
क्या ऑनलाइन गेमिंग के जरिए भी किसी का धर्मांतरण किया जा सकता है? ये सुनने में शायद अजीब लगे, लेकिन ऐसा हुआ है. और वो भी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में. यहां ऑनलाइन गेमिंग के जरिए एक नाबालिग बच्चे का धर्मांतरण करने का मामला सामने आया है.
इस मामले में गाजियाबाद पुलिस ने मस्जिद के एक मौलवी को गिरफ्तार किया है. जबकि, एक दूसरे आरोपी की तलाश में छापेमारी की जा रही है.
बताया जा रहा है कि जिस मौलवी को गिरफ्तार किया गया है, उसने भी धर्मांतरण के आरोपों को कबूल कर लिया है. इस बीच ये भी सामने आया है कि देशभर में 400 से ज्यादा बच्चों को टारगेट करने की साजिश रची जा रही थी.
इतना ही नहीं, अब इस मामले में नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने आईटी मंत्रालय को पत्र लिख ऑनलाइन गेम फोर्टनाइट और मैसेजिंग ऐप डिस्कॉर्ड पर जांच की मांग की है.
कैसे खुला ये सारा मामला?
- ऑनलाइन धर्मांतरण का खुलासा तब हुआ, जब गाजियाबाद के एक शख्स ने मौलवी और एक अन्य व्यक्ति पर अपने बेटे का जबरन धर्मांतरण करवाने का आरोप लगाया.
- शख्स ने आरोप लगाया कि उसका ऑनलाइन गेम के जरिए मुंबई के रहने वाले बद्दो के संपर्क में आया था. इसके बाद उसके बेटे का इस्लाम की तरफ झुकाव होने लगा. उनके बेटे ने उन्हें बताया कि बद्दो के कहने पर उसने इस्लाम कबूल कर लिया है.
- पिता ने अपनी शिकायत में उस मस्जिद के मौलवी का नाम लिया था, जिस मस्जिद में उसका बेटा नमाज पढ़ने जाता था.
- ये खेल तब खुला जब हिंदू परिवार ने अपने बच्चे के धर्मांतरण की शिकायत पुलिस से की. परिवार को बच्चा नमाज पढ़ते मिला था. बच्चे ने कहा कि घर से निकालोगे तो मस्जिद में रह लूंगा. उसकी बातें सुनकर परिवार पुलिस के पास पहुंचा.
कैसे होता था ये सारा खेल?
- बहला-फुसलाकर बच्चों का धर्मांतरण करने का ये सारा खेल दो स्टेप में होता था. पहली स्टेप थी- बच्चों के साथ ऑनलाइन गेम खेलना. दूसरी स्टेप में बच्चों से ऐप के जरिए चैटिंग करना और इस्लाम के फायदे बताना.
- पहली स्टेप में होता ये था कि शॉर्ट हैंडलर हिंदू नामों से आईडी बनाते थे. फिर हिंदू बच्चों को 'Fortnite' खेलने के लिए उकसाते थे. असली खेल तब शुरू होता था जब बच्चा गेम हार जाता.
- बच्चे को कहा जाता कि वो कुरान की आयत पढ़े तो जीत जाएगा. बच्चा आयत पढ़कर गेम खेलता तो साजिश के तहत उसे जितवा दिया जाता. इस तरह बच्चे का मुस्लिम धर्म की तरफ झुकाव बढ़ जाता.
- इसके बाद दूसरी स्टेप शुरू होती. बच्चे से 'Discord' ऐप के जरिए चैटिंग की जाती. बच्चे का भरोसा जीता और उसको इस्लाम की जानकारी दी जाती. धीरे-धीरे बच्चे को जाकिर नाईक और तारिक जमील के वीडियो दिखाए जाते. उन्हें इस्लाम कबूलने के लिए बहकाया जाता.
आखिरी स्टेप- एफिडेविट बनवाना
- जब बच्चे का इस्लाम की तरफ झुकाव बढ़ जाता और वो मुस्लिम बनने को तैयार हो जाता, तो आखिरी में उससे एक एफिडेविट बनवाया जाता. इस एफिडेविट में बच्चे से लिखवाया जाता कि वो अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल कर रहा है.
मौलवी ने क्या बताया?
- इस मामले में चार दिन पहले पुलिस ने गाजियाबाद में संजय नगर की एक मस्जिद के मौलवी को गिरफ्तार किया है. मौलवी का नाम अब्दुल रहमान है.
- बताया जा रहा है कि पुलिस पूछताछ में मौलवी ने नाबालिग लड़कों के रेडिकलाइजेशन की बात कबूल की है. उसने खुलासा किया है कि वो गैर-मुस्लिम लड़कों को इस्लाम के बारे में जानकारी देता था.
- अब्दुल ने बताया कि एक साल पहले इलाके के दो लड़कों से उसकी जान-पहचान हुई थी. दोनों लड़के उसकी बात से प्रभावित हो गए थे और मस्जिद में नमाज पढ़ने लगे थे.
पूरा प्लान क्या था?
- आशंका जताई जा रही है कि ऑनलाइन गेमिंग के जरिए देशभर में 300 से 400 बच्चों को निशाना बनाया गया है.
- गाजियाबाद के मामले में जिस बद्दो का नाम सामने आया है, उसका असली नाम शाहनवाज बताया जा रहा है. शाहनवाज की तलाश में छापेमारी की जा रही है. उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है.
- पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपी शाहनवाज धर्मांतरण के बाद बच्चों को दुबई के जरिए ले जाने की फिराक में था. पुलिस को मिली ग्रुप चैट से खुलासा हुआ है कि वो उन्हें फ्री में हवाई सफर से दुबई ले जाने वाला था.
- पुलिस अब इस बात की जांच भी कर रही है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि दुबई ले जाने का लालच देकर शाहनवाज नाबालिग बच्चों के कुछ और दोस्तों के धर्म परिवर्तन की साजिश तो नहीं रच रहा था?
आखिर में बात धर्मांतरण रोधी कानून की
- संविधान के तहत, देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है और वो अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को अपना सकते हैं. लेकिन किसी की इच्छा के खिलाफ या जबरन धर्मांतरण करवाना अपराध है.
- जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर तो कोई कानून नहीं है. लेकिन कई राज्यों में इसे लेकर कानून है. उत्तर प्रदेश में भी योगी सरकार 2020 में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून लेकर आई थी.
- यूपी के धर्मांतरण रोधी कानून के तहत, बहला-फुसलाकर, जबरन, झूठ बोलकर या डरा-धमकाकर किसी का धर्मांतरण करवाने का दोषी पाए जाने पर एक से पांच साल तक की कैद और 15 हजार रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है. एससी-एसटी के मामले में दो से 10 साल की जेल और 25 हजार रुपये की जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
(इनपुटः हिमांशु मिश्रा, अरविंद ओझा)