
उत्तर प्रदेश की खाली हुईं 10 राज्यसभा सीटों के लिए मंगलवार को वोटिंग होगी. राज्यसभा का चुनाव शायद इतना दिलचस्प न होता, अगर बीजेपी ने अपना 8वां उम्मीदवार न उतारा होता. लिहाजा, अब 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं.
बीजेपी ने अपना 8वां उम्मीदवार नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख पर उतारा था. आठवीं सीट के लिए बीजेपी ने संजय सेठ को उतार दिया है.
इससे पहले 10 सीटों के लिए 10 ही उम्मीदवार थे. बीजेपी की ओर से 7 और समाजवादी पार्टी के 3. इन दसों की जीत भी लगभग तय मानी जा रही थी. लेकिन अब एक सीट पर पेच फंस गया है.
बीजेपी को अपना आठवां और समाजवादी पार्टी को अपना तीसरा उम्मीदवार जिताने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी.
कौन-कौन हैं मैदान में?
बीजेपी की ओर से कुल 8 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें सुधांशु त्रिवेदी, आरपीएन सिंह, अमरपाल मौर्या, तेजपाल सिंह, नवीन जैन, साधना सिंह, संगीता बलवंत और संजय सेठ हैं.
समाजवादी पार्टी ने तीन सीटों के लिए उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें जया बच्चन, आलोक रंजन और रामजी लाल सुमन हैं.
चुनाव जीतने का क्या है गणित?
ये समझने से पहले राज्यसभा में वोटिंग का फॉर्मूला समझ लेते हैं. होता ये है कि राज्यसभा चुनाव में राज्य की विधानसभा के विधायक वोट डालते हैं. विधान परिषद के सदस्य इसमें हिस्सा नहीं लेते हैं.
वोटिंग का फॉर्मूला ये है कि राज्य में जितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें 1 जोड़ा जाता है. फिर उसे कुल विधानसभा सीटों की संख्या से भाग दिया जाता है. इससे जो संख्या आती है, उसमें फिर 1 जोड़ दिया जाता है.
इसे ऐसे समझिए, यूपी में 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है. इसमें 1 जोड़ा तो होता है 11. यूपी में वैसे तो विधानसभा सीटों की संख्या 403 है, लेकिन मौजूदा समय में 4 सीटें खाली हैं, इसलिए 399 विधायक हैं. अब 399 से 11 का भाग दिया तो संख्या आई 36.272. जिसे 36 माना जाएगा. अब इसमें 1 जोड़ा तो संख्या आई 37. यानी, राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी.
राज्यसभा चुनाव के लिए सभी विधायक सभी उम्मीदवारों के लिए वोट नहीं करते हैं. एक विधायक एक ही बार वोट कर सकता है. उन्हें बताना पड़ता है कि पहली पसंद कौन है और दूसरी पंसद कौन है.
बीजेपी ने कैसे फंसा दिया पेच?
जब तक बीजेपी ने आठवां उम्मीदवार नहीं उतारा था, तब तक उसके सातों और समाजवादी पार्टी के तीनों उम्मीदवारों की जीत लगभग तय मानी जा रही थी. लेकिन आठवें के मैदान में आते ही पूरा खेल बदल गया.
दरअसल, विधानसभा में बीजेपी के 252 विधायक हैं. जबकि, बाकी 34 विधायक उसकी सहयोगी पार्टियों यानी एनडीए के हैं. दो विधायक राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के भी हैं. ये समय-समय पर सरकार के साथ ही खड़े नजर आए हैं. अगर इन्हें भी जोड़ लें तो बीजेपी के पास 288 विधायकों का समर्थन है.
लेकिन, बीजेपी को आठों उम्मीदवार जिताने के लिए 296 विधायकों के वोटों की जरूरत है. यानी, अभी भी बीजेपी को अपना आठवां उम्मीदवार जिताने के लिए 8 वोट कम पड़ रहे हैं.
इसी तरह, समाजवादी पार्टी को अपने तीनों उम्मीदवार जिताने के लिए 111 वोटों की जरूरत है. समाजवादी पार्टी के पास अपने 108 विधायक हैं. कांग्रेस के 2 और बसपा का 1 विधायक है.
लेकिन यहां दिक्कत है कि सपा विधायक इरफान सोलंकी जेल में हैं और वो वोट नहीं डाल सकेंगे. वहीं, सपा की एक और विधायक पल्लवी रंजन ने भी वोट देने से मना कर दिया है. इतना ही नहीं, बसपा के एक विधायक का वोट भी सपा उम्मीदवार को मिलने की संभावना न के बराबर है. इस तरह से सपा के पास 108 विधायकों का समर्थन ही मिलता दिख रहा है.
ये गणित देखें तो बीजेपी के 8 में 7 और समाजवादी पार्टी के 3 में से 2 उम्मीदवारों को जीतने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. मसला फंसेगा बीजेपी के आठवें और सपा के तीसरे उम्मीदवार पर.
फिर क्या है रास्ता?
माना जा रहा है कि इसके लिए परदे के पीछे से खेल हो रहा है. बीजेपी और समाजवादी पार्टी, दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए जुगाड़ कर रहे हैं.
हाल ही में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि बहुत से लोग अंतरआत्मा की आवाज पर वोट देंगे.
बीजेपी को अपना आठवां उम्मीदवार जिताने के लिए 8 और सपा को तीसरा उम्मीदवार जिताने के लिए 3 वोट कम पड़ रहे हैं. ऐसे में क्रॉस वोटिंग का अंदेशा भी बढ़ गया है. इतना ही नहीं, बीजेपी और सपा, दोनों ने ही ताकत भी झोंक दी है. एनडीए ने अपने सभी विधायकों की बैठक बुलाई है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी विधायकों को डिनर पर बुलाया है.
उधर, समाजवादी पार्टी भी विधायकों के साथ बैठक कर रही है. लेकिन उसके लिए अच्छी खबर नहीं है. बताया जा रहा है कि इस बैठक में 8 विधायक नहीं पहुंचे हैं. इनमें पूजा पाल, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, महारानी देवी, विनोद चतुर्वेदी, राकेश पांडेय, मनोज पांडेय और पल्लवी पटेल हैं.
ऐसे में मंगलवार को अगर क्रॉस वोटिंग होती है और बीजेपी को 8 वोट मिल जाते हैं तो उसका आठवां उम्मीदवार भी जीत जाएगा.