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आजमगढ़ में एयरपोर्ट का विरोध क्यों कर रहे हैं किसान, क्या है डिमांड?

आजमगढ़ में एयरपोर्ट को लेकर विरोध तेज होता जा रहा है. यहां के मंदुरी में एयरपोर्ट पहले से ही है, लेकिन इसे इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. किसानों का कहना है कि वो अपनी जमीन नहीं देना चाहते. लेकिन प्रशासन ने जमीन का सर्वे भी कर लिया है और उसकी रिपोर्ट भी सौंप दी है.

आजमगढ़ में एयरपोर्ट को लेकर विरोध हो रहा है. आजमगढ़ में एयरपोर्ट को लेकर विरोध हो रहा है.
राजीव कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में एयरपोर्ट को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है. आजमगढ़ के मंदुरी में एयरपोर्ट के एक्सपेंशन का विरोध हो रहा है. एक्सपेंशन के लिए गांव वालों की जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा और यही वजह है कि इसका विरोध हो रहा है. 

गांव वालों का कहना है कि उन्हें एयरपोर्ट की जरूरत नहीं है और एयरपोर्ट किसी दूसरी जगह शिफ्ट कर लिया जाए. दावा किया जा रहा है कि इसके लिए 8 गांव की 773 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. इससे करीब 25 हजार लोग प्रभावित होंगे.

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कहां बन रहा है एयरपोर्ट?

आजमगढ़ के जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर मंदुरी में ये एयरपोर्ट है. ये एयरपोर्ट करीब 104 एकड़ जमीन पर बना हुआ है.

योगी सरकार इसे इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की तैयारी में है. ये प्रदेश का 5वां इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा. 

2005 में यहां सिर्फ हवाई पट्टी हुआ करती थी, जिस पर विमान उतरा करते थे. नवंबर 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हवाई पट्टी का विस्तार करते हुए उसे एयरपोर्ट बनाने की घोषणा की.

अप्रैल 2019 में एयरपोर्ट बनाने के लिए बजट जारी हुआ और जल्द ही यहां एयरपोर्ट बन गया. बाद में इसे इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने के लिए जिला प्रशासन को जमीन के सर्वे का काम सौंपा गया.

फिर विरोध क्यों?

इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने के लिए इसका दायरा बढ़ाना जरूरी है. इसके लिए 8 गांव की करीब 773 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है.

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किसान नेता आज मंदुरी भी पहुंचे हैं. दावा किया जा रहा है कि अगर जमीन का अधिग्रहण होता है तो उसका असर करीब 25 हजार लोगों पर पड़ेगा.

जमीन का अधिग्रहण करने के लिए वहां के 80 फीसदी किसानों की सहमति जरूरी है. बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन ने जमीन का सर्वे भी कर लिया है और इसकी रिपोर्ट भी भेज दी है. इस रिपोर्ट में 80 फीसदी किसानों की सहमति होने की बात भी कही गई है.

लेकिन किसानों का कहना है कि वो अपनी जमीन नहीं देना चाहते हैं. यही वजह है कि इसका विरोध हो रहा है. सैकड़ों-हजारों की संख्या में गांव वाले और किसान विरोध कर रहे हैं. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं.

 

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