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मर्डर-किडनैपिंग का केस दर्ज, क्या अब इस समझौते की वजह से शेख हसीना को भारत से वापस जाना पड़ेगा?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दो केस दर्ज हो गए हैं. पहला केस मर्डर का है तो दूसरा किडनैपिंग का. इसके बाद अब बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भी उठने लगी है. ऐसे में जानते हैं कि क्या शेख हसीना का भारत में रहना अब मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच 11 साल पहले प्रत्यर्पण संधि हुई थी.

शेख हसीना पांच अगस्त से भारत में हैं. (फाइल फोटो-Reuters) शेख हसीना पांच अगस्त से भारत में हैं. (फाइल फोटो-Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:08 PM IST

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दो केस दर्ज हो गए हैं. पहला केस हत्या से जुड़ा है. जबकि, दूसरा मामला अपहरण से जुड़ा हुआ है. शेख हसीना के खिलाफ दो दिन में दो केस दर्ज हो गए हैं.

हत्या से जुड़े मामले में शेख हसीना के साथ-साथ उनकी पार्टी अवामी लीग के छह नेताओं को भी आरोपी बनाया गया है. 19 जुलाई को ढाका के मोहम्मदपुर इलाके में किराने की दुकान चलाने वाले अबु सईद की हत्या हो गई थी. उसकी हत्या छात्रों के प्रदर्शन के दौरान हुई थी. 

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वहीं, अपहरण का मामला सुप्रीम कोर्ट के वकील सोहेल राणा ने दर्ज करवाया है. सोहेल राणा का आरोप है कि 10 फरवरी 2015 को उनका अपहरण किया गया था. अपहरण कर उन्हें टॉर्चर किया गया और अगस्त में छोड़ा गया.

एक के बाद एक केस दर्ज होने के बाद अब सिर्फ शेख हसीना ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी बड़ी मुश्किल पैदा हो गई है. पांच अगस्त को इस्तीफा देने के बाद से ही शेख हसीना भारत में हैं.

भारत के लिए मुश्किल क्यों?

शेख हसीना का लंबे समय तक भारत में रहना परेशानी खड़ी कर सकता है. दरअसल, भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है. दोनों देशों के बीच जनवरी 2013 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे.

प्रत्यर्पण संधि के चलते बांग्लादेश की सरकार की मांग कर सकती है कि भारत शेख हसीना को गिरफ्तार कर उन्हें सौंपे, ताकि मुकदमा चलाया जा सके. दिलचस्प बात ये है कि 2009 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि को लेकर बातचीत आगे बढ़ी थी.

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दरअसल, भारत लंबे समय से ढाका की जेल में बंद अनूप चेतिया की प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. अनूप चेतिया असम के अलगाववादी संगठन उल्फा का नेता था. 1997 में उसे बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेश में घुसने पर गिरफ्तार किया गया था. 2013 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद नवंबर 2015 में अनूप चेतिया को भारत को सौंप दिया गया था. 

खैर, अब बांग्लादेश में अंतरिम सरकार है. मोहम्मद यूनुस उसके मुखिया हैं. ऐसे में शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भी उठने लगी है. बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन ने भारत से शेख हसीना को गिरफ्तार करने और उन्हें सौंपने की मांग की है.

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भारत में कब तक रहेंगी शेख हसीना?

पांच अगस्त से ही शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना भारत में हैं. जिस दिन उन्होंने इस्तीफा दिया था, उसी दिन शाम को वो भारत आ गई थीं. फिलहाल शेख हसीना और उनकी बहन किसी सिक्योर लोकेशन में हैं.

बताया जा रहा था कि शेख हसीना भारत से लंदन जा सकती हैं. हालांकि, अभी इसकी कोई संभावना नहीं है. ढाका ट्रिब्यून ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया है कि शेख हसीना अभी कुछ दिन और भारत में ही रहेंगी.

