
रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोजिन कभी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी रहे हैं. लेकिन कुछ दिन पहले प्रिगोजिन ने पुतिन के खिलाफ ही बगावत कर दी.
पुतिन ने प्रिगोजिन के इस कदम को 'गद्दारी' और 'पीठ में छुरा घोंपने' वाला बताया. हालांकि, प्रिगोजिन ने दावा किया कि वो यूक्रेन में युद्ध की कमान संभाल रहे कमांडरों का विरोध कर रहे हैं. ऐसा करके प्रिगोजिन ने खुद को 'देशभक्त' के तौर पर पेश करने की कोशिश की.
वैगनर ग्रुप सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि अफ्रीकी देशों में भी एक्टिव है. दावा तो ये भी किया जाता है कि यूक्रेन में भी वैगनर ग्रुप के भाड़े के सैनिक मौजूद हैं, जो पुतिन की मदद कर रहे हैं.
येवगेनी प्रिगोजिन न सिर्फ वैगनर ग्रुप की कमान संभाल रहे हैं, बल्कि उसकी फंडिंग भी करते हैं. प्रिगोजिन रूस के जाने-माने कारोबारी हैं और पुतिन के काफी करीबी रहे हैं. लेकिन जब इन्हीं प्रिगोजिन ने पुतिन की सत्ता को चुनौती दी तो उनकी तुलना 'गद्दार' से कर दी गई. लेकिन इन्हीं प्रिगोजिन की वैगनर ग्रुप की बदौलत रूस ने यूक्रेन पर क्रीमिया के कब्जे से लेकर सीरिया और चेचन्या तक में जीत हासिल की है.
कैसे बना वैगनर ग्रुप?
- रूसी सेना की स्पेशल फोर्स में लेफ्टिनेंट कर्नल रहे दिमित्री दुत्किन ने वैगनर ग्रुप के पहले कमांडर थे. दुत्किन के निकनेम पर ही इस प्राइवेट आर्मी का 'वैगनर' रखा गया.
- वैगनर ग्रुप में 35 से 50 साल की उम्र के लोगों को शामिल किया गया. ये वो लोग थे जिन्होंने चेचन्या और जॉर्जिया में जंग लड़ी थी. इनके पास युद्ध का अनुभव भी था.
- लेकिन वैगनर ग्रुप जल्द ही अपनी क्रूरता और बेरहमी के लिए बदनाम हो गया. वागनर ग्रुप पर वॉर क्राइम के आरोप भी लगते रहे हैं.
- वैगनर ग्रुप के लड़ाके सीरिया में भी तैनात किया, जहां रूस ने गृहयुद्ध के दौरान राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन किया था. लीबिया में भी वैगनर के लड़ाकों ने कमांडर खलिफा हिफ्टर की सेना के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी.
- वैगनर ग्रुप ने सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक और माली में भी काम किया. ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि प्रिगोजिन ने सीरिया और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में खनन के लिए अपने लड़ाकों का इस्तेमाल किया.
- इस साल जनवरी में अमेरिकी विदेश उपसचिव विक्टोरिया नूलैंड ने दावा किया था कि यूक्रेन में ऑपरेशन चलाने के लिए वैगनर ग्रुप अफ्रीका में सोने और दूसरे संसाधनों तक अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर रही है.
क्रीमिया कब्जाने में की थी मदद
- 2013 में बने वैगनर ग्रुप की पहली एंट्री साल 2014 में हुई थी. वैगनर ग्रुप ने कथित तौर पर पूर्वी यूक्रेन में अलगाववाद बढ़ाने में रूस की मदद की थी. ऐसे दावे भी किए जाते हैं कि क्रीमिया कब्जाने में वैगनर ग्रुप के लड़ानों ने रूस की काफी मदद की थी.
- दरअसल, फरवरी 2014 में कथित तौर पर रूस समर्थित अलगाववादियों ने क्रीमिया में सरकारी दफ्तरों और इमारतों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. ये अलगाववादी कथित तौर पर वैगनर ग्रुप के ही लड़ाके थे.
