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किसी के लिए हीरो तो किसी के लिए विलेन... संदेशखाली के आरोपी टीएमसी नेता शाहजहां का पूरा कच्चा-चिट्ठा

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में पड़ने वाला संदेशखाली गांव सुर्खियों में है. संदेशखाली में कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इसके केंद्र में टीएमसी का स्थानीय नेता शाहजहां शेख है. शाहजहां शेख डेढ़ महीने से फरार है.

टीएमसी नेता शाहजहां शेख डेढ़ महीने से फरार है. टीएमसी नेता शाहजहां शेख डेढ़ महीने से फरार है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:42 PM IST

कालिंदी नदी के किनारे बसा संदेशखाली गांव बीते डेढ़ महीने से सुर्खियों में बना हुआ है. संदेशखाली गांव पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में पड़ता है.

संदेशखाली के अचानक सुर्खियों में आने की वजह शेख शाहजहां हैं. बीती पांच जनवरी को जब ईडी शाहजहां के घर पर छापामारी करने पहुंची थी, तब टीम पर हमला हो गया था. इसमें ईडी के तीन अफसर जख्मी हो गए थे.

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अब संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां और उसके समर्थकों पर अत्याचार, यौन उत्पीड़न करने और जमीन कब्जाने जैसे आरोप लगाए हैं. एक महिला ने दावा किया कि संदेशखाली में महिलाएं सुरक्षित नहीं रह सकतीं. हम बाहर जाने से भी डरते हैं. एक महिला ने तो ये तक आरोप लगा दिया कि टीएमसी के लोग गांव में घूमकर घर-घर जाकर सुंदर महिलाओं को चेक करते हैं.

संदेशखाली के आरोपियों में टीएमसी के तीन नेताओं- शाहजहां शेख, शिबू हजारा और उत्तम सरकार का नाम है. शिबू हजारा और उत्तम सरकार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वहीं, जिस दिन ईडी की टीम शाहजहां के घर पर छापामारी करने गई थी, तभी से वो फरार है. 

संदेशखाली की महिलाओं ने जो आरोप लगाए हैं, उस पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया है. महिला आयोग का कहना है कि संदेशखाली से आ रही रिपोर्टें चिंता बढ़ाती हैं. ये महिलाओं के खिलाफ हिंसा और धमकी के पैटर्न का उजागर करती हैं. 

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महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने संदेशखाली का दौरा भी किया. दौरे के बाद उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए.

ममता बोलीं- बीजेपी का प्राइमरी टारगेट है शाहजहां

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शाहजहां का बचाव किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र की बीजेपी सरकार का 'प्राइमरी टारगेट' शाहजहां है.

उन्होंने दावा किया कि संदेशखाली में स्थानीयों को बरगलाने और हिंसा को भड़काने के लिए दूसरी जगह से बीजेपी कार्यकर्ताओं को यहां लाया गया था. उनका प्राइमरी टारगेट शेख शाहजहां है. उन्होंने उसके पीछे ईडी की टीम लगाई.

ममता ने आरोप लगाया कि बीजेपी यहां आदिवासी और मुस्लिमों के बीच संघर्ष की झूठी धारणा बना रही  है. 

पर ये शाहजहां शेख कौन हैं?

संदेशखाली में शाहजहां की पहचान टीएमसी के ताकतवर और प्रभावशाली नेता के तौर पर है. वो इस समय टीएमसी में संदेशखाली यूनिट का अध्यक्ष है. बताया जाता है कि इलाके में किसी सांसद या विधायक से ज्यादा ताकत और लोकप्रिय शाहजहां है.

लेकिन शाहजहां के लिए ये सब हमेशा से नहीं था. बताया जाता है कि इलाके में शाहजहां को 'भाई' भी कहा जाता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2000 के दशक तक शाहजहां ने कभी कंडक्टर का काम किया तो कभी सब्जियां बेचीं. कभी उसने ट्रेकर ड्राइवर के रूप में भी काम किया था.

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उसकी पढ़ाई-लिखाई के बारे में ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है. पंचायत चुनाव के लिए दायर अपने कागजातों में शाहजहां ने पढ़ाई-लिखाई वाला कॉलम खाली छोड़ दिया था.

सियासत में ऐसे हुई एंट्री

शाहजहां शेख के चाचा मोस्लेम शेख संदेशखाली में सीपीएम के ताकतवर नेता थे. वो पंचायत प्रमुख भी रह चुके थे. चाचा की बदौलत ही शाहजहां की सियासत में एंट्री हुई. 

चाचा की देखरेख में शाहजहां ने पहले मछली का कारोबार संभाला. इसके बाद शाहजहां की शानो-शौकत बढ़ने लगी. अपने चाचा की मदद से उसने इलाके में अपनी पकड़ मजबूत की. 

बताया जाता है कि शाहजहां ने अपने कारोबार के लिए इलाके के सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को काम पर रखा. उन्हें मोबाइल और बाइक दिलाई. बेटी की शादी पर गरीब परिवारों की मदद की. अंतिम संस्कार के लिए पैसे दिए. स्थानीय लोग अपने पारिवारिक विवाद सुलझाने के लिए भी शाहजहां के पास जाते हैं. बताया जाता है कि वो जमीन से जुड़े विवादों को भी सुलझाता है. इन्हीं सबकी बदौलत धीरे-धीरे शाहजहां यहां के लोगों के लिए 'मसीहा' बन गया.

शाहजहां पहले सीपीएम में ही था. लेकिन 2011 में राज्य की सत्ता से सीपीएम बेदखल हो गई. ममता बनर्जी की अगुवाई में टीएमसी की सरकार बनी. सत्ता बदलते ही शाहजहां ने भी अपना पाला बदल लिया. वो 2013 में टीएमसी में आ गया.

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2018 में शाहजहां सरबेरिया अगरहाटी ग्राम पंचायत का डिप्टी हेड बन गया. उसका छोटा भाई भी टीएमसी में है. 

न्यूज एजेंसी पीटीआई को टीएमसी के एक स्थानीय नेता ने बताया कि इलाके में शाहजहां का डर भी है और सम्मान भी. कुछ लोगों के लिए वो मसीहा है तो विरोधी उसे आतंक फैलाने वाला कहते हैं. इलाके में उसकी छवि रॉबिनहुड की है.

17 गाड़ियां, 14 एकड़ जमीन

साल 2023 में पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव के दौरान शाहजहां शेख ने हलफनामा दायर किया था. इसमें उसने बताया था कि उसके पास 17 गाड़ियां और 14 एकड़ जमीन है. इस जमीन की कीमत 4 करोड़ रुपये है.

उसके पास 2.5 करोड़ रुपये की गोल्ड ज्वैलरी भी है. इसके अलावा एक बैंक अकाउंट में 1.92 करोड़ रुपये भी जमा हैं. अपने हलफनामे में शाहजहां ने खुद को कारोबारी बताया था. उसने अपनी सालाना कमाई 20 लाख रुपये बताई थी.

कई क्रिमिनल केस हैं दर्ज

शाहजहां के ऊपर कई क्रिमिनल केस भी दर्ज हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद संदेशखाली में बीजेपी और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस हिंसा में दोनों ओर के कई लोगों की मौत हो गई थी. मामले में दर्ज एफआईआर में शाहजहां का नाम भी था.

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इतना ही नहीं, शाहजहां पर जमीनें हड़पने और महिलाओं के यौन शोषण का आरोप भी है. पुलिस ने अभी संदेशखाली के मौजूदा तनाव पर जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें गैंगरेप की धारा भी जोड़ी है. 

कई सारे क्रिमिनल केस होने के बावजूद बाल तस्करी रोकने में शाहजहां की अहम भूमिका रही है. 2019 में सरबेरिया अगरहाटी ग्राम पंचायत को 'चाइल्ड फ्रेंडली ग्राम पंचायत' से नवाजा गया था.

टीएमसी के लिए कितना जरूरी है शाहजहां?

साल 2004 में ईंट भट्टों में काम करने वाले मजदूरों के यूनियन का नेता बनकर राजनीतिक पारी शुरू की थी. बाद में 2006 में वो सीपीएम की लोकल यूनिट से जुड़ गया.

अपने भाषणों के चलते 2012 में वो टीएमसी नेताओं की नजरों में आया. और बाद में वो टीएमसी में आ गया. बताया जाता है कि मुकुल रॉय और ज्योतिप्रियो मलिक जैसे टीएमसी नेताओं की छत्रछाया में वो रहा. जल्द ही वो ज्योतिप्रियो मलिक का करीबी बन गया.

पश्चिम बंगाल के राशन घोटाले में ज्योतिप्रियो मलिक का नाम भी है. इसी सिलसिले में ईडी की टीम शाहजहां के घर पर छापामारी करने गई थी.

माना जाता है कि संदेशखाली में शाहजहां के चलते ही टीएमसी का दबदबा है. पिछले साल हुए पंचायत चुनाव में शाहजहां की अहम भूमिका रही थी. इससे पहले 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने शाहजहां को संदेशखाली का कन्वेनर बनाया था.

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फिलहाल, शाहजहां उत्तर 24 परगना जिला परिषद में फिशरीज एंड एनिमल हसबेंड्री डिपार्टमेंट का कर्माध्यक्ष है. वो संदेशखाली में टीएमसी का ब्लॉक अध्यक्ष भी है.

महिलाओं ने क्या आरोप लगाए हैं?

हाल ही में संदेशखाली का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वायरल वीडियो में एक महिला ये आरोप लगाते हुए सुनाई पड़ती है कि टीएमसी के लोग घर-घर जाकर चेक करते हैं और फिर महिलाओं को पार्टी ऑफिस ले जाया जाता है. रातभर उन महिलाओं को वहीं पर रखा जाता है. और सुबह छोड़ दिया जाता है.

संदेशखाली की एक स्थानीय महिला ने आजतक बंगला को बताया, 'वो हमारे साथ गलत बर्ताव करते हैं. महिलाएं यहां सुरक्षित नहीं रह सकतीं. मेरे पति गांव में बैंक कियोस्क चलाते हैं. वो मुझे अक्सर कहते हैं कि इन नेताओं की नजर पैसों पर है. वो अक्सर कहते हैं कि हम यहां ज्यादा समय तक नहीं जी पाएंगे.'

10 फरवरी की एक घटना को याद करते हुए वो बताती हैं, 'रात के 3 बजे 20-30 लोग पुलिस के साथ हमारे घर पर आए. उन्होंने घर के दरवाजे पर बहुत जोर से लात मारी, खिड़कियां तोड़ दीं. मेरे बाल पकड़कर मुझे खींचा और मेरी बेटी को मुझसे छीनकर दूर फेंक दिया.'

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने संदेशखाली का दौरा किया है. दौरे के बाद उन्होंने कहा, 'संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. मैंने इतना दर्द इससे पहले कभी नहीं देखा. वो डरी हुई हैं. यहां के हालात बहुत खराब हैं. महिलाएं मेरे सामने रो रही हैं. मैं पूरा दिन उनके साथ थी. यहां के लोग डर के मारे अपनी बेटियों को कहीं और भेज रहे हैं.'

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कुछ दिन पहले रेखा शर्मा ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया था कि गुंडों और पुलिस से लोग डरे हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि पुलिस पीड़ित महिलाओं की शिकायत दर्ज करने के बजाय उनके ही रिश्तेदारों पर केस दर्ज कर रही है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी महिलाओं के साथ इसी तरह व्यवहार करती हैं.

बहरहाल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संदेशखाली में माहौल बिगाड़ने का आरोप बीजेपी पर लगाया है. बीजेपी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है. वहीं, पीड़ित महिलाएं इंसाफ की राह तक रही हैं.

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