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तमिलनाडु में बीजेपी और अन्नाद्रमुक का ब्रेकअप हो गया है. अन्नाद्रमुक ने बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया.
अन्नाद्रमुक और बीजेपी 2019 से साथ थे. पहले 2019 का लोकसभा चुनाव और फिर 2021 में विधानसभा चुनाव दोनों ने साथ मिलकर लड़ा था. हालांकि, फरवरी 2022 में स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी और अन्नाद्रमुक ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था.
बीजेपी से नाता तोड़ने का फैसला सोमवार को अन्नाद्रमुक की मीटिंग में लिया गया. ये मीटिंग पार्टी चीफ ईके पलानीस्वामी की अगुवाई में हुई थी.
पूर्व मंत्री और अन्नाद्रमुक के सीनियर नेता केपी मनुसामी ने बताया कि मीटिंग में एनडीए से अलग होने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ है. उन्होंने बताया कि 2024 का लोकसभा चुनाव अपनी जैसी सोच वाली पार्टियों के साथ मिलकर लड़ेगी.
इस फैसले का अन्नाद्रमुक में स्वागत हो रहा है. अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर इस फैसले का स्वागत किया. वहीं, पार्टी की ओर से X पर '#Nandri_Meendum Varatheergal' लिखा गया है. इसका मतलब होता है- थैंक्यू, दोबारा मत आना.
इस फैसले पर बीजेपी की ओर से अब तक कुछ साफ नहीं कहा गया है. तमिलनाडु बीजेपी के उपाध्यक्ष नारायण तिरुपति का कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व इस पर टिप्पणी करेगा.
दक्षिण भारत में अन्नाद्रमुक ही बीजेपी की एकमात्र सहयोगी पार्टी थी. लिहाजा बीजेपी के लिए ये झटका माना जा सकता है. इस बीच दोनों पार्टियों के बीच विवाद की जड़ तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष अन्नामलाई को भी माना जा रहा है.
अन्नामलाई... क्यों?
तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई को लेकर अन्नाद्रमुक नाराज चल रही थी. इसे लेकर अन्नाद्रमुक के नेताओं ने हाल ही में दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी की थी.
इस मीटिंग में अन्नाद्रमुक के नेताओं ने नड्डा को अन्नामलाई की ओर से की जा रही टिप्पणियों को लेकर चर्चा की थी.
मीटिंग में अन्नाद्रमुक ने अन्नामलाई की ओर से पूर्व सीएम अन्नादुरई पर दिए गए बयान पर माफी मांगने की मांग की थी. हालांकि, अन्नामलाई ने इस पर माफी नहीं मांगी.
अन्नाद्रमुक का आरोप था कि तमिलनाडु बीजेपी का नेतृत्व जानबूझकर अन्नादुरई, जयललिता और पलानीस्वामी को बदनाम कर रहा है.
सोमवार को एनडीए से अलग होने का जो प्रस्ताव पास हुआ है, उसमें व्यक्तिगत तौर पर तो किसी का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन बीजेपी के 'राज्य नेतृत्व' को दोषी ठहराया गया है.
वो बयान, जिससे बढ़ गई दूरियां!
हाल ही में अन्नामलाई में तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री अन्नादुरई को लेकर बयान दिया था. अन्नामलाई ने अन्नादुरई पर हिंदू धर्म को अपमान करने का आरोप लगाया था. और ये भी दावा किया था कि हिंदू धर्म का अपमान करने पर उन्हें मदुरै में छिपना पड़ा था और माफी मांगने के बाद ही वो बाहर आ सके थे.
दो हफ्ते पहले एक सम्मेलन में अन्नामलाई ने ये बयान दिया था. अन्नामलाई का दावा था कि जून 1956 में मदुरै के मीनाक्षी मंदिर में अन्नादुरई ने हिंदू धर्म का अपमान किया था.
उन्होंने कहा था कि उस समय स्वतंत्रता सेनानी और थेवर समुदाय के नेता पसुम्पोन मुथुरामलिंगा थेवर ही ऐसे थे जिन्होंने अन्नादुरई का विरोध किया था.
अन्नामलाई का दावा था कि इस टिप्पणी के बाद अन्नादुरई को मदुरै में छिपाकर रखा गया था और जब उन्होंने माफी मांगी तभी वो बाहर आ सके.
अन्नामलाई के इस बयान पर अन्नाद्रमुक ने आपत्ति जताई थी. अन्नाद्रमुक का कहना था कि अन्नादुरई और मुथुरामलिंगा अच्छे दोस्त थे. अन्नाद्रमुक ने इस बयान पर अन्नामलाई से माफी मांगने को कहा था.
हालांकि, इस पर अन्नामलाई ने कहा था कि अपनी बात को सच साबित करने के लिए उनके पास 1 से 4 जून 1956 के अखबार की प्रतियां हैं.
बीजेपी ने नहीं मानी अन्नाद्रमुक की शर्त!
अन्नामलाई की ओर से दिए जा रहे बयानों पर अन्नाद्रमुक ने कड़ी आपत्ति जताई थी. 18 सितंबर को अन्नाद्रमुक ने ऐलान किया था कि बीजेपी से पार्टी का गठबंधन नहीं है.
अन्नाद्रमुक ने अन्नामलाई पर 'गठबंधन धर्म' की हद पार करने का आरोप लगाया था. 22 सितंबर को अन्नाद्रमुक के सीनियर नेताओं ने दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मुलाकात की थी.
बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में अन्नाद्रमुक ने बीजेपी से अन्नामलाई के इस्तीफे की शर्त रखी थी. हालांकि, बीजेपी ने इसे माना नहीं.
कौन हैं अन्नामलाई?
अन्नामलाई का पूरा नाम अन्नामलाई कुप्पुस्वामी है. जुलाई 2021 में उन्हें तमिनलाडु बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया था.
अन्नामलाई का जन्म 1987 में तमिलनाडु के करूर में हुआ था. वो वेल्लाला गौंडर परिवार से ताल्लुक रखते हैं. यह तमिलनाडु की एक शक्तिशाली और काफी धनी ओबीसी जाति है और राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में इसकी मजबूत उपस्थिति है.
उन्होंने कोयंबटूर के पीएससी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक किया है और आईआईएम लखनऊ से एमबीए की पढ़ाई की है.
अन्नामलाई को कर्नाटक में 'सिंघम' के नाम से भी जानते हैं. सितंबर 2013 में उन्हें उडुपी (कर्नाटक) का एसीपी बनाया गया था. बाद में उन्हें साउथ बेंगलुरु के डीएसपी पोस्ट पर तैनात किया गया था.
29 मई 2019 को अन्नामलाई ने पुलिस से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देते समय उन्होंने कहा था, पुलिस सेवा में मुझे जो करना था, वो मैंने हासिल कर लिया है. अब आगे का सफर तय करूंगा.
25 मई 2020 को अन्नामलाई बीजेपी में शामिल हो गए. 11 महीने बाद ही उन्हें तमिलनाडु बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया गया. उन्होंने उसी साल अरवाकुरुच्ची सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे.
अन्नामलाई को क्यों नहीं छोड़ रही बीजेपी?
दक्षिण भारत में बीजेपी मजबूत स्थिति में नहीं है. मोदी लहर के बावजूद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी बहुत कुछ खास नहीं कर पाई थी.
बीजेपी का मानना है कि अगर तमिलनाडु में पकड़ बनानी है तो युवाओं को साथ लाना होगा. अन्नामलाई इसमें फिट बैठते हैं. वो अभी 37 साल के हैं.
इसके अलावा, अन्नामलाई वेल्लाला गौंडर जाति से आते हैं. इस जाति का चुनाव में रणनीतिक महत्व है. बीजेपी का फोकस इन्हीं वोटर्स पर है.
जिस समाज से अन्नमलाई आते हैं, उसी से पलानीस्वामी भी आते हैं. अन्नमलाई के जरिए बीजेपी पलानीस्वामी के वोट बैंक में सेंधमारी करना चाहती है.