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कौन हैं वो 'लखपति दीदी' चंदा देवी, जिनको पीएम मोदी ने दिया चुनाव लड़ने का ऑफर

वाराणसी के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंदादेवी नाम की एक महिला से चुनाव लड़ने की बात पूछी. इस पर चंदादेवी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. ऐसे में जानते हैं कि ये चंदादेवी कौन हैं? और उन्होंने क्यों चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया?

चंदा देवी. चंदा देवी.
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 18 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:41 PM IST

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंदादेवी नाम की एक महिला को चुनाव लड़ने का ऑफर दिया. हालांकि, चंदादेवी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. 

दरअसल, वाराणसी के सेवापुरी गांव में चंदादेवी भाषण दे रही थीं. पीएम मोदी उनके भाषण से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा, 'आप तो बहुत अच्छा भाषण देती हैं, क्या आपने कभी चुनाव लड़ा है?' इस पर चंदादेवी ने इनकार कर दिया. 

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आगे पीएम मोदी ने पूछा, 'क्या चुनाव लड़ेंगी?' जवाब देते हुए चंदादेवी ने कहा, 'हमने कभी चुनाव लड़ने का नहीं सोचा है. हम आपसे ही प्रेरित होते हैं. आपके सामने खड़े होकर मैंने मंच पर दो शब्द कहे हैं, मेरे लिए यही गर्व की बात है.'

पीएम मोदी और चंदादेवी के बीच बातचीत का ये वीडियो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है. इस बीच आजतक ने चंदादेवी से बात कर उनके बारे में कई सारी बातें जानीं. बातचीत में उन्होंने ये भी बताया कि क्यों उन्होंने पीएम मोदी के इस ऑफर को ठुकरा दिया?

यहां सुनें पूरी बातचीत...

चंदादेवी कौन हैं?

35 साल की चंदादेवी रामपुर गां की रहने वालीं हैं. चंदादेवी 'लखपति दीदी' हैं. ये केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसके तहत सरकार की दो करोड़ महिलाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है. 

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चंदादेवी ने बताया कि साल 2004 में इंटर की परीक्षा पास की थी. अगले ही साल 2005 में लोकपति पटेल से उनकी शादी हो गई थी. शादी के बाद उनकी पढ़ाई छूट गई.

अभी चंदादेवी के दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी प्रिया 14 साल की है और हिंदी मीडियम से प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करती है. छोटा बेटा 8 साल का अंश है जो अभी सरकारी स्कूल में पढ़ता है. 

चंदादेवी बताती हैं कि उनके दोनों ही बच्चे पढ़ाई में होनहार हैं. उन्होंने कहा कि वो तो ज्यादा नहीं पढ़ सकीं, लेकिन चाहती हैं कि उनके बच्चे अच्छे कॉलेज में खूब पढ़ाई करें. 

उन्होंने बताया कि जब से 'राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन' के शुरुआत हुई, तब से ही उन्होंने अपने गांव में समूह अध्यक्ष के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था. पिछले महीने 19 महीने से वो बरकी गांव के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की 'बैंक सखी' हैं.

चंदादेवी बताती हैं कि वो जरूरतमंदों को लोन दिलाने से लेकर गांव की सहायता समूह की महिलाओं के लगभग 80-90 बैंक खातों को देखती हैं. उनका कहना है कि इस का मसे उनके परिवार में कोई दिक्कत नहीं है और सभी सपोर्ट करते हैं.

पीएम मोदी के ऑफर पर क्या बोलीं चंदादेवी?

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पीएम मोदी के चुनाव लड़ने के ऑफर को इनकार करने के सवाल पर चंदादेवी ने बताया कि उनके ऊपर परिवार की काफी जिम्मेदारी है. 

उन्होंने बताया कि उनकी सास की उम्र 70 साल है, जो अक्सर बीमार रहती हैं. दो बच्चे हैं. खेती-बाड़ी में भी हाथ बंटाना पड़ता है. इसलिए चुनाव नहीं लड़ सकती. उन्होंने बताया कि परिवार से दूर होकर कोई काम करना संभव नहीं है. 

उन्होंने कहा कि मैं वही काम करूंगी जो परिवार के साथ रहकर कर सकूं. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी से बात करने से पहले थोड़ा डर और हिचक थी, लेकिन उनका व्यवहार देखकर ये सब दूर हो गया.

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