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UPA के दौर का वो TAX जिसे 12 साल बाद मोदी सरकार ने किया खत्म... जानें- क्या होगा फायदा

2012 में यूपीए सरकार में आए एंजेल टैक्स को खत्म कर दिया गया है. 23 जुलाई को आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एंजेल टैक्स को खत्म करने का ऐलान किया. एंजेल टैक्स स्टार्टअप के लिए होता था. ऐसे में जानते हैं कि एंजेल टैक्स क्या है? और अब इससे क्या फायदा होगा?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो-PTI) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को 2024-25 के लिए बजट पेश कर दिया. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का ये पहला बजट है. बजट में इनकम टैक्स की नई रिजीम में तो बदलाव हुआ ही है. इसके साथ ही 'एंजेल टैक्स' को भी खत्म कर दिया है, ताकि स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा मिले.

एंजेल टैक्स को 2012 में लाया गया था. तब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे. इसे इसलिए लाया गया था, ताकि स्टार्टअप में इन्वेस्टमेंट के जरिए होने वाली मनी लॉन्ड्रिंग को रोका जा सके.

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क्या होता है एंजेल टैक्स?

एंजेल टैक्स को इनकम टैक्स कानून की धारा 56 (2) (vii b) में जोड़ा गया है. अगर कोई स्टार्टअप एंजेल इन्वेस्टर्स से फंड जुटाता है, तो उस पर ये टैक्स लगता है. हालांकि, इसका मतलब सिर्फ उन फंड्स से है जो स्टार्टअप की फेयर मार्केट वैल्यू से ज्यादा है.

इसे ऐसे समझिए कि जब कोई स्टार्टअप किसी इन्वेस्टर्स से पैसा जुटाती है और इन्वेस्टमेंट की रकम स्टार्टअप के शेयरों की फेयर मार्केट वैल्यू से ज्यादा होती है तो ऐसे में उस स्टार्टअप को एंजेल टैक्स चुकाना होता है.

ऐसा इसलिए क्योंकि शेयर की एक्स्ट्रा कीमत को इनकम माना जाता है और इस इनकम पर टैक्स लगाया जाता है.

एंजेल इन्वेस्टर्स उसे कहा जाता है जो स्टार्टअप में फंडिंग के जरिए हिस्सेदारी लेते हैं. ये आमतौर पर ऐसे इन्वेस्टर्स होते हैं जो अपनी पर्सनल इनकम को स्टार्टअप या छोटी कंपनियों में इन्वेस्ट करते हैं.

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उदारण के लिए, किसी स्टार्टअप की फेयर मार्केट वैल्यू 50 लाख रुपये है और वो एंजेल इन्वेस्टर्स से 1 करोड़ रुपये जुटाती है तो उसे 50 लाख रुपये पर टैक्स चुकाना होगा.

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विवादों में रहा है एंजेल टैक्स!

एंजेल टैक्स अक्सर विवादों में रहा है. स्टार्टअप शुरू करने वाले कई एंटरप्रेन्योर का तर्क है कि किसी स्टार्अप की फेयर मार्केट वैल्यू तय नहीं की जा सकती. 

स्टार्टअप्स का दावा है कि फेयर मार्केट वैल्यू निकालने के लिए असेसिंग ऑफिसर्स (AO) डिस्काउंटेड कैश फ्लो का इस्तेमाल करते हैं. इससे स्टार्टअप्स को नुकसान और टैक्स अथॉरिटी को फायदा होता है.

2019 में LocalCircles के एक सर्वे में सामने आया था कि 50 लाख से 2 करोड़ रुपये तक की फंडिंग जुटाने वाले 73% स्टार्टअप्स को एंजेल टैक्स चुकाने का नौटिस मिला है.

यह भी पढ़ें: Budget Speech Highlights: नई टैक्स रिजीम में बदलाव, नौकरियों के लिए 5 योजनाएं... पढ़ें- बजट की बड़ी बातें

अब तक सिर्फ इन स्टार्टअप्स को थी छूट

2019 के आम बजट में सरकार ने एंजेल टैक्स के नियमों को थोड़ा आसान कर दिया था. तब सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) में रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स को एंजेल टैक्स से छूट दे दी थी.

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हालांकि, कहा जाता है कि ये छूट सभी स्टार्टअप नहीं मिली थी. सिर्फ ऐसे ही लोगों को इससे छूट मिली थी जो इंटर-मिनिस्ट्रियल बोर्ड (IMB) से सर्टिफाइड थे. 

आईएमबी असल में एक सरकारी बॉडी है जो तय करती है कि कोई स्टार्टअप इनोवेटिव है या नहीं और वो इनकम टैक्स कानून का फायदा लेने के लिए योग्य है या नहीं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक DPIIT में 84 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 1% ही IMB से सर्टिफाइड हैं.

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