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क्या है बर्थ टूरिज्म, जिसके तहत गरीब देशों की प्रेग्नेंट औरतें बॉर्डर पार करने लगीं, अमेरिका क्यों हुआ इससे परेशान?

अक्षय कुमार ने कनाडाई नागरिकता छोड़कर भारत की सिटिजनशिप ली. इसके बाद से इसपर खूब बात हो रही है कि किसी भी देश की नागरिकता कैसे मिलती है. अमेरिका या कनाडा जैसे देशों की नागरिकता पाने के लिए विदेशी कपल एक खास तरीका अपनाते थे, जिसे बर्थ टूरिज्म कहा गया. धीरे-धीरे ये इतना बढ़ा कि इसे बर्थ टैररिज्म तक कहा जाने लगा.

गरीब या युद्ध-प्रभावित देशों से लोग बच्चे को जन्म देने के लिए अमीर देशों का रुख करने लगे. photo - Unsplash गरीब या युद्ध-प्रभावित देशों से लोग बच्चे को जन्म देने के लिए अमीर देशों का रुख करने लगे. photo - Unsplash
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 3:52 PM IST

जब भी किसी बच्चे की नागरिकता की बात होती है, तो पूरी दुनिया में दो ही नियम मिलेंगे. एक है- राइट ऑफ सॉइल. ये कहता है कि बच्चे का जहां जन्म हुआ हो, वो अपने आप वहां का नागरिक बन जाता है. दूसरा नियम है- राइट ऑफ ब्लड. यानी बच्चे के माता-पिता जहां के नागरिक हों, बच्चा भी वहीं का माना जाए. कई देश ऐसे भी हैं, जो राइट ऑफ सॉइल पर ज्यादा फोकस करते हैं. वे हर उस बच्चे को अपने यहां की नागरिकता देते हैं, जो उनकी मिट्टी में जन्मा हो. बर्थ टूरिज्म की शुरुआत ऐसे ही हुई. 

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किन देशों में जन्म के आधार पर नागरिकता?

30 से ज्यादा देश बर्थ राइट सिटिजनशिप को मानते हैं. इसमें अमेरिका सबसे ऊपर है. उसने 19वीं सदी में ही राइट ऑफ सॉइल की बात की थी और अपने यहां जन्मे बच्चों को अपना नागरिक बताने लगा था. इसके अलावा कनाडा, अर्जेंटिना, बोलिविया, इक्वाडोर, फिजी, ग्वाटेमाला, क्यूबा और वेनेजुएला जैसे कई मुल्क ये अधिकार देते रहे. हालांकि कई जगहें ज्यादा सख्त हैं. जैसे कई देशों में नागरिकता के लिए बच्चे के माता-पिता दोनों को वहां का होना चाहिए. 

किस देश से आते हैं एंकर बेबी?

बहुत से गरीब देश या वे जगहें जहां लगातार युद्ध चल रहा हो, वहां के लोग अपने लिए ऐसी जगहें खोजने लगे, जहां राइट ऑफ सॉइल का नियम हो. अमेरिका पर इनकी तलाश पूरी हुई. ये बर्थ राइट सिटिजनशिप भी देता था और सबसे ताकतवर देश भी था. कमजोर देशों से भाग-भागकर पेरेंट्स यहां आने लगे और बच्चों को जन्म देने लगे. 

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यही बच्चे एंकर बेबी कहलाते. बच्चों के जरिए पेरेंट्स भी अमेरिका में रुकने लगे. ये सिलसिला चलता ही रहा, जब तक कि अमेरिकी सरकार सख्त नहीं हुई. इसके बाद नंबर्स में भारी कमी आई, लेकिन ये सिलसिला रुका नहीं. 

कौन से कारण लेकर आते थे?

ये पेरेंट्स पढ़ाई, रिसर्च, छोटी-मोटी नौकरी के बहाने अमेरिका में रुकते, जब तक कि बच्चे का जन्म न हो जाए. इसके बाद वे तर्क करते कि बच्चा अगर छोटा है तो वे उसे छोड़कर कैसे जा सकते हैं. लिहाजा वे अपने रुकने की अवधि बढ़ाते या नागरिकता की मांग करने लगते. ये ट्रेंड बढ़ता ही जा रहा था.

