
कतर की अदालत ने कथित जासूसी के आरोप में पिछले साल भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी. भारतीय हस्तक्षेप के बाद इसे लंबी कैद में बदला गया, और अब सबको रिहाई मिल चुकी है. इस बात को देश की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. वैसे कतर ही नहीं, दुनिया के बहुत से देशों में अलग-अलग आरोपों में भारतीय जेल की सजा काट रहे हैं. इसमें सबसे ऊपर गल्फ नेशन हैं.
क्या है नौसैनिकों की रिहाई का मामला
दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीस के साथ काम करने वाले भारतीय नौसेना के 8 पूर्व जवानों पर वहां की कोर्ट ने आरोप लगाया कि वे काम की आड़ में जासूसी कर रहे हैं. इसी कथित आरोप पर उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी, जो भारतीय दखल के बाद जेल की सजा में बदल गई. अब बड़ी राहत देते हुए दोहा कोर्ट ने सबको रिहाई दे दी है. यहां तक कि 7 अफसर देश भी लौट आए.
क्या डिप्लोमेटिक बातचीत से ऐसा हुआ
अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये रिहाई भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कतर के अमीर से मुलाकात का नतीजा है. COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर पीएम मोदी ने अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से भेंट की थी. मुलाकात में क्या बात हुई, इसपर किसी भी देश की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया. लेकिन माना जा रहा है कि इस दौरान रिहाई पर भी बात हुई होगी.
विदेशी जेलों में कितने इंडियन्स
अलग-अलग देशों में हजारों की संख्या में भारतीय जेलों में बंद हैं. MEA के 6 महीने पुराने रिकॉर्ड के अनुसार 90 देशों में 8,330 इंडियन प्रिजनर्स हैं. इसमें अपराधी साबित हो चुके लोगों के साथ वे भी हैं, जिनका ट्रायल चल रहा है. वैसे ये संख्या ज्यादा भी हो सकती है क्योंकि कई देश ऐसे भी हैं, जो प्राइवेसी का हवाला देते हुए ये डेटा शेयर नहीं करते.
क्हां कितने भारतीय कैद में
इन साढ़े 8 हजार भारतीयों के बारे में चौंकाने वाली बात ये है कि इनका 55 प्रतिशत गल्फ देशों में कैद है.
यहां 4,630 भारतीय हैं, जो 6 खाड़ी देशों में बंद हैं.
अकेले कतर की बात करें तो यहां 696 कैदी हैं. वहीं यूएई में सबसे ज्यादा, 1,611 कैदी हैं.
इसके बाद सबसे ज्यादा भारतीय पड़ोसी देशों की जेलों में हैं.
नेपाल, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार में कुल संख्या का लगभग 22 प्रतिशत कैद है.
इसके अलावा वेस्टर्न देशों में भी भारतीय कैदी हैं, लेकिन संख्या काफी कम है.
किन अपराधों में सलाखों के भीतर
गल्फ में भी संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में सबसे ज्यादा इंडियन हैं. उनमें से ज्यादातर के अपराध एक जैसे हैं. लगभग सभी ड्रग्स, अल्कोहल जैसे क्राइम से जुड़े पाए गए. बता दें कि मुस्लिम बहुल इन देशों में शराब और किसी भी तरह के नशे पर बैन रहता है. इसके अलावा खाड़ी देशों में काम के लिए जाने वाले भारतीय कई बार आर्थिक धोखाधड़ी में भी फंस जाते हैं. अधिकतर कम पढ़े-लिखे लोग होते हैं, जो अपने पक्ष में सबूत भी नहीं रख पाते. ऐसे में वे लंबे समय के लिए जेल में ही पड़े रह जाते हैं.
लापरवाही की भी मिल रही सजा
पड़ोसी देशों की बात करें तो अक्सर लोग गलती से सीमा पार कर जाते हैं. मसलन, भारत या नेपाल या भारत-पाकिस्तान के बीच का बॉर्डर तो लंबा है, लेकिन हर जगह पक्की फेंसिंग नहीं. कई बारे चरवाहे अपने पशुओं की खोज में यहां से वहां पहुंच जाते और सबूतों की कमी के चलते गिरफ्तार हो जाते हैं.
यही बात समुद्री सीमा के मामले में भी लागू होती रही. अक्सर खबर आती है कि दूसरे देश की सीमा पर पहुंचने की वजह से भारतीय मछुआरों को बंदी बना लिया गया. दूसरे देश इसकी जांच-पड़ताल करते हैं कि कहीं वे जासूस तो नहीं, तसल्ली के बाद ही रिहाई होती है. इसमें ही सालों लग जाते हैं.
अवैध रूप से सीमा पार करना भी पहुंचा रहा जेल
अमेरिका, ब्रिटेन या यूरोपियन देशों की जेलों में कैद भारतीयों की अलग ही कहानी है. इनमें से अधिकतर लोग वे हैं, जो चुपके से वहां घुसपैठ की कोशिश करते पकड़े गए. अच्छी लाइफस्टाइल पाने के लालच में अवैध एंट्री कर रहे ऐसे लोग पकड़े जाने पर कुछ ही समय में छोड़ भी दिए जाते हैं.
सरकार क्या मदद करती है
पूर्व नेवी अफसरों का मामला लें तो भारतीय दखल से ही उन्हें रिहाई मिल सकी. इससे पहले जब उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी, तभी विदेश मंत्रालय ने साफ किया था वे इस सजा को चुनौती देंगे. ये तो हुआ हाई-प्रोफाइल केस, लेकिन आम भारतीयों के मामले में भी सरकार काम करती है.
इस तरह होती है कार्रवाई
इंडियन मिशन को जैसे ही पता लगता है कि उसका कोई नागरिक विदेशी जेल में बंद कर दिया गया है, वो तुरंत एक्शन में आ जाती है. स्थानीय प्रशासन के जरिए उससे संपर्क किया जाता है, और ये पता करते हैं कि केस असल में है क्या. इसके बाद उसके लिए वकील से लेकर जरूरी हो तो सरकार से बातचीत जैसे कदम भी लिए जाते हैं.
साल 2014 से लेकर अब तक कुल 4,597 भारतीय कैदियों को या तो रिहाई मिली, या उनकी सजा कम कर दी गई. ये वो आंकड़ा है, जिसमें बंदियों को सरकारी मदद मिली थी.
विदेश से भारतीय जेलों में ट्रांसफर भी संभव
इसके अलावा भारत ने 31 देशों के साथ एक करार किया हुआ है. ट्रांसफर ऑफ सेंटेंस्ड पर्सन्स (TSP) के तहत विदेशों में सजा पाने वाले भारतीयों को अपने यहां लाया जा सकता है. वे बाकी की सजा भारत की जेलों में काटेंगे. ये करार इसलिए किया गया ताकि कैदियों को अपने यहां का माहौल और खानपान मिल सके, साथ ही वे वक्त-बेवक्त अपने परिवार से मिल भी सकें. भारत भी विदेशी कैदियों के साथ यही करता है. TSP केवल उन्हीं कैदियों पर लागू नहीं होता, जिन्हें फांसी की सजा मिली हो.