
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान अब वोट नहीं दे पाएंगे. चुनाव आयोग ने उनका वोट देने का अधिकार छीन लिया है.
चुनाव आयोग ने लोक प्रतिनिधि कानून की धारा 16 के तहत ये कार्रवाई की है. रामपुर सदर सीट के उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने आजम खान का वोट देने का अधिकार छीनने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा था.
27 अक्टूबर को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को हेट स्पीच के मामले में 3 साल की सजा सुनाई थी. उसके बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता भी रद्द कर दी गई ती. और अब उनसे वोट देने का अधिकार भी छीन लिया गया.
क्या है पूरा मामला?
2019 में आजम खान ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया था. इस मामले में रामपुर में केस दर्ज किया गया था.
पिछले महीने ही एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को हेट स्पीच के मामले में दोषी मानते हुए 3 साल कैद और 2 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.
आजम खान को आईपीसी की धारा 153A (दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (1) (सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने वाला बयान देना) और लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 के तहत दोषी पाया था.
पर क्यों छीना वोट देने का अधिकार?
कानूनन अगर कोई विधायक या सांसद या विधान परिषद का सदस्य किसी मामले में दोषी साबित हो जाता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है और उसके 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है.
लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 16 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार या अपराध से जुड़ा है तो उसका वोट देने का अधिकार छीना जा सकता है. इसकी धारा 16 (2) में ये भी प्रावधान है कि अगर किसी सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द होती है तो वोटर लिस्ट से उसका नाम तुरंत काट दिया जाए.
वोट देने का अधिकार कब छीना जाता है? इसका जिक्र कानून के अध्याय-4 में है. इसमें बताया गया है कि अगर किसी व्यक्ति को आईपीसी की धारा 171E या 171F या लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 या 135 के तहत दोषी ठहराया गया है, तो उसका वोट देने का अधिकार छीन जाता है.
आजम खान को लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 के तहत भी दोषी ठहराया गया है. ये धारा कहती है कि अगर कोई व्यक्ति अलग-अलग धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर दुश्मनी या घृणा को बढ़ावा देता या ऐसी कोशिश करता है, तो उसे 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
लोक प्रतिनिधि कानून के तहत अगर व्यक्ति को दोषी ठहराया गया है तो उससे 6 साल तक वोट देने का अधिकार छीन लिया जाता है.
इसका मतलब ये हुआ कि 5 दिसंबर को रामपुर सदर सीट पर होने वाले उपचुनाव में आजम खान वोट नहीं डाल सकेंगे.
बाल ठाकरे से भी छीन लिया था अधिकार
चुनाव आयोग ने कभी शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के वोट करने और चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया था.
बाल ठाकरे पर अक्सर भड़काऊ बयान देने और दंगे भड़काने के आरोप लगते रहते थे. इसी वजह से चुनाव आयोग ने उन पर बैन लगा दिया था.
बाल ठाकरे को 28 जुलाई 1999 को आयोग ने चुनाव लड़ने और वोट डालने से प्रतिबंध कर दिया था. ये प्रतिबंध 2005 में हटा था. बैन हटने के बाद 2006 के बीएमसी चुनाव में उन्होंने वोट डाला था.