की अहिंसावादी विचारों का मजाक भी उड़ाता है.
तीसरा आरोपी अमोल शिंदे स्पोर्ट्स लवर है. वो भगत सिंह का कट्टर फैन है. भगत सिंह की तस्वीर और विचारों वाली टी-शर्ट पहनता है. अपनी बाइक पर भी भगत सिंह की तस्वीर छाप रखी है.
उसके परिवार का दावा है कि वो भगवान शिव का भक्त है. वो सेना में जाना चाहता था. उसने अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल में लिखा है, 'शहीदों की शहादत को सलाम!'. महाराष्ट्र के लातूर का रहने वाल अमोल शिंदे अक्सर मुंबई भी आता-जाता रहता था.
सागर शर्मा ने अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल के बायो में खुद को 'साइलेंट वोल्कैनो' बताता है. ये उसकी इंट्रोवर्ट प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है. उसने अपनी बायो में लिखा है, 'सादा जीवन, उच्च विचार. राइटर, पोएट, फिलोसफर, एक्टर, थिंकर और आर्टिस्ट'.
महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की ओर से दिए गए संदेश भी वो सोशल मीडिया पर शेयर करता रहता है. इस घटना से पहले भी शर्मा ने एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें लिखा था, 'जीते या हारे, पर कोशिश तो जरूरी है. अब देखना ये है कि सफर कितना हसीन होगा. उम्मीद है फिर मिलेंगे.'
मैसूर का रहने वाला मनोरंजन डी. इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है. लोकसभा चैम्बर के अंदर धुआं-धुआं करने वालों में मनोरंजन भी शामिल था. मनोरंजन सोशल मीडिया पर नहीं है. वो काफी पढ़ाकू प्रवृत्ति का है. उसके पिता ने गुरिल्ला वारफेयर, बायकुला टू बैंकॉक, वाटर वॉर्स, आर्ट ऑफ वॉर और ओलिवर ट्विस्ट जैसी किताबें दिखाते हुए मनोरंजन को 'किताबी कीड़ा' बताया था.
लंबी प्लानिंग
आरोपियों की सोशल मीडिया प्रोफाइल का एनालिसिस करने पर पता चलता है कि संसद में हंगामा करने की प्लानिंग ये लोग लंबे समय से कर रहे थे. ये लोग गुपचुप तरीके से मीटिंग करते थे.
पुलिस का मानना है कि ये लोग 'भगत सिंह फैन क्लब' नाम के फेसबुक ग्रुप के जरिए मिले थे. ये लोग सिग्नल मैसेजिंग ऐप के जरिए बातचीत करते थे. पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने डेढ़ साल पहले मैसूर में एक मीटिंग की थी.
कथित तौर पर इस साल मई या जून में उनकी दूसरी मीटिंग हुई थी. सागर शर्मा ने इंस्टाग्राम पर इस साल जून के बीच में मैसूर पैलेस के सामने वाली तस्वीर अपलोड की थी. सागर ने इस साल महाराष्ट्र का दौरा भी किया था, जो अमोल शिंद का गृह राज्य है.
इनकी ऑनलाइन एक्टिविटी को गौर से देखने पर पता चलता है कि नीलम, अमोल, ललित और सागर लगातार संपर्क में थे. वो अक्सर फोटोज में एक-दूसरे को टैग करते रहते थे.
पुलिस के मुताबिक, मनोरंजन और सागर ने इस साल मार्च और जुलाई में संसद भवन की रेकी की थी. जुलाई में मॉनसून सत्र के दौरान मनोरंजन विजिटर पास लेकर अंदर भी गया था. यहां उसे पता चला कि विजिटर के जूतों की चेकिंग नहीं की जाती है. इसी का उसने फायदा उठाया और जूते में कलर स्मोक ले गया.
मकसद क्या था?
इन लोगों ने संसद भवन में इतना बड़ा हंगामा क्यों किया और इसका मकसद क्या था? ये अभी तक बहुत ज्यादा साफ नहीं हो पाया है. उनकी सोशल मीडिया पोस्ट से भी मकसद के बारे में बहुत ज्यादा पता नहीं चलता है. हालांकि, ये जरूर साफ है कि इन्होंने ये सब अपनी आवाज देश तक पहुंचाने के लिए किया.
गिरफ्तारी के बाद नीलम ने सरकार पर अड़ियल रवैये का आरोप लगाया. उसने 'तानाशाही नहीं चलेगी' के नारे भी लगाए.
नीलम और अमोल की गिरफ्तारी का वीडियो बनाकर ललित ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया. उसने ये वीडियो अपने एनजीओ पार्टनर नीलाक्ष आइच को भी भेजा था. नीलाक्ष ने इंडिया टुडे को बताया कि करीब से काम करने के बावजूद ललित ने उसे इस बारे में कुछ नहीं बताया था. ललित ने उससे कहा था कि 12 दिसंबर के बाद दिल्ली में एनजीओ का एक इवेंट है.
वीडियो भेजते हुए ललित ने नीलाक्ष को मैसेज किया था कि वो सुनिश्चित करे कि इसे अच्छा मीडिया कवरेज मिले. ललित ने नीलाक्ष को वीडियो को संभालकर रखने को भी कहा था.
14 दिसंबर को दिल्ली पुलिस ने बताया कि वो इस घटना को 'संसद पर सुनियोजित हमला' मान रही है. पुलिस ने इसे 'आतंक फैलाने की कार्रवाई' बताया है.