प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट कहती है कि साल 2016 में ढाई लाख से ज्यादा घुसपैठियों के बच्चों ने अमेरिका में जन्म लिया. 10 साल पहले ये आंकड़ा 36% ज्यादा था. इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि अमेरिका में बर्थ टूरिज्म कितना अधिक रहा होगा. 

अनाथालय में रखे जाने लगे शिशु

अमेरिका में बाहरी आबादी बढ़ती जा रही थी. साल 2007 के बाद से इसपर सख्ती होने लगी. पेरेंट्स के सामने विकल्प रखा गया कि वे या तो बच्चों समेत अपने देश लौट जाएं, या फिर बच्चे को यहीं छोड़कर जाएं. ऐसी स्थिति में बच्चे फॉस्टर केयर में रखे जाने लगे. जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट कहती है कि हर साल लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा नागरिक बच्चों के पेरेंट्स उनके देश भेजे जाते हैं. 

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ऐसे बच्चे अनाथालय में पलते हैं, जिसका उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर काफी खराब असर होता है. यहां तक कि ऐसे बच्चों के आगे चलकर ड्रग्स या ट्रैफिकिंग में फंसने की आशंका भी दूसरों से काफी ज्यादा रहती है. 

अमीर देशों के लोग भी अमेरिका आ रहे

एंकर बेबीज केवल वही लोग पैदा नहीं कर रहे, जो गरीब देशों से हैं, बल्कि अमीर देशों के लोग फ्यूचर सुरक्षित करने के नाम पर भी ये करते हैं. मसलन, चीन या रूस में खूब पैसे कमाने वाले घरों के लोग अमेरिका या कनाडा में अस्थाई तौर पर लोकेट होने के लिए भारी रकम चुकाते हैं. इन्हें अपने देश में कोई दिक्कत नहीं लेकिन दोहरी नागरिकता इनके लिए स्टेटस सिंबल है. 

बने लग्जरी मैटरनिटी होटल

खुद अमेरिका के लोग इस काम में मदद करके मुनाफा कमाने लगे. जैसे वहां मैटरनिटी होटल बन गए. इनका काम गर्भवती औरतों को अपने यहां रखना और बच्चे का सेफ जन्म हो, ये पक्का करना था. इसके लिए ये भारी रकम लेते. फेडरल सरकार ने एक के बाद एक कई छापे मारकर ऐसे होटलों को बंद करवाया. सिर्फ लॉस एजिंल्स में 20 से ज्यादा मैटरनिटी होटल चल रहे थे. 

बर्थ टूरिज्म से जुड़े हुए हैंडलर लोगों को सलाह देने के लिए कथित तौर पर 40 से 80 हजार डॉलर तक चार्ज करते थे. इसके अलावा आने के बाद रहने और चाइल्डबर्थ तक जो पैसे खर्च होंगे, वो अलग. 

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इसे रोकने के लिए अमेरिका ने कई नियम बनाए

- अमेरिका में जन्मा बच्चा भी 21 साल का होने से पहले अपने पेरेंट्स के ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन नहीं कर सकता. 

- संतान को ये साबित करना होगा कि वो इकनॉमिक तौर पर मजबूत है और पेरेंट्स यहां आकर अमेरिकी लोगों पर बोझ नहीं बनेंगे. 

- ग्रीन कार्ड मिलने के बाद भी पेरेंट्स नागरिकता के लिए 5 सालों बाद आवेदन कर सकते हैं. 

कनाडा में भी एंकर बेबीज की कमी नहीं

फर्स्ट वर्ल्ड देशों में अमेरिका के अलावा कनाडा ही ऐसा देश है, जो बर्थ राइट सिटिजनशिप देता रहा. इसी वजह से यहां भी दुनियाभर के लोग केवल बच्चों को जन्म देने आने लगे ताकि उनके पास नागरिकता हो जाए. इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन पब्लिक पॉलिसी की साल 2018 की रिपोर्ट कहती है कि कनाडाई सरकार हर साल जितने बच्चों के जन्म का डेटा देती है, असल में नंबर इससे पांच गुना से भी ज्यादा होगा. ये छिपा हुआ नंबर उन पेरेंट्स का है, जो बर्थ टूरिज्म के तहत कनाडा आए. 

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