
कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के करीब टाइटैनिक का मलबा दिखाने के लिए गई सबमरीन चर्चा में है. कंपनी ओशनगेट एक्सपेडिशन्स के संचालन में पनडुब्बी समुद्र के नीचे गोता लगाकर मलबा देखने गई थी, लेकिन लगभग डेढ़ घंटों के बाद उसका संपर्क टूट गया. बचाव अभियान में जुटे लोगों का कहना है कि हर घंटे के साथ खतरा बढ़ रहा है क्योंकि वैसल में उतनी ही ऑक्सीजन बाकी है, जितनी गुरुवार रात तक चल जाए.
पनडुब्बी में सारे के सारे ऐसे लोग सवार हैं, जो अरबपति हैं या ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वे सभी टाइटैनिक टूरिज्म का हिस्सा बनने के लिए गहरे समंदर में गए थे. टाइटन नाम की पनडुब्बी समुद्र में 13 हजार फीट का गोता लगाकर उस जगह पहुंचती है, जहां साल 1912 में टाइटैनिक नाम का जहाज डूबा था.
इस जहाज के बारे में माना जा रहा था कि वो अनसिंकेबल रहेगा, यानी कभी नहीं डूबेगा. खूब जोरशोर से इसका विज्ञापन हुआ. लेकिन अपनी पहली ही यात्रा के दौरान जहाज एक आइसबर्ग से टकराया और एक साथ 15 सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई. सालों तक टाइटैनिक के डूबने पर बात होती रही, फिर चैप्टर बंद हो गया.
साल 1985 में न्यूफाउंडलैंड के तट के पास जहाज का मलबा मिला. डूबने के 70 सालों बाद भी टाइटैनिक का जादू उतरा नहीं था. लोग इसकी कहानियां कहते. इसपर फिल्म बनी. अब उसका मलबा भी चर्चाओं में आ गया. लोग उसे एक बार देखने के लिए लाखों-करोड़ों रुपए देने की बात करने लगे. इसी मौके को साल 2021 में ओशनगेट कंपनी ने भुनाया और टाइटैनिक टूरिज्म की शुरुआत हुई.
ये एक अमेरिकी कंपनी है, जो रिसर्च के लिए पनडुब्बियां बनाती हैं. टाइटैनिक टूरिज्म के लिए उसने एक खास पनडुब्बी तैयार की, जिसे नाम दिया टाइटन. कंपनी की वेबसाइट पर दावा है कि वो 13 हजार से कुछ ज्यादा फीट की गहराई तक आसानी से गोता लगा सकती है. जहाज का मलबा अटलांटिक में साढ़े 12 हजार फीट नीचे पड़ा है, लिहाजा पनडुब्बी के जरिए इस तक पहुंचा जा सकता है.
टाइटैनिक के मलबे तक जाने की यात्रा को पूरी तरह सेफ बनाने के लिए पनडुब्बी को कई बार टेस्ट डाइव करवाया गया. लगभग 10 हजार किलोग्राम वजनी इस वैसल में 90 घंटों के लिए ऑक्सीजन भी रखी गई ताकि इमरजेंसी में काम आ सके. टाइटन के बारे में कंपनी ने यहां तक दावा किया कि फिलहाल गहरे पानी में जाने के लिए इससे सुरक्षित कोई वैसल नहीं.
पांच लोगों की सवारी वाली पनडुब्बी में वो प्रति व्यक्ति लगभग 2 करोड़ रुपए चार्ज करने लगी. यात्रा 8 दिनों की होती, जो न्यूफाउंडलैंड से शुरू होकर वहीं खत्म होती.
समय-समय पर कंपनी टाइटन के जरिए नीचे जाती और टाइटैनिक के फुटेज भी जारी करती है. साल 2022 की फुटेज में समुद्र के भीतर जहाज का तिरछा कोना, एंकर चेन और कुछ बर्तन दिख रहे थे. इससे पहले वहां एक लंच मेन्यू भी था, जो जहाज में पहली श्रेणी के यात्री के लिए रहा होगा. कई शेविंग किट्स और तंबाखू पीने के पाइप भी मलबे का हिस्सा रहे थे.
माना जा रहा है कि मलबे में लगातार कमी आ रही है. इसकी एक वजह खुद समुद्र है. इसमें मौजूद बैक्टीरिया लोहे को भी खा सकते हैं. इसी वजह से मलबे में लगातार छेद हो रहा है और वो घटता जा रहा है. एक्सपर्ट्स यहां तक मान रहे हैं कि अगले 10 से 15 सालों के भीतर ये मलबा पूरी तरह से गायब हो जाएगा.
यही वजह है कि टाइटैनिक टूरिज्म अमीर सैलानियों को ज्यादा खींचता रहा. वे एक ऐसे सफर का हिस्सा बनना चाहते हैं, जो किसी ने नहीं किया. ये अलग बात है कि इसका असर भी मलबे पर होगा. वो और तेजी से खत्म होने लगेगा. इसी बात को रोकने के लिए नवंबर 2019 में यूके-यूएस की सरकार ने एक संधि पर दस्तखत किए. इसके तहत ये देश किसी भी नई कंपनी को टाइटैनिक का मलबा दिखाने का लाइसेंस नहीं देंगे.
फिलहाल तक पनडुब्बी के बारे में क्या पता लगा?
टाइटन सबमरीन उत्तरी अटलांटिक में गायब हो गई. तब इसने लगभग डेढ़ घंटे की ही दूरी तय की थी. इसके बाद से कनाडा और अमेरिका लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए हुए हैं. कुछ ही समय पहले एक बचाव दल ने दावा किया कि उन्हें पानी के भीतर से कुछ आवाजें सुनाई दी हैं. ये शोर सबमरीन का भी हो सकता है, ये मानते हुए खोज अभियान और तेजी से चल रहा है.