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माना जा रहा है कि शेख हसीना बहुत ज्यादा लंबे समय तक भारत में नहीं रहेंगी. क्योंकि अगर वो रुकती हैं तो उनके प्रत्यर्पण की मांग तेज हो सकती है. वो एक ऐसे देश में जा सकती हैं, जहां उनके प्रत्यर्पण की गुंजाइश कम हो या फिर न के बराबर हो.

शेख हसीना के लिए भारत सेफ क्यों नहीं?

फिलहाल शेख हसीना भारत में सेफ जगह पर हैं, लेकिन लंबे समय तक उनके लिए यहां रहना सेफ नहीं होगा. क्योंकि उनके खिलाफ केस दर्ज होते जा रहे हैं. ऐसे में बांग्लादेश की सरकार भारत पर उनको प्रत्यर्पित करने के लिए दबाव बना सकती है.

दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि में प्रावधान है कि अगर किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है जिसमें कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान है, तो उसे प्रत्यर्पित किया जाएगा.

संधि में लिखा हुआ है कि अगर किसी व्यक्ति ने राजनैतिक स्वरूप का कोई अपराध किया है तो उसके प्रत्यर्पण से इनकार भी किया जा सकता है. हालांकि हत्या, नरसंहार और अपहरण जैसे अपराधों में शामिल व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने से इनकार नहीं किया जा सकता.

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ऐसे में भारत क्या कर सकता है?

भारत से शेख हसीना के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं. अगर बांग्लादेश की सरकार की तरफ से प्रत्यर्पण की मांग की जाती है तो इससे भारत के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है. 

माना तो यही जा रहा है कि अगर इस तरह की मांग होती भी है तो भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है. शेख हसीना के प्रत्यर्पण से इनकार करने पर भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में खटास आ सकती है. इसके साथ ही बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना भी भड़क सकती है.

हालांकि, भारत की नीति रही है कि वो इस तरह की नाराजगी को नजरअंदाज कर अपने हितों को ऊपर रखता है. चीन की आपत्ति और 1962 की जंग के बावजूद भारत ने दशकों से दलाई लामा को शरण दे रखी है. इसी तरह 1992 से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति रहे मोहम्मद नजीबुल्लाह का परिवार भी भारत में ही रह रहा है.

वहीं, 2021 में जब अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान का कब्जा हो गया था तो कथित रूप से भारत ने राष्ट्रपति अशरफ गनी को शरण देने से मना कर दिया था. जुलाई 2022 में भारत ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया को भी शरण देने से मना कर दिया था. बाद में राजपक्षे मालदीव गए थे.

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क्या वापस लौटेंगी शेख हसीना?

फिलहाल, शेख हसीना बांग्लादेश की राजनीति का 'मोहरा' बन गई हैं. अब शेख हसीना का भविष्य काफी हद तक वहां की सेना पर भी निर्भर करता है. माना जा रहा है कि परवेज मुशर्रफ के साथ पाकिस्तानी सेना ने जैसा किया था, उसी तरह से बांग्लादेशी सेना शेख हसीना के साथ भी कर सकती है. पाकिस्तानी सेना की मदद से मुशर्रफ दुबई चले गए थे और अपनी मौत तक उन्होंने वहीं अपनी जिंदगी गुजारी. कुछ ऐसा ही बांग्लादेश की सेना भी ऑफर कर सकती है.

हालांकि, कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में गृह मामलों के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल (रिटायर्ड) एम सखावत हुसैन ने शेख हसीना से वापस लौटने की अपील की थी. 

हुसैन ने कहा था, शेख हसीना खुद से गई थीं और अब उन्होंने लौट आना चाहिए. लेकिन वापस आकर कोई हंगामा न करें, क्योंकि इससे लोग और ज्यादा नाराज होंगे. अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने भी कहा था कि शेख हसीना का भारत में रहना सही नहीं है.
 
हाल ही में शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने आजतक को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वो बांग्लादेश लौटना चाहती हैं. वाजेद ने कहा था कि उन्होंने किसी भी देश में शरण के लिए आवेदन नहीं किया है, वो जल्द ही बांग्लादेश लौटना चाहती हैं.

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