
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक साल में जो तोहफे मिले थे, उनकी नीलामी कर दी गई है. ये चौथी बार था, जब उनको मिले तोहफों की नीलामी की गई.
इस साल 1200 से ज्यादा तोहफों की नीलामी हुई. इसके लिए 100 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का बेस प्राइस रखा गया था.
प्रधानमंत्री को मिले जिन तोहफों की नीलामी हुई, उनमें पेंटिंग्स, मूर्तियां, लोक कलाकृतियां शामिल हैं. अंगवस्त्र, शॉल, पगड़ी-टोपी, रस्मी तलवारें भी उन्हें तोहफों में मिली थी. इसके अलावा अयोध्या का राम मंदिर और वाराणसी का काशी-विश्वनाथ मंदिर की रेप्लिका भी शामिल थी.
पीएम मोदी को मिले गिफ्ट की नीलामी संस्कृति मंत्रालय करता है. नीलामी शुरू होने से पहले संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया था कि इस साल कॉमनवेल्थ गेम्स, डेफलिम्पिक्स, और थॉमस कम चैम्पियनशिप में शामिल खिलाड़ियों ने जो मोमेंटो गिफ्ट किए थे, उन्हें भी नीलामी में रखा गया है.
इस पैसे का होता क्या है?
नीलामी से जो रकम आती है, उसका क्या होता है? तो इसका जवाब है कि इस पैसे का इस्तेमाल नमामि गंगे कार्यक्रम में किया जाता है.
नमामि गंगे कार्यक्रम की शुरुआत जून 2014 में हुई थी. इस प्रोग्राम को 20 हजार करोड़ रुपये से शुरू किया गया था. इसका मकसद गंगा नदी की सेहत सुधारना है.
हर बार प्रधानमंत्री मोदी को मिले तोहफों की नीलामी से जो पैसा आता है, उसे गंगा की सफाई के लिए लगाया जाता है.
चौथी बार हुई तोहफों की नीलामी
ये चौथी बार है जब प्रधानमंत्री मोदी को मिले तोहफों की नीलामी हुई. पहली बार 2019 में नीलामी हुई थी, तब बोली लगाने के लिए 1,805 तोहफे रखे गए थे.
दूसरी बार 2020 और तीसरी बार 2021 में नीलामी की गई. दूसरे दौर में 2,772 और तीसरी बार 1,348 तोहफों की नीलामी हुई थी.
गंगा के लिए अब तक क्या हुआ?
गंगा नदी की सेहत सुधारने के मकसद से जून 2014 में नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया गया था. इसी साल 28 जुलाई को लोकसभा में सरकार ने बताया था कि इस कार्यक्रम के तहत 374 प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं. इनकी लागत 31,098 करोड़ रुपये से ज्यादा है. अब तक 210 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं.
इस कार्यक्रम के तहत, अब तक 24,581 करोड़ रुपये की लागत के 161 सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं. इसके तहत 5,134 किमी सीवरेज नेटवर्क लाइन बिछाई जाएगी. ऐसा इसलिए ताकि हर दिन 500 करोड़ लीटर के सीवेज का निपटान हो सके. 161 में से 92 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं.
इसके अलावा, इस कार्यक्रम के तहत अब तक यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने 30 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर पेड़ लगाए हैं. साथ ही, गंगा नदी में 56 लाख से ज्यादा मछली के बीज डाले गए हैं. 930 कछुओं को छोड़ा गया है.