
एक बार फिर से राजपथ का नाम बदलने जा रहा है. केंद्र सरकार ने नई दिल्ली स्थित राजपथ का नाम बदलकर 'कर्तव्यपथ' करने का फैसला लिया है. राजपथ राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का रास्ता है, जिसकी लंबाई 3 किलोमीटर है. राजपथ पर ही हर साल गणतंत्र दिवस पर परेड निकलती है.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत विजय चौक से इंडिया गेट तक सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बनकर तैयार हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 सितंबर को इसका उद्घाटन करेंगे. इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक राजपथ के दोनों ओर के क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा कहते हैं. अब केंद्र सरकार ने राजपथ का नाम बदलने का फैसला लिया है.
न्यूज एजेंसी ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस मामले को लेकर 7 सितंबर को नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NDMC) ने बैठक बुलाई है. इस बैठक में नाम बदलने के प्रस्ताव पर फैसला हो सकता है. सूत्रों ने बताया कि इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन की पूरी सड़क और क्षेत्र को 'कर्तव्यपथ' के नाम से जाना जाएगा.
ये तीसरी बार है जब राजपथ का नाम बदला जा रहा है. ब्रिटिश शासन में इस सड़क का नाम किंग्सवे (Kingsway) हुआ करता था. आजादी के बाद इसका नाम बदलकर 'राजपथ' कर दिया गया, जो किंग्सवे का ही हिंदी अनुवाद है. अब फिर से इसका नाम बदलने की तैयारी की जा रही है.
पर ये नाम कैसे बदला जाएगा?
- किसी शहर, गांव, सड़क या जगह का नाम रखने या बदलने के लिए गृह मंत्रालय की एक गाइडलाइन है. गृह मंत्रालय ने ये गाइडलाइन 27 सितंबर 1975 को जारी की थी. सभी राज्यों को इसका पालन करना जरूरी होता है.
- मसलन, किसी सड़क या जगह का नया नाम रखने के लिए स्थानीय लोगों की भावनाओं का ध्यान रखना होता है. इसके अलावा किसी सड़क या जगह का नया नाम रखने पर कोई भ्रम न हो, इसका भी ध्यान रखा जाता है.
- गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, अगर कोई जगह या सड़क पुरानी है तो उसका नाम नहीं बदला जाना चाहिए. कोई नई जगह या नई सड़क है तो उसका नाम रखा या बदला जा सकता है. हालांकि, इसमें एक पेंच ये भी है कि अगर कोई बहुत पुरानी सड़क या जगह है तो उसका नाम बदल सकते हैं.
राजपथ का नाम कैसे बदलेगा?
- किसी भी जगह या सड़क का नाम रखने या बदलने का काम वहां के नगर निगम या नगर पालिका का होता है. हालांकि, नया नाम रखने या बदलने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है. राजपथ के नाम बदलने का अधिकार क्षेत्र नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NDMC) के दायरे में आता है.
- सूत्रों का कहना है कि NDMC ने राजपथ का नाम बदलने के प्रस्ताव पर फैसला करने के लिए 7 सितंबर को मीटिंग बुलाई है. नाम बदलने को लेकर एक शर्त ये भी है कि किसी एक व्यक्ति की अपील या मांग पर ऐसा नहीं हो सकता. नाम तभी बदला जा सकता है, जब उसका प्रस्ताव गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, एनजीओ या किसी संगठन की ओर से आया हो.
- राजपथ के मामले में ये प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से ही है. अब एनडीएमसी की 13 सदस्यों की कमेटी इस प्रस्ताव पर विचार करेगी. अगर ये प्रस्ताव पास हो जाता है, तो इसे दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के पास भेजा जाएगा, जहां सड़कों के नाम पर फैसला लेने वाली अथॉरिटी विचार करेगी.
- अगर यहां से भी प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो NDMC इसको लेकर दिल्ली के पोस्ट मास्टर जनरल को एक चिट्ठी लिखेगी, जिसमें सड़क के नाम बदलने की जानकारी दी जाएगी.
प्रस्ताव मंजूर करने या खारिज करने का क्राइटेरिया क्या?
- गृह मंत्रालय ने ऐसे प्रस्तावों पर विचार करने के लिए कुछ क्राइटेरिया तय किए हैं. किसी जगह या सड़क का नाम बदलने के प्रस्ताव पर विचार करते समय ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि जो नया नाम दिया जा रहा है, उसका ऐतिहासिक महत्व कितना है? लोगों की भावनाओं का ध्यान रखा जा रहा है या नहीं?
- अगर किसी सड़क या जगह का नाम किसी व्यक्ति के नाम पर रखा जा रहा है, तो ध्यान देना चाहिए कि क्या उस व्यक्तित्व को लोगों को पहचानने की जरूरत है या नहीं? अगर किसी विदेशी व्यक्ति के नाम पर सड़क या जगह का नाम रखा जा रहा है, तो उसकी स्पेलिंग का खास ध्यान रखा जाना चाहिए.
क्या दिल्ली में पहले भी बदल चुके हैं नाम?
- दिल्ली में इससे पहले भी कई जगहों के नाम बदले जा चुके हैं. आजादी के बाद किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया था. इसी तरह से जनपथ को पहले क्वींसवे (Queensway) के नाम से जाना जाता था. इसका नाम भी आजादी के बाद बदल दिया गया था.
- इसी तरह से कर्जन रोड का नाम बदलकर कस्तूरबा गांधी मार्ग कर दिया गया था. इसके बाद कई और सारी सड़कों के नाम भी बदले गए थे. जैसे- रेटेंडन रोड को अमृता शेरगिल मार्ग और किचनर रोड को सरदार पटेल मार्ग कर दिया गया था.
- 2014 में मोदी सरकार आने के बाद रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया था. इसी जगह पर प्रधानमंत्री आवास है. 2015 में ही औरंगजेब रोड का नाम एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया था.
- 2017 में डलहौजी रोड का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड हो गया था. वहीं, 2018 में तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति हैफा चौक कर दिया गया था. अकबर रोड का नाम बदलने का प्रस्ताव भी दिया गया है, लेकिन अब तक इस पर विचार नहीं हुआ है.
राजपथ का क्या है इतिहास?
- 1911 में जब अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनाई, तो नई राजधानी को डिजाइन करने का जिम्मा एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दिया गया. 1920 में राजपथ बनकर तैयार हुआ था. तब इसे किंग्सवे यानी 'राजा का रास्ता' कहा जाता था.
- 1905 में लंदन में जॉर्ज पंचम के पिता के सम्मान में एक सड़क बनाई गई थी, जिसका नाम किंग्सवे रखा गया था. उन्हीं के सम्मान में दिल्ली में जो सड़क बनाई गई, उसका नाम भी किंग्सवे रखा गया. जॉर्ज पंचम 1911 में दिल्ली आए थे, जहां उन्होंने नई राजधानी की घोषणा की थी.
- आजादी के बाद इसका नाम बदलकर 'राजपथ' रखा गया. हालांकि, ये किंग्सवे का ही हिंदी अनुवाद था. 75 सालों से राजपथ पर ही गणतंत्र दिवस की परेड हो रही है. अब केंद्र सरकार ने इसका नाम बदलकर 'कर्तव्यपथ' रखने का फैसला लिया है.