
रूस की शान कहे जाने वाले क्रीमिया के ब्रिज पर हमले के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध की कमान एक अहम सैन्य अधिकारी को सौंप दी है. पुतिन ने अब जरनल सर्गेई सुरोविकिन को यूक्रेन युद्ध का कमांडर बना दिया है. पुल पर हमले के कुछ घंटों बाद ही लिए गए इस फैसले ने युद्ध को लेकर रूस की रणनीति को लेकर अहम संकेत दे दिया है.
क्रीमिया के कर्ज स्ट्रेट ब्रिज पर 8 अक्टूबर को खतरनाक हमला हुआ था. जिस समय ये हमला हुआ था, तब पुल से कार्गो ट्रेन गुजर रही थी. इस ट्रेन पर बमबारी उठ रही आग की लपटों ने इस जंग को और भड़का दिया. रूस ने ब्रिज पर हमले को 'आतंकी हमला' बताया था. यूक्रेन पर हमले का आरोप लगाते हुए रूस ने ताबड़तोड़ मिसाइलें दाग दीं.
हमले के बाद यूक्रेन पर जिस तरह से बम बरस रहे हैं, उसके पीछे जनरल सर्गेई सुरोविकिन का ही दिमाग माना जा रहा है. जनरल सुरोविकिन को उनके लोग 'जनरल आर्मागेडन' यानी 'तबाही लाने वाले जनरल' कहकर भी बुलाते हैं.
जनरल सुरोविकिन की गिनती 'क्रूर सैन्य अधिकारी' के तौर पर होती है. अफगानिस्तान, चेचन्या, ताजिकिस्तान और सीरिया के साथ जंग में उनकी क्रूरता और बर्बरता दुनिया देख चुकी है.
कौन हैं जनरल सुरोविकिन?
सर्गेई सुरोविकिन का जन्म 11 अक्टूबर 1966 को साइबेरिया में हुआ था. 1987 में सुरोविकिन ने ओम्स्क हायर मिलिट्री कमांड स्कूल से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने सोवियत-अफगान युद्ध में हिस्सा लिया.
अगस्त 1991 में उन्हें एक बटालियन का कमांडर बनाया गया. 1991 के अगस्त में ही जब रूस (तब सोवियत संघ) में तख्तापलट की कोशिश हुई, तब उन्होंने अपनी बटालियन को लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को कुचलने का आदेश दिया. इस कार्रवाई में तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी. इसके लिए सुरोविकिन 7 महीने तक जेल में भी रहे थे. बाद में तब के राष्ट्रपति बोरिस याल्तसिन के आदेश पर उनकी रिहाई हुई थी.
सितंबर 1995 में सुरोविकिन को हथियारों की अवैध बिक्री के लिए एक साल की सजा हुई. बाद में कोर्ट ने अपना ये फैसला पलट दिया, क्योंकि सुरोविकिन ने दलील दी कि उन्होंने एक पिस्तौल अपने साथी को प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए दी थी और उन्हें नहीं पता था कि वो इस पिस्तौल से क्या करने वाला है.
इसके बाद सुरोविकिन को ताजिकिस्तान में जंग लड़ने के लिए भेजा गया. इसकी कमान भी उन्हें ही सौंपी गई.
2004 में लगे दो बड़े आरोप
2004 में सुरोविकिन पर दो बड़े आरोप लगे. पहला आरोप मार्च में लेफ्टिनेंट कर्नल विक्टर चिबिजोव ने लगाया. चिबिजोव ने आरोप लगाया कि गलत कैंडिडेट को वोट देने पर सुरोविकिन ने उनके साथ मारपीट की. अप्रैल में सुरोविकिन की मौजूदगी में कर्नल आंद्रे श्ताकाल ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली. हालांकि, इन दोनों ही मामलों में सुरोविकिन के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला.
सीरिया में मचाई थी तबाही
2017 में सीरिया में जब जब गृहयुद्ध छिड़ा तो इस जंग में अमेरिका और रूस भी उतर गए. रूस बशर अल-सरकार के समर्थन में था, जबकि अमेरिका उन्हें सत्ता से हटाना चाहता था. सीरिया में हुए इस युद्ध की कमान रूस ने जनरल सुरोविकिन को ही सौंपी.
सुरोविकिन के जंग में उतरने से ये युद्ध पूरी तरह पलट गया था. 2017 के आखिर तक रूस ने सीरिया के 50 फीसदी से ज्यादा इलाके को अपने नियंत्रण में ले लिया था. उस समय कई सैन्य विश्लेषकों ने कहा था कि सुरोविकिन ही थे, जिन्होंने इस जंग को मोड़ दिया था.
सितंबर 2017 में पुतिन ने सुरोविकिन को एयरोस्पेस फोर्स का कमांडर इन चीफ नियुक्त किया. इसके बाद सीरिया के अलेप्पो शहर में जमकर बमबारी हुई थी. अलेप्पो को तबाह करने के लिए सुरोविकिन ही जिम्मेदार ठहराए गए.
इसके महीने भर बाद सीरिया में बेहतरीन काम करने के लिए पुतिन ने सुरोविकिन को 'रूसी संघ के हीरो' अवॉर्ड से सम्मानित किया था.