- क्रीमिया पहले रूस का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को क्रीमिया तोहफे में दे दिया था. 1991 में जब सोवियत संघ टूटा और रूस और यूक्रेन अलग-अलग देश बने तो क्रीमिया को लेकर दोनों के बीच झगड़ा बढ़ता गया.
- आखिरकार 18 मार्च 2014 को रूस ने आधिकारिक तौर पर क्रीमिया को रूस में शामिल कर लिया. हालांकि, इसके बावजूद पूर्वी यूक्रेन में रूसी समर्थकों और यूक्रेनी सेना के बीच संघर्ष होता गया.
डोनेत्स्क और लुहांस्क में भी की मदद
- मार्च 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के कुछ हफ्तों बाद पूर्वी यूक्रेन के डोनबास में डोनेत्स्क और लुहांस्क में संघर्ष शुरू हो गया.
- यूक्रेन ने दावा किया कि डोनेत्स्क और लुहांस्क में रूस ने अलगाववादियों को न सिर्फ फंडिंग की, बल्कि हथियार भी मुहैया करवाए.
- ऐसा दावा किया जाता है कि डोनेत्स्क और लुहांस्क में अलगाववादियों की मदद वैगनर ग्रुप ने ही की थी. 2014 में डोनेत्स्क और लुहांस्क में खुद को अलग देश घोषित कर दिया.
- बीते साल 24 फरवरी को जब पुतिन ने यूक्रेन पर जंग का ऐलान किया तो उससे दो दिन पहले उन्होंने डोनेत्स्क और लुहांस्क को अलग-अलग देश के तौर पर मान्यता दे दी थी.
यूक्रेन जंग में क्या है रोल?
- ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि यूक्रेन में हजारों की संख्या में भाड़े के सैनिक मौजूद हैं. भाड़े के ये सैनिक वैगनर ग्रुप से ही जुड़े हैं. दावा है कि ये सैनिक रूसी राष्ट्रपति पुतिन के इशारे पर काम करते हैं.
- मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जाता है कि यूक्रेन जंग में जल्द से जल्द जीत हासिल करने के मकसद से वैगनर ग्रुप को जंग में उतारा गया था.
- न्यूज एजेंसी का दावा है कि प्रिगोजिन ने रूस की जेलों में बंद कैदियों को वैगनर ग्रुप से जोड़ा. प्रिगोजिन ने इन कैदियों से वादा किया है कि अगर वो जिंदा बच गए तो उनकी सजा माफ कर दी जाएगी.
- मई में एक इंटरव्यू में प्रिगोजिन ने बताया था कि उन्होंने 50 हजार से ज्यादा कैदियों को भर्ती किया है. इनमें से 10 हजार कैदी बखमुत में मारे गए हैं. इतनी ही संख्या में वैगनर ग्रुप के लड़ाके भी मारे गए हैं.
- अमेरिका का अनुमान है कि यूक्रेन में वैगनर ग्रुप से जुड़े 50 हजार लड़ाके मौजूद हैं. इनमें से 10 हजार भाड़े के सैनिक हैं, जबकि 40 हजार कैदी हैं. एक अमेरिकी अधिकारी का दावा है कि दिसंबर से अब तक रूसी सेना के 20 हजार सैनिक मारे गए हैं. इनमें से आधे से ज्यादा वैगनर ग्रुप के लड़ाके थे.
- अमेरिका ने अनुमान लगाया है कि यूक्रेन में जंग लड़ने के लिए वैगनर ग्रुप हर महीने 10 करोड़ डॉलर खर्च कर रहा है.
- दिसंबर में अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर वैगनर ग्रुप को हथियार, रॉकेट और मिसाइलें मुहैया कराने का आरोप लगाया था. हालांकि, वैगनर ग्रुप और उत्तर कोरिया ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.