
सात महीनों से जारी जंग के बीच यूक्रेन के चार इलाकों को रूस में मिलाने की तैयारी शुरू हो गई है. यूक्रेन के जिन चार इलाकों को रूस में मिलाया जाना है, उनमें डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया और खेरसान शामिल हैं. इन इलाकों में हाल ही में रूस ने जनमत संग्रह करवाया था और दावा किया था कि यहां के लोग रूस के साथ आना चाहते हैं.
रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बताया कि इन चारों इलाकों को क्रेमलिन सेरेमनी के दौरान औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा. इस सेरेमनी में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल होंगे.
इससे पहले राष्ट्रपति पुतिन ने जेपोरीजिया और खेरसान को आजाद देश घोषित कर दिया. रूस के न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, पुतिन ने दोनों इलाकों की आजादी से जुड़े दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. वहीं, डोनेत्स्क और लुहांस्क को यूक्रेन से जंग शुरू होने के दो दिन पहले ही आजाद मुल्क घोषित कर दिया था.
जनमत संग्रह का नतीजा क्या रहा?
रूस ने 23 से 27 सितंबर के बीच डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया और खेरसान में जनमत संग्रह करवाया था. इसके बाद दावा किया है कि चारों इलाकों के ज्यादातर लोगों ने रूस के साथ आने के पक्ष में वोट दिया है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दावा है कि डोनेत्स्क में 99.2%, लुहांस्क में 98.4%, जेपोरीजिया में 93.1% और खेरसान में 87% लोगों ने रूस के साथ जाने के पक्ष में वोट डाला है.
रूस के लिए कितने अहम चारों इलाके?
डोनेत्स्क और लुहांस्क क्यों अहम?
डोनेत्स्क और लुहांस्क, रूस की उत्तरी सीमा से लगते हैं, जबकि पूर्वी यूक्रेन में पड़ते हैं. ये दोनों अहम इलाके हैं. इन दोनों को मिलाकर जो इलाका बनता है, उसे डोनबास कहा जाता है. रूस ने जंग के कुछ महीनों बाद ही कह दिया था कि उसका मकसद डोनबास को आजाद कराना है.
जंग शुरू होने से पहले डोनेत्स्क के 28% और लुहांस्क के 16% इलाके पर रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा था. अब पूरा डोनबास ही रूस में मिलाया जा रहा है. डोनेत्स्क और लुहांस्क में 2014 से ही अलगाववादियों और यूक्रेनी सेना के बीच संघर्ष जारी है.
डोनबास में 35 लाख लोग रहते हैं. इनमें से 20 लाख आबादी डोनेत्स्क और 15 लाख लुहांस्क में रहती है. डोनेत्स्क और लुहांस्क कोल माइनिंग और स्टील प्रोडक्शन के लिए जाने जाते हैं. डोनबास प्रमुख औद्योगिक केंद्र है और यहां यूक्रेन का सबसे बड़ा कोयला भंडार है.
जेपोरीजिया क्यों अहम?
जेपोरीजिया दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा है, जो नाइपर नदी पर बसा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, यहां 7.47 लाख आबादी रहती है.
जेपोरीजिया में यूरोप का सबसे बड़ा और दुनिया का 9वां सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट है. इसे 984 से 1995 के बीच बनाया गया था. यहां 6 रिएक्टर्स हैं. हर रिएक्टर से 950 मेगावॉट बिजली पैदा होती है, जबकि संयुक्त रूप से 5,700 मेगावॉट बिजली बनाई जाती है. इससे यूक्रेन की 25 फीसदी बिजली पैदा होती है.
इतना ही नहीं, जेपोरीजिया में स्टील, एल्युमिनियम, एयरक्राफ्ट इंजन, ऑटोमोबाइल सबस्टेशन के लिए ट्रांसफॉर्मर और कई औद्योगिक सामान भी बनते हैं.
खेरसान क्यों अहम?
खेरसान नीपर नदी और ब्लैक सी से जुड़ा हुआ है. ये इलाका जहाजों के निर्माण में आगे है. यहां पर लगभग 3 लाख लोग रहते हैं.
मशीन इंजीनियरिंग से लेकर केमिकल प्रोडक्शन और छोटे उद्योग यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं. खेरसान में मोर्स्की बंदरगाह है, जहां से सालाना करोड़ों डॉलर का कारोबार होता है.
शिक्षा के लिहाज से भी खेरसान काफी अहम इलाका है. यहां हायर एजुकेशन मुहैया करने वाले दर्जनों संस्थान हैं. यहीं पर खेरसान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ बिजनेस एंड लॉ भी हैं.
रूस को क्या फायदा और क्या नुकसान?
फायदाः यूक्रेन के 90 हजार वर्ग किलोमीटर यानी 15% इलाके पर रूस का कब्जा हो जाएगा. मार्च 2014 से यूक्रेन का क्रीमिया रूस के पास ही है. क्रीमिया और इन चारों इलाकों को अपने में मिलाकर यूक्रेन के दक्षिण और पूर्वी इलाके पर रूस का कब्जा होगा.
नुकसानः यूक्रेन के साथ जंग में इन चारों इलाकों में रूस ने भयंकर तबाही मचाई है. यहां पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह हो चुका है. ऐसा अनुमान है कि अकेले डोनबास इलाके में ही फिर से इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में 100 से 200 अरब डॉलर का खर्च आएगा.
आगे क्या-क्या हो सकता है?
- यूक्रेन के इन चारों इलाकों को मिलाने से जंग और भड़क सकती है. वहीं, रूस की धमक बढ़ेगी. इससे रूस-यूक्रेन में गतिरोध कम करने की संभावनाएं भी कम होंगी.
- चार बड़े औद्योगिक शहर चले जाने से यूरोपीय देशों की रूस पर निर्भरता और बढ़ सकती है. कोयला खदानों और बिजली प्लांट पर रूस का कब्जा होने से यूरोप के लिए ऊर्जा संकट खड़ा हो सकता है.
क्रीमिया को ऐसे ही मिलाया था?
फरवरी 2014 में रूस और यूक्रेन में संघर्ष शुरू हो गया था. ये संघर्ष यूक्रेन में राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की वजह से भड़का था. यानुकोविच रूस समर्थित नेता थे.
22 फरवरी 2014 को यानुकोविच देश छोड़कर भाग गए. 27 फरवरी को रूसी सेना ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया.
मार्च 2014 में क्रीमिया में जनमत संग्रह करवाया गया. दावा किया गया था कि इसमें 97 फीसदी लोगों ने रूस में शामिल होने के पक्ष में वोट दिया था. 18 मार्च 2014 को क्रीमिया आधिकारिक तौर पर रूस का हिस्सा बन गया.