
जयपुर में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रेसिडेंट अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को उनके घर के भीतर ही अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी. आरोपियों की पहचान हो चुकी, लेकिन फिलहाल वे फरार चल रहे हैं. इधर ये पूरी वारदात सुखदेव के घर में लगे सीसीटीवी में कैद हो गई. पाया गया कि 20 सेकंड के अंदर 6 बार गोलियां चलाई गईं. घटना के बाद से जयपुर समेत राजस्थान के कई शहरों में तनाव भड़का हुआ है. करणी सेना के लोगों के कहने पर आज राजस्थान बंद है.
क्या है करणी सेना?
ये एक गैर-राजनैतिक संगठन है, जिसकी नींव साल 2006 में लोकेंद्र सिंह कालवी ने डाली थी. कालवी खुद को रानी पद्मिनी की 37वीं पीढ़ी से बताते थे. छह फुट से भी ऊंचे कालवी के कहने पर पूरा राजपूत समाज जमा हो जाता. जल्द ही उन्हें ये अहसास हुआ कि राजपूताना भावनाओं को मंच का रूप देना है तो एक संगठन बनाना होगा. इस तरह करणी सेना तैयार हुई, जिसका नाम करणी माता के नाम पर पड़ा.
फिलहाल कालवी तो नहीं हैं, लेकिन करणी सेना राजपूताना संगठन के तौर पर पूरे राजस्थान में फैल चुकी है. इसका दावा है कि ये राजपूताना गौरव को बनाए रखने का काम कर रही है.
क्यों पैठ है राजनैतिक दलों के बीच?
राजस्थान में राजपूतों की आबादी अच्छी-खासी है. करणी सेना अकेला बड़ा संगठन है जो राजपूतों को बांधे रखता है. खासकर राजपूत-बहुत इलाकों में इसकी काफी पैठ है. ऐसे में राजपूत वोटरों को लुभाने के लिए पार्टियां करणी सेना को खूब तवज्जो देती रहीं.
कहां-कहां है सेना के मानने वाले?
राजपूत-बहुल इलाकों, जैसे जयपुर के झोटवाड़ा, खातीपुरा, वैशाली और मुरलीपुरा में करणी सेना के लोग एक फोन या संदेश पर जमा हो जाते हैं. धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता ही चला जा रहा है. अब बिहार, उत्तर प्रदेश और यहां तक कि बिहार से सटे नेपाल के हिस्से में भी करणी सेना की मौजूदगी की बात हो रही है.
कब से हो रही है सेना पर बात?
पहली बार करणी सेना का नाम कुछ साल पहले आई पद्मावत फिल्म से चर्चा में आया. दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म को लेकर सेना ने आरोप लगाया कि इसकी स्टोरी लाइन से राजपूतों की आन-बान-शान को ठेस पहुंच रही है. सिनेमाघरों के सामने खूब बवाल मचा. पोस्टर जलाए गए. यहां तक कि कई जगहों पर फिल्म सिनेमा हॉल में नहीं आ सकी.
इसके अलावा करणी सेना ने तब भी काफी विरोध किया था, जब 10 लाख रुपए का इनामी बदमाश आनंदपाल सिंह मारा गया. ये राजपूत समुदाय से था. लोगों का आरोप था कि पुलिस में समर्पण के बाद भी सिंह का फेक एनकाउंटर कर दिया गया. अजकल हिंदुत्व के मुद्दे पर भी करणी सेना काम कर रही है, जिससे उसका नाम आता ही रहता है.
हो चुके हैं कई हिस्से
लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही गुट में खेमेबाजी भी होने लगी. सबका मकसद एक था, राजपूतों की शान बनाए रखना, लेकिन तरीके और अंदाज अलग-अलग था. कोई पद्मावत और जोधा-अकबर जैसी फिल्मों में राजपूत मर्यादा को दिखाने पर हमलावर था, तो किसी का कहना था कि हमें इसपर नहीं, बल्कि असल मुद्दों पर काम करना चाहिए. EWS आरक्षण बढ़ाने जैसे मामले पर भी विवाद था.
अंदरुनी कलह बढ़ने पर संगठन को 3 हिस्सों में बांट दिया गया. राजपूत करणी सेवा समिति, राजपूत करणी सेना और राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना- ये तीन हिस्से हो गए. तीनों ही गुट अपने तरीकों से एक ही काम पर फोकस करने लगे. राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना समिति के अध्यक्ष अजीत सिंह हैं, जबकि राजपूत करणी सेना को मार्च 2023 तक लोकेंद्र सिंह कालवी लीड कर रहे थे. कार्डियक अरेस्ट से उनकी मौत के बाद फिलहाल अध्यक्ष के नाम पर जानकारी सार्वजनिक नहीं हो सकी है.
गोगामेड़ी श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष थे. ये संगठन राजपूताना अस्मिता के साथ-साथ हिंदुत्व पर भी बात करता है. ऐसे में इसकी लोकप्रियता बाकियों से कुछ ज्यादा मानी जाती है.