
ट्विटर पर ब्लू टिक के लिए अब पैसा खर्च करना होगा. ट्विटर के नए बॉस एलॉन मस्क ने साफ कर दिया है कि ब्लू टिक के लिए हर महीने 8 डॉलर देने ही होंगे. इसकी आलोचना भी हो रही है, लेकिन मस्क ने एक ट्वीट कर कहा है, 'शिकायत करने वालों से यही कहूंगा कि कितनी भी शिकायत करते रहो, लेकिन ब्लू टिक के लिए 8 डॉलर तो खर्च करने ही पड़ेंगे.'
एलॉन मस्क ने 27 अक्टूबर को ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया था. ये डील 44 अरब डॉलर (3.65 लाख करोड़ रुपये) में हुई थी. ट्विटर के बॉस बनते ही एलॉन मस्क ने सीईओ पराग अग्रवाल समेत 4 बड़े अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया था.
फर्जी अकाउंट्स को लेकर सही कार्रवाई न करने पर कंपनी पर जब मुकदमा चला, तब 2009 में ट्विटर 'ब्लू टिक' का सिस्टम लेकर आई थी. अब तक यूजर्स को फ्री में ही ब्लू टिक मिलता था.
पर अब पैसा देना होगा. लेकिन ऐसा क्यों किया? इसका कारण बताते हुए मस्क ने कहा कि स्पैम और स्कैम से निपटने के लिए ये जरूरी था. साथ ही ट्विटर को रेवेन्यू भी मिलेगा.
कितना कमा सकती है इससे ट्विटर?
एलॉन मस्क के सामने सबसे बड़ी चुनौती कंपनी की आमदनी बढ़ाना है. ट्विटर कई सालों से घाटे में ही चल रही है.
इसी साल जून तिमाही में कंपनी को 270 मिलियन डॉलर यानी 2,200 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. जबकि, पिछले साल 221 मिलियन डॉलर (1,800 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था. ट्विटर की तुलना में मेटा (फेसबुक) ने पिछले साल 46,753 मिलियन डॉलर (3.88 लाख करोड़ रुपये) की कमाई हुई थी.
रेवेन्यू के मामले में भी ट्विटर और मेटा की कोई तुलना नहीं है. पिछले साल मेटा ने करीब 10 लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट किया था. वहीं, ट्विटर को 42 हजार करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था.
अब ट्विटर पर ब्लू टिक के लिए जब पैसे देना होगा, तो इससे उसकी कमाई भी बढ़ेगी. अनुमान है कि ट्विटर के डेली एक्टिव यूजर्स की संख्या 45 करोड़ से ज्यादा है. इनमें से लगभग 4.5 लाख लोग ऐसे हैं जिनके पास ब्लू टिक है. मस्क के ऐलान के बाद बहुत से यूजर्स ऐसे हैं जिनका कहना है कि वो पैसे नहीं देंगे. लेकिन अगर इनमें से 2 लाख यूजर्स भी पैसा खर्च करते हैं तो हर महीने ट्विटर को 13 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हो सकती है.
कहां से कितना कमाती है ट्विटर?
ट्विटर और मेटा में बहुत ज्यादा अंतर है. ट्विटर के पास एक ही सोशल मीडिया कंपनी है. जबकि मेटा में फेसबुक के अलावा इंस्टाग्राम, मैसेंजर, वॉट्सऐप और दूसरी सर्विसेस हैं. इसके अलावा मेटा के पास ऑग्मेंटेड और वर्चुअल रियलिटी से जुड़ी सर्विसेस और प्रोडक्ट्स भी हैं. यही कारण है कि मेटा का रेवेन्यू ट्विटर से कई गुना ज्यादा है.
ट्विटर की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, उसे सिर्फ दो तरह से कमाई होती है. पहला- एडवर्टाइजिंग से और दूसरा- डेटा लाइसेंसिंग से. एडवर्टाइजिंग का मतलब प्रमोटेड कंटेंट, प्रमोटेड प्रोडक्ट्स है. जबकि, डेटा लाइसेंसिंग यानी कंपनी यूजर्स का कुछ डेटा बेचती है ताकि उन्हें उनकी पसंद के विज्ञापन दिखाए जा सकें.
पिछले साल कंपनी का कुल रेवेन्यू 5 बिलियन डॉलर (42,160 करोड़ रुपये) रहा था. इसमें से एडवर्टाइजिंग से 4.6 बिलियन डॉलर (37,410 करोड़ रुपये) और डेटा लाइसेंसिंग से 0.51 बिलियन डॉलर (4,750 करोड़ रुपये) का रेवेन्यू आया था. यानी, ट्विटर के रेवेन्यू में 89% हिस्सेदारी सिर्फ विज्ञापन की है.
ब्लू टिक के लिए पैसे देंगे तो हमें क्या मिलेगा?
एलॉन मस्क ने बताया कि ब्लू टिक के लिए जो यूजर्स पैसे देंगे, उन्हें रिप्लाई, मेंशन और सर्च में प्राथमिकता मिलेगी. विज्ञापन भी कम दिखाए जाएंगे. साथ ही लंबे वीडियो और ऑडियो पोस्ट करने की सुविधा भी मिलेगी.
ब्लू टिक के लिए भारतीय यूजर्स को कितना देना होगा? इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है. लेकिन एलॉन मस्क ने साफ किया है कि सभी देशों में इसका चार्ज अलग-अलग होगा.
हालांकि, एलॉन मस्क का ये फैसला कुछ नया नहीं है. ट्विटर में पहले से ही सब्सक्रिप्शन बेस्ड मॉडल रहा है, जिसे 'ट्विटर ब्लू' के नाम से जाना जाता है. इसका सब्सक्रिप्शन लेने पर भी यूजर्स को कई सारे फायदे मिलते थे. अब ट्विटर ब्लू का ही दायरा बढ़ा दिया गया है और इसमें ब्लू टिक को भी शामिल कर दिया है.