
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन रूस पहुंच गए हैं. किम जोंग अपनी स्पेशल ट्रेन से मंगलवार सुबह रूस पहुंचे हैं. किम जोंग रूस के बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे.
हालांकि, दोनों नेताओं की ये मुलाकात कब होगी? इस बारे में अभी कुछ साफ नहीं कहा जा सकता. क्योंकि रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पुतिन के न्योते पर किम जोंग रूस आ रहे हैं और ये मुलाकात आगामी दिनों में होगी. उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी केसीएनए ने भी किंम जोंग से पुतिन के मिलने की पुष्टि की है.
किम जोंग विदेश यात्रा बहुत ही कम करते हैं. उन्होंने आखिरी बार अप्रैल 2019 में रूस की यात्रा की थी. तब भी पुतिन से उनकी मुलाकात व्लादिवोस्तोक शहर में ही हुई थी. चार साल से भी ज्यादा लंबा वक्त गुजर जाने के बाद ये उनकी पहली विदेश यात्रा है.
व्लादिवोस्तोक में कैसा है माहौल?
व्लादिवोस्तोक शहर रूस और उत्तर कोरिया की सीमा से सिर्फ 180 किलोमीटर दूर है. किम जोंग की रूस की ये दूसरी यात्रा है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया है कि व्लादिवोस्तोक में आम दिनों के मुकाबले भारी संख्या में पुलिस तैनात है. हालांकि, इस बार उत्तर कोरियाई झंडे नहीं दिख रहे हैं. जबकि, पिछली बार जब किम जोंग यहां आए थे तो जगह-जगह उत्तर कोरियाई झंडे लगाए गए थे.
व्लादिवोस्तोक के सेंट्रल स्क्वायर के पास तैनार रूस की रेड आर्मी के सैनिकों ने बताया कि वो किम का इंतजार कर रहे हैं.
सीक्रेट रखी है मीटिंग
किम जोंग की रूस यात्रा की पुष्टि भले ही हो गई हो, लेकिन अभी भी पुतिन से उनकी मीटिंग को सीक्रेट ही रखा जा रहा है.
माना तो जा रहा है कि मंगलवार को ही पुतिन और किम जोंग की मीटिंग हो सकती है. लेकिन क्रेमलिन ने अपने बयान में कहा है कि ये 'आगामी दिनों' में होगी.
व्लादिवोस्तोक शहर रूस की राजधानी मॉस्को से लगभग साढ़े छह किलोमीटर दूर है. बताया जा रहा है कि व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम होने जा रहा है, जहां पुतिन शिरकत करेंगे.
व्लादिवोस्तोक में स्थानीय लोग भी किम का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन उन्हें भी अभी तक बहुत कुछ साफ-साफ नहीं पता है. न्यूज एजेंसी ने एक स्थानीय नागरिक के हवाले से बताया है कि फोरम में पुतिन के आने से किम जोंग की यात्रा की पुष्टि हो रही है.
रूस-उत्तर कोरिया में बढ़ रहीं करीबियां
जब अमेरिका और सोवियत संघ (अब रूस) के बीच कोल्ड वॉर चल रहा था, तब मॉस्को और उत्तर कोरिया साथ थे. दोनों के रिश्ते तब जटिल हो गए, जब चीन के माओ त्से तुंग ने पश्चिमी देशों से नजदीकियां बढ़ाईं और रूस को अलग-थलग कर दिया.
1991 में जब सोवयित संघ टूटा तो रूस में हालात और बिगड़ गए, जिसने उत्तर कोरिया के साथ रिश्तों को प्रभावित किया. ये वो समय था जब उत्तर कोरिया पर चीन का सबसे ज्यादा प्रभाव रहा.
हालांकि, रूस और उत्तर कोरिया के बीच अब फिर नजदीकियां बढ़ रहीं हैं. विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर कोरिया के पास तोपखाने, रॉकेट, छोटे हथियार और गोला-बारूद की भारी सप्लाई है, जो रूस के खाली हो रहे भंडार को फिर से भरने में मदद कर सकती है.
नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के अधिकारी जॉन किर्बी ने 30 अगस्त को बताया था कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच हथियारों को लेकर बात आगे बढ़ रही है, क्योंकि पुतिन अपनी 'वॉर मशीन' को बढ़ाना चाहते हैं.
यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर कई सारे प्रतिबंध लगे हैं. यही वजह है कि अब हथियारों के लिए रूस, उत्तर कोरिया से हाथ मिला रहा है. उत्तर कोरिया ने पिछले साल ही रूस को रॉकेट और मिसाइलें दी थीं.
जॉन किर्बी का दावा है कि उत्तर कोरिया हथियारों की बिक्री के बदले में रूस से टेक्नोलॉजी मांग सकता है. अगर ऐसा होता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उत्तर कोरिया पर भी कई सारे प्रतिबंध लगे हैं. लेकिन अगर उसे रूस से टेक्नोलॉजी मिलती है तो इससे उसके हथियारों का जखीरा बढ़ सकता है.
दोनों के बीच बढ़ रही सैन्य दोस्ती
उत्तर कोरिया और रूस के बीच सैन्य दोस्ती अच्छी-खासी बढ़ रही है. अमेरिका का दावा है कि सितंबर 2022 में उत्तर कोरिया ने रूस को भारी मात्रा में तोपें और गोला-बारूद दिया था.
जनवरी 2023 में भी उत्तर कोरिया ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन की प्राइवेट आर्मी कहे जाने वाले वैगनर ग्रुप को रॉकेट और मिसाइलें मुहैया कराई थीं. इतना ही नहीं, अमेरिका ने उत्तर कोरिया और रूस की सीमा की एक सैटेलाइट तस्वीर भी साझा की थी, जिसमें एक ट्रेन घातक हथियारों को ले जाते दिख रही थी.
मार्च में, स्लोवाकिया के नागरिक अशोत क्रितिचेव को रूस के लिए उत्तर कोरिया से हथियार और युद्ध सामग्री खरीदने की मंजूरी मिली थी. अशोत क्रितिचेव पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है.
जुलाई में अमेरिका ने उत्तर कोरिया के आर्म्स डीलर रिम योंग ह्योक पर प्रतिबंध लगा दिया था. ह्योक पर वैगनर ग्रुप को हथियार ट्रांसफर करने का आरोप है. 2019 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में ह्योक को आर्म्स कंपनी कोमिड का अधिकारी बताया था. कोमिड ने ही सीरिया में हथियार उपलब्ध करवाए थे.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि उत्तर कोरिया के हथियारों का एक नेटवर्क है, जिसमें वैगनर ग्रुप ने सक्रिय रूप से काम किया है.
किम को बदले में क्या मिलेगा?
अगर पुतिन और किम जोंग के बीच हथियारों को लेकर कोई डील होती है तो जाहिर है कि इससे यूक्रेन में जंग लड़ रहे रूस को फायदा होगा. लेकिन सवाल ये उठता है कि इससे किम जोंग-उन को क्या मिलेगा?
अगर बात बनती है तो इससे उत्तर कोरिया को रेवेन्यू जेनरेट करने में काफी मदद मिलेगी. ये उसके लिए राहत की बात होगी, क्योंकि प्रतिबंधों की वजह से वहां कई चीजों की किल्लत है. इसके साथ ही उत्तर कोरिया का डिफेंस एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा.
उत्तर कोरिया को इस वक्त खाने-पीने का सामान और बाकी दूसरी बुनियादी चीजों की सख्त जरूरत है.
लेकिन, उसके लिए खाने-पीने के सामान से ज्यादा जरूरी हथियार हैं. और यही दुनिया के लिए टेंशन की बात है. उत्तर कोरिया अपने हथियारों को विकसित करना चाहता है. इसमें उसकी परमाणु और लंबी दूरी की मिसाइलें भी शामिल हैं. और इसके लिए वो हथियारों की बिक्री पर ही निर्भर है.