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वक्फ बोर्ड की बेहिसाब ताकतों को घटाने जा रही सरकार, किसी भी जमीन को नहीं बता सकेगा अपनी प्रॉपर्टी, जानें- Waqf Board कैसे करता है काम

साल 2013 में यूपीए सरकार ने मूल वक्फ एक्ट में बदलाव कर बोर्ड की ताकत और भी बढ़ा दी थी. बोर्ड को अगर लगे कि कोई जमीन उसकी है, तो उसे कोई सबूत नहीं देना होगा, बल्कि सारे दस्तावेज दूसरी पार्टी को देने होंगे, जो अब तक दावेदार रहा है. ऐसे में जिनके पास पक्के कागज नहीं, उनकी जमीन वक्फ के पास चली जाती रही.

वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए बिल आ सकता है. (Photo- Getty Images) वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए बिल आ सकता है. (Photo- Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST

केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने की सोच रही है. इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश होगा. मौजूदा वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधन हो सकते हैं. इसमें किसी भी जमीन को अपनी प्रॉपर्टी बताकर उसपर कब्जा कर सकने की वक्फ की पावर पर रोक लगेगी. सेंटर के इस प्रस्ताव का भारी विरोध हो रहा है. जानें, क्या है वक्फ बोर्ड और इसके पास कितनी ताकत है. 

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क्या है वक्फ का मतलब 

वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. वक्फ का मतलब है ट्रस्ट-जायदाद को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना. इस्लाम में ये एक तरह का धर्मार्थ बंदोबस्त है. वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है. 

कौन दे सकता है डोनेशन

कोई भी वयस्क मुस्लिम व्यक्ति अपने नाम की प्रॉपर्टी वक्फ के नाम कर सकता है. वैसे वक्फ एक स्वैच्छिक कार्रवाई है, जिसके लिए कोई जबर्दस्ती नहीं. इस्लाम में दान-धर्म के लिए एक और टर्म प्रचलित है, जकात. ये हैसियतमंद मुसलमानों के लिए अनिवार्य है. आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं.

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वक्फ बोर्ड कैसे बनता और काम करता है 

वक्फ के पास काफी संपत्ति है, जिसका रखरखाव ठीक से हो सके और धर्मार्थ ही काम आए, इसके लिए स्थानीय से लेकर बड़े स्तर पर कई बॉडीज हैं, जिन्हें वक्फ बोर्ड कहते हैं. तकरीबन हर स्टेट में सुन्नी और शिया वक्फ हैं. इनका काम उस संपत्ति की देखभाल, और उसकी आय का सही इस्तेमाल है. इस संपत्ति से गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना, मस्जिद या अन्य धार्मिक संस्थान को बनाए रखना, शिक्षा की व्यवस्था करना और अन्य धर्म के कार्यों के लिए पैसे देने संबंधी चीजें शामिल हैं.

सेंटर ने वक्फ बोर्डों के साथ तालमेल के लिए सेंट्रल वक्फ काउंसिल बनाया हुआ है. मिनिस्ट्री ऑफ माइनोरिटी अफेयर्स के तहत आने वाली सेंट्रल वक्फ काउंसिल की वेबसाइट पर बताया गया है कि देश में फिलहाल कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं. वहीं कुछ राज्यों जैसे बिहार और उत्तर प्रदेश में सुन्नी और शिया दोनों ही के अलग बोर्ड हैं. इससे उलट कई राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में फिलहाल कोई वक्फ बोर्ड नहीं. 

क्या है वक्फ कानून 

साल 1954 में नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसके बाद इसका सेंट्रलाइजेशन हुआ. वक्फ एक्ट 1954 इस संपत्ति के रखरखाव का काम करता. इसके बाद से कई बार इसमें संशोधन होता गया.

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कौन-कौन शामिल बोर्ड में 

बोर्ड में सर्वे कमिश्नर होता है, जो संपत्तियों का लेखा-जोखा रखता है. इसके अलावा इसमें मुस्लिम विधायक, मुस्लिम सांसद, मुस्लिम आइएएस अधिकारी, मुस्लिम टाउन प्लानर, मुस्लिम अधिवक्ता और मुस्लिम बुद्धिजीवी जैसे लोग शामिल होते हैं. वक्फ ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं. ट्रिब्यूनल में कौन शामिल होंगे, इसका फैसला राज्य सरकार करती है. अक्सर राज्य सरकारों की कोशिश यही होती है कि वक्त बोर्ड का गठन ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों से हो.

विवाद क्यों होता रहा 

आरोप है कि सरकार ने बोर्ड को असीमित ताकत दे दी. वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है. वक्फ बोर्ड को अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी संपत्ति के बारे में यह जांच कर सकता है कि वह वक्फ की संपत्ति है या नहीं. अगर बोर्ड किसी संपत्ति को अपना कहते हुए दावा कर दे तो इसके उलट साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है. वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती.

कई मामले आते रहे

कुछ समय पहले भाजपा के नेता हरनाथ सिंह ने आरोप लगाया था कि तमिलनाडु में वहां के स्टेट वक्फ बोर्ड ने तिरुचिरापल्ल जिले के एक पूरे गांव पर ही मालिकाना हक जता दिया था. महाराष्ट्र के सोलापुर में भी कुछ ऐसा केस आ चुका. उत्तर प्रदेश में भी वक्फ बोर्ड ने बड़े पैमाने पर संपत्तियों पर दावा जताया था, जिसके बाद योगी सरकार ने आदेश जारी कि वक्फ की सारी संपत्ति की जांच होगी. ये बात साल 2022 की है. लेकिन सर्वे के नतीजे सामने नहीं आ सके.

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कौन सी चीज सबसे ज्यादा विवादित

वक्फ बोर्ड जहां भी कब्रिस्तान की घेराबंदी करता है, अक्सर उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है. कानून ये जरूर कहता है कि प्राइवेट प्रॉपर्टी पर वक्फ अपना दावा नहीं कर सकता लेकिन ये तय होना मुश्किल रहता है कि कोई संपत्ति निजी है. जमीन के पक्के कागज न होने पर दूसरी पार्टी की प्रॉपर्टी चली जाती है, जबकि वक्फ को अपनी बात साबित करने के लिए कोई कागज नहीं देना होता है. 

कितनी संपत्ति बोर्ड के पास 

- वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में करीब 8 लाख 55 हजार से ज्यादा संपत्तियां ऐसी हैं जो वक्फ की हैं.

- सेना और रेलवे के बाद देश में संपत्ति के मामले में वक्फ तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है. 

- उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है.

- यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं. 

- हर साल हजारों व्यक्तियों द्वारा बोर्ड को वक्फ के रूप में संपत्ति की जाती है, जिससे इसकी दौलत में इजाफा होता रहता है.

अब क्या करने जा रही है सरकार

केंद्र ने वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों को कम करने के लिए एक प्रस्ताव दिया. इसमें वक्फ की संपत्ति का वैरिफिकेशन अनिवार्य होगा. ऐसा ही वैरिफिकेशन उन संपत्तियों के लिए भी होगा, जिनपर निजी प्रॉपर्टी होने का शक है और सालों से वहां रहते आ रहे लोगों ने दावा किया है. 

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कौन कर रहा विरोध

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने संशोधन की अटकलों के बीच गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि सरकार वक्फ बोर्ड की ऑटोनमी छीनना चाहती है, जो धर्म की आजादी के खिलाफ है. कई मुस्लिम संगठन भी बिल के विरोध में हैं. 

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