Advertisement

क्रिमिनल का बचना अब मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा, ये है 2250 करोड़ का मोदी सरकार का पूरा प्लान

लगातार तीसरी बार केंद्र में आई मोदी सरकार अब अपराधियों पर नकेल कसने जा रही है. मोदी सरकार ने 2,250 करोड़ रुपये की एक ऐसी योजना को मंजूरी दी है, जिससे देशभर में फॉरेंसिक जांच के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जाएगा.

अब 7 साल से ज्यादा की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच जरूरी होगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर) अब 7 साल से ज्यादा की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच जरूरी होगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2024,
  • अपडेटेड 5:59 PM IST

देश में फॉरेंसिक जांच के बुनियादी ढांचे को लेकर मोदी सरकार एक नई योजना शुरू करने जा रही है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग में इस योजना को मंजूरी दी गई. इसे 'नेशनल फॉरेंसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्हैंसमेंट स्कीम' नाम दिया गया है. इस स्कीम का प्रस्ताव गृह मंत्रालय ने रखा था.

इस योजना के जरिए अगले पांच साल में देशभर में फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी खोली जाएंगी. इस पर 22 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च होगा. इस योजना का मकसद फॉरेंसिक जांच के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है, ताकि कन्विक्शन रेट बढ़ाया जा सके और जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके.

Advertisement

सरकार ने ये फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि 1 जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं. ये कानून इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे.

ऐसे में समझते हैं कि फॉरेंसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की ये पूरी स्कीम क्या है? इससे फायदा क्या होगा? और इससे कैसे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में मदद मिलेगी?

क्या है ये पूरी योजना?

नेशनल फॉरेंसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्हैंसमेंट स्कीम यानी NFIES के जरिए अगले पांच साल में फॉरेंसिक जांच का इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया जाएगा.

इस योजना के तहत 2024-25 से 2028-29 के बीच 2,254 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च किया जाएगा. ये पूरा खर्च गृह मंत्रालय के बजट से ही होगा.

योजना के जरिए तीन बड़ी चीजें होंगी. पहली- सभी 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) बनाए जाएंगे. दूसरी- देशभर में सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब खोली जाएंगी. और तीसरी- NFSU के दिल्ली कैंपस के मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर को और ज्यादा विकसित किया जाएगा.

Advertisement

क्यों लाई गई ये योजना?

1 जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू होने जा रहे हैं.

नए कानून में किसी भी ऐसे अपराध, जिसमें 7 साल या उससे ज्यादा की सजा का प्रावधान होगा, उसमें फॉरेंसिक जांच करवाना जरूरी होगा. 

इस कारण फॉरेंसिक जांच करने वाली लैब पर वर्कलोड बढ़ने की उम्मीद है. इसे कम करने के मकसद से अगले पांच साल में देश भर में फॉरेंसिक जांच के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जाएगा.

इससे फायदा क्या होगा?

अभी देशभर में जितनी फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) हैं, वहां मेनपावर की भारी कमी है. NFSU और CFSL की स्थापना से इस कमी को दूर किया जा सकेगा. 

इसके अलावा अभी फॉरेंसिक जांच के लिए लैब भी बहुत ज्यादा नहीं हैं, इससे न सिर्फ वर्कलोड बढ़ रहा है, बल्कि पेंडिंग मामलों की संख्या भी बढ़ रही है. ज्यादा से ज्यादा लैब बनेंगी तो जांच जल्दी हो सकेगी और अदालतों में पेंडिंग मामले भी जल्द निपटाए जा सकेंगे. 

इतना ही नहीं, फॉरेंसिक जांच होने पर अपराधियों को सजा और पीड़ितों को इंसाफ भी मिल सकेगा. सरकार का लक्ष्य आपराधिक मामलों में कन्विक्शन रेट 90% तक ले जाने का है, जो बगैर फॉरेंसिक जांच के संभव नहीं है. यानी कि अब अपराधियों का बच पाना नामुमकीन हो जाएगा.

Advertisement

फॉरेंसिक जांच का अभी कैसा है इन्फ्रास्ट्रक्चर?

अभी देश में सिर्फ सात शहरों में ही सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) हैं. ये लैब दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, चंडीगढ़, गुवाहाटी, भोपाल और पुणे में हैं. यही CFSL कई राज्यों में होने वाले अपराधों की फॉरेंसिक जांच करती हैं.

CFSL के अलावा 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब (SFSL) हैं. 90 रीजनर फॉरेंसिक साइंस लैब और 529 मिनी या लोकल फॉरेंसिक साइंस लैब हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement