
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन पत्रों की जांच पूरी हो चुकी. वैध न पाने जाने पर इसमें कई नामांकन खारिज भी हुए. इसी में एक नाम है मौलाना सरजन बरकती का. आजादी चाचा के नाम से मशहूर बरकती के नॉमिनेशन रद्द होने को लेकर घाटी के कई नेताओं ने काफी हल्ला मचाया. दलील थी कि टैरर फंडिंग के ही आरोप में जेल में बंद इंजीनियर राशिद को जब इलेक्शन लड़ने का मौका मिला, तो बरकती को किसलिए रोका गया?
धारा 370 हटने के बाद से जम्मू कश्मीर में पहली बार असेंबली इलेक्शन होने जा रहे हैं. फिलहाल वहां तीन चरणों में सितंबर से लेकर अक्टूबर की शुरुआत तक वोटिंग होगी. लंबे समय बाद चुनाव की वजह से वहां के राजनैतिक माहौल की धमक दिल्ली तक सुनाई दे रही है.
इस नेता का नामांकन हुआ रिजेक्ट
इसी बीच कई अलगाववादी नेता भी मैदान भी हैं. इन्हीं में से एक नाम है मौलवी सरजन बरकती का. घाटी के भीतर देश विरोधी माहौल बनाने और टैरर फंडिंग के आरोप में बरकती जेल में हैं. वहीं उनके परिवार ने उनका नामांकन दाखिल किया जो तुरंत रद्द भी कर दिया गया.
मामले की तुलना कश्मीर के ही सेपरेटिस्ट लीडर इंजीनियर राशिद उर्फ अब्दुल राशिद से होने लगी. उत्तर कश्मीर से दो बार एमएलए रह चुके राशिद पिछले पांच सालों से वे यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) के चार्ज में तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं. राशिद के जेल में रहते हुए ही उनके परिवार ने उनका नामांकन भरा और चुनाव प्रचार भी किया, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली.
इसी तर्ज पर विधानसभा के लिए बरकती के परिवार ने भी उनका नामांकन भरा. ये शख्स साल 2016 के प्रदर्शनों में सबसे बड़ा नाम थे. याद दिला दें कि हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी, खासकर शोपियां और कुलगाम में काफी विरोध प्रदर्शन हुए थ, जो तीन महीने के करीब चले. इस दौरान बरकती सबसे आगे रहे. कश्मीर में अलगाववादी सोच को बढ़ाने वाले नेता को वहां के लोग अनूठे अंदाज और अलगाव पर नारों की वजह से आजादी चाचा भी कहा करते हैं.
लगभग सालभर पहले टैरर फंडिंग समेत कई देश-विरोधी गतिविधियों के लिए बरकती को जेल हुई. इससे पहले भी कश्मीर पुलिस ने 2016 में रैलियों के संबंध में उनके खिलाफ 30 मामले दर्ज किए हुए थे. कई बार गिरफ्तारी भी हुई लेकिन वे रिहा होते रहे.
कई और लोगों को भी किया गया खारिज
सरजन बरकती का नामांकन मंगलवार को उनकी बेटी ने दाखिल किया था. साथ ही शोपियां के लोगों से अपने पिता के लिए समर्थन मांगा था. लेकिन एक दिन के भीतर ही इलेक्शन कमीशन ने नॉमिनेशन रद्द कर दिया. यहां बता दें कि कई अलगावादी नेताओं को चुनाव आयोग की मंजूरी भी मिल चुकी. वहीं बरकती समेत लगभग 35 नामांकन रिजेक्ट हो गए. इनमें से कईयों पर दंगे भड़काने और देश-विरोधी ताकतों के साथ मेलजोल जैसे गंभीर आरोप लगे हुए हैं.
पूर्व सीएम ने जताया एतराज
बरकती के चुनावी दौड़ से निकलते ही घाटी में घमासान शुरू हो गया. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इलेक्शन कमीशन से नॉमिनेशन रद्द करने की वजह को सबसे बताने को कहा. मुफ्ती ने एक्स पर लिखा कि सरजन बरकती के विधानसभा नामांकन फॉर्म को अस्वीकार किए जाने की बात सुनकर तकलीफ हुई. चुनाव आयुक्त को इस फैसले की वजह को सार्वजनिक करना चाहिए.
क्या कहता है चुनाव आयोग
इस बीच इलेक्शन कमीशन बुधवार को बयान जारी करते हुए कहा कि बरकती का नॉमिनेशन रिजेक्ट हो गया क्योंकि वे शपथपत्र देने में असफल रहे थे. बता दें कि जम्मू एंड कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 के मुताबिक जेल की सजा काटते हुए चुनाव लड़ने के इच्छुक को सेंट्रल जेल श्रीनगर के सुपरिन्टेंडेंट के दस्तखत के साथ शपथपत्र या हलफनामा दाखिल करना होता है. बरकती को इसके लिए समय भी दिया गया लेकिन वे तय समय के भीतर जरूरत पूरी नहीं कर सके.
सबके लिए जरूरी शपथपत्र
हलफनामा वैसे हर तरह के उम्मीदवार को दाखिल करना होता है. ये नॉमिनेशन की प्रोसेस का ही हिस्सा है, जो एक तरह का कानूनी दस्तावेज है. इसे फॉर्म 26 कहते हैं. इसमें कैंडिडेट को रिश्ते, संपत्ति, देनदारियों, पढ़ाई-लिखाई जैसी बातों की जानकारी देनी होती है. साथ ही अगर कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड हो तो उसे भी साफ करना होगा. एफिडेविट का कोई भी कॉलम खाली नहीं छोड़ना होता. अगर किसी कॉलम में मांगी हुई जानकारी लागू नहीं होती तो वहां शून्य या लागू नहीं लिखना होता है.
अगर उम्मीदवार कोई गलत जानकारी दे या जानकारी न दे तो नामांकन रिजेक्ट भी हो सकता है. ये रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट के तहत आता है.