
पिछले साल केवल दिसंबर महीने में अमेरिका में घुसपैठ की कोशिश करने वालों की संख्या साढ़े 3 लाख से ऊपर चली गई. इसमें वे लोग शामिल नहीं, जो भीतर पहुंचकर आम लोगों के बीच घुलमिल चुके. डिपार्टमेंट ऑफ होम सिक्योरिटी ने खुद ये डेटा जारी करते हुए अवैध इमिग्रेशन पर चिंता जताई. दुनिया के कई देशों के लोग अलग-अलग वजहों से अमेरिका को अपने लिए शरणगाह मान रहे हैं. लेकिन चूंकि ये देश सबको शरण नहीं दे सकता, इसलिए अनाधिकारिक तौर पर एंट्री हो रही है. इसमें सबसे प्रचलित रास्ता डेरियन गैप बन चुका. दलदली रेनफॉरेस्ट वाले इस रास्ते पर कई दूसरे खतरे भी हैं. फिर क्यों ये रूट चुना जा रहा है?
कहां है डेरियन गैप
यह नॉर्थ कोलंबिया और साउथ पनामा के बीच बेहद घना जंगल है. करीब सौ किलोमीटर में फैला ये इलाका वर्षावन है यानी यहां काफी बारिश होती है, साथ ही भीतर धूप नहीं जा पाती. ऐसे में जंगल के भीतर खतरनाक दलदल भी हैं, साथ ही जहरीले मच्छरों से लेकर बाकी जीव-जंतु भी. छोटी नदियां भी हैं, जो अचानक उफन आती हैं.
भौगोलिक तौर पर इसे और अच्छे से समझते हैं. ये गैप दक्षिणी और उत्तरी अमेरिका को जोड़ता है. इसे एक तरह का पैसेज भी मान सकते हैं, जिसे पार करने पर नॉर्थ साइड में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको आते हैं. दक्षिण में वेनेजुएला जैसे देश हैं, जिनमें से कई बेहद गरीब या राजनैतिक अस्थिरता से भरे हुए हैं.
और क्या-क्या खतरे
चूंकि ये घना जंगल है तो यहां कोई पक्की सड़क नहीं. लेकिन तब भी लोग 4 से 10 दिनों तक इसे पार करते रहते हैं. रास्ते में नदियां भी आती हैं तो ऊंचे-नीचे पहाड़ भी. यहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं. ऐसे में अगर अवैध तौर पर जा रहे लोगों का गाइड मुंह मोड़ ले तो वे रास्ता भटककर जंगल में ही खत्म हो सकते हैं.
क्या कहता है डेटा
साल 2021 से पहले इन्हीं खतरों के चलते लोग इस रास्ते से कम ही जाते थे. केवल वे ही ऐसा खतरा लेते, जो युवा हों और परिवार के बगैर जा रहे हों. लेकिन 2021 में हालात बदले. डेटा के अनुसार, उस साल करीब डेढ़ लाख क्रॉसिंग का पता लगा. जबकि बीते साल ये आंकड़ा 5 लाख को पार कर गया.
ह्यूमन ट्रैफिकिंग और रेप आम
दक्षिण से उत्तर अमेरिका की तरफ जाता ये रास्ता क्रिमिनल गुटों से भरा पड़ा है. ये नशे से लेकर मानव तस्करी तक करते हैं. इनका काम दो तरह से होता है. इनमें से कुछ समूह माइग्रेंट्स को यहां से अमेरिका के भीतर पहुंचाने का वादा करते हुए भारी रकम वसूलते हैं. वहीं कुछ समूह रास्ते में लोगों को लूटते हैं. बात यहीं खत्म नहीं होती. मेडिकल राहत देने वाली संख्या डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने चौंकाने वाला डेटा दिया था. इसके अनुसार, डेरियन गैप में हर साढ़े 3 घंटे में कोई न कोई राहगीर यौन शोषण का शिकार होता है. इस तरह से रूट यौन अपराधों का रास्ता भी बन चुका.
क्यों इस रास्ते से बढ़ रही घुसपैठ
इतने सारे खतरों के बाद भी अवैध इमिग्रेंट्स के लिए ये पसंदीदा रूट हो चुकी. इसकी बड़ी सीधी वजह है. ये अकेला जमीनी रास्ता है, जो दक्षिण अमेरिका को सेंट्रल अमेरिका से जोड़ता है. दूसरा कारण है, वीजा मिलने की दिक्कत. लगातार बढ़ती आबादी के चलते अमेरिकी सरकार ने असाइलम-सीकर्स के लिए कई कड़े नियम बना दिए. यानी अमेरिका पहुंचने वाले हरेक शख्स को वहां रहने की इजाजत मिल जाए, ये जरूरी नहीं. ऐसे में लोग चुपके से भीतर आने लगे. चूंकि डेरियन गैप पर पेट्रेलिंग नहीं जितनी है, ऐसे में वहां से आना भी आसान है.
डेरियन गैप पर भीड़ बढ़ने का एक और कारण
साल 2021 में अमेरिका ने मैक्सिको पर दबाव डाला कि वो अपने यहां घूमने आ रहे वेनेजुएला-वासियों से ट्रैवल वीजा साथ रखने को कहे. इससे पहले ये सब वीजा फ्री था. ऐसे में होता ये था कि वेनेजुएलन्स मैक्सिको तक टूरिस्ट बनकर पहुंचते और वहां से यूएस कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन के पास पहुंचकर ये कह देते कि उन्हें अपने देश में रहने में खतरा है. तब अमेरिका की मजबूरी बन जाती कि वो शरण दे. अब चूंकि टूरिस्ट वीजा के साथ ये नहीं हो सकता. लिहाजा वेजेजुएला-वासियों ने डेरियन क्रॉसिंग को चुना.
कौन-कौन इस रास्ते को चुन रहा
साल 2023 में 5 लाख 20 हजार से ज्यादा लोगों ने इसे पार किया. इसमें करीब साढ़े 3 लाख तो वेनेजुएलन्स ही थे. इसके बाद हैती और चीन के लोग थे. कुछ हजार की संख्या में अफगानिस्तान, नेपाल और कैमरून के लोग पाए गए. ये सभी अलग-अलग उम्र के थे.
क्या कर रही सरकारें
मानवाधिकार संस्थाएं आरोप लगा रही है कि वीजा प्रतिबंधों के कारण लोग ऐसे खतरनाक रास्ते चुनने को मजबूर हुए हैं. इसे देखते हुए अमेरिका समेत कई देशों ने लॉस एंजेलिस डिक्लेरेशन ऑन माइग्रेशन एंड प्रोटेक्शन का एलान किया. इसके जरिए अमेरिकी सरकार कई तरीके सुझा रही है, जिसमें बिना खतरे के लोग अमेरिका पहुंच सकें. ये प्रोग्राम दक्षिण और सेंट्रल अमेरिकी देशों में चल रहे हैं. हालांकि इसमें भी कई कमियां मानी जा रही हैं, जैसे पासपोर्ट की जरूरत. कई देशों के लिए ये सर्विस है भी नहीं. ऐसे में डेरियन गैप पार करने वाले बढ़ रहे हैं.