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क्या है 100 देशों का समूह ग्लोबल साउथ? जिसका 'लीडर' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया जा रहा

पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने प्रधानमंत्री मोदी को ग्लोबल साउथ का लीडर बताया है. ग्लोबल साउथ में असल में कम विकसित या विकासशील देश आते हैं. ग्लोबल साउथ शब्द का पहली बार 1969 में अमेरिकी राजनीति विज्ञानी कार्ल ओल्स्बी ने इस्तेमाल किया था.

पीएम मोदी. (फाइल फोटो-PTI) पीएम मोदी. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2023,
  • अपडेटेड 6:54 PM IST

पापुआ न्यू गिनी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पैसिफिक आइलैंड के 14 नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सच्चा दोस्त वही होता है जो जरुरत में काम आता है. उन्होंने कहा कि भारत बिना किसी हिचकिचाहट के अपने अनुभव और क्षमताओं को आपके साथ साझा करने को तैयार है.

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, दुनिया कोविड-19 महामारी और बाकी दूसरी चुनौतियों के कठिन दौर से गुजरी है और उसका असर ज्यादा ग्लोबल साउथ के देशों ने महसूस किया है.

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उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, भूख, गरीबी और बाकी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां पहले से ही मौजूद थीं. लेकिन अभी नए मुद्दे उभर रहे हैं. खाद्य, फ्यूल, फर्टिलाइजर और फार्मास्यूटिकल्स की सप्लाई चेन में बाधाएं पैदा हो रहीं हैं. उन्होंने कहा 'ग्लोबल साउथ की आवाज' संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी गूंजनी चाहिए.

पीएम मोदी ने कहा कि इस साल जनवरी में 'वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट' का आयोजन किया गया था, जिसमें आपके प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि जी-20 के माध्यम से भारत ग्लोबल साउथ के मुद्दों, उम्मीदों और आकांक्षाओं को दुनिया के सामने लाने की जिम्मेदारी समझता है.

इसी दौरान पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने प्रधानमंत्री मोदी को ग्लोबल साउथ का लीडर बताया. उन्होंने कहा, 'हम ग्लोबल पॉवरप्ले के पीड़ित हैं. आप (पीएम मोदी) ग्लोबल साउथ के लीडर हैं. हम वैश्विक मंचों पर आपका (भारत) समर्थन करेंगे.'

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लेकिन ये ग्लोबल साउथ क्या है, जिसका लीडर पीएम मोदी को कहा जा रहा है? ये शब्द आया कहां से? इसमें भारत की क्या भूमिका क्या है? समझते हैं...

क्या है ग्लोबल साउथ?

- आर्थिक और सामाजिक विकास के आधार पर दुनिया को दो हिस्सों में बांटा गया है. एक है- ग्लोबल नॉर्थ और दूसरा- ग्लोबल साउथ.

- ग्लोबल नॉर्थ में अमेरिका, जापान, कोरिया, यूरोपीय देश जैसे दुनिया के विकसित और समृद्ध देश शामिल हैं.

- जबकि, ग्लोबल साउथ में आर्थिक और सामाजिक विकास के आधार पर कम विकसित या विकासशील देश हैं. इसमें लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया के देश हैं.

ग्लोबल साउथ में कितने देश हैं?

- ग्लोबल साउथ में लगभग 100 देश आते हैं. इस साल 12-13 जनवरी को भारत ने 'वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ' नाम से वर्चुअल समिट आयोजित की थी.

- इस समिट में सौ से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. ये पहली बार था जब इतने बड़े पैमाने पर ग्लोबल साउथ देशों का सम्मेलन हुआ था.

- भारत के पास इस समय जी-20 का अध्यक्ष भी है. ये पहली बार है जब भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता आई है. जी-20 में भारत ग्लोबल साउथ के मुद्दों को उठाने की कोशिश करेगा. 

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कहां से आया ये शब्द?

- ग्लोबल साउथ शब्द का पहली बार 1969 में अमेरिकी राजनीति विज्ञानी कार्ल ओल्स्बी ने इस्तेमाल किया था. 

- उन्होंने वियतनाम युद्ध पर कैथोलिक जर्नल कॉमनवील में लिखे अपने लेख में इसका इस्तेमाल किया था. ओल्स्बी ने लिखा था, सदियों से ग्लोबल नॉर्थ का ग्लोबल साउथ देशों पर प्रभुत्व रहा है. 

- समय के साथ-साथ ग्लोबल साउथ शब्द का विस्तार होता चला गया और इस शब्द ने दुनियाभर में ऐसे देशों की आवाज बनना शुरू कर दिया जो कम विकसित या विकासशील थे.

ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ में क्या अंतर?

- ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ का इस्तेमाल सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक आधार पर दुनिया के देशों को बंटवारा करने के लिए किया जाता है.

- ग्लोबल साउथ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के देशों की पहचान करने के लिए किया जाता है. 

- ग्लोबल साउथ में विकासशील या कम विकसित देश हैं, जिन्हें पहले 'तीसरी दुनिया' या 'पूर्वी दुनिया' कहा जाता था.

- वहीं, ग्लोबल नॉर्थ के हिस्से में उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों को देखा जाता है जो विकसित हैं, जहां बुनियादी ढांचा मजबूत है, औद्योगिक विकास है. 

जी-20 और ग्लोबल साउथ

- भारत खुद को दुनिया के मंच पर ग्लोबल साउथ की आवाज बनाने की कोशिश कर रहा है. जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ग्लोबल साउथ की बात कही थी.

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- इस साल जी-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, 'विकासशील देश खाद्य, तेल और उर्वरक की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. विकासशील देशों पर बढ़ते कर्ज और खराब होती अर्थव्यवस्था भी चिंता बढ़ा रही है. ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम ग्लोबल साउथ की आवाज बनें.'

- आज के समय में जी-20 की अध्यक्षता भारत के पास है. ऐसे में उसके पास मौका है कि वो जी-20 की अध्यक्षता के दौरान ग्लोबल साउथ में अपने प्रभाव को बढ़ाए और खुद को लीडर के रूप में पेश करे.

- अच्छी बात ये है कि जी-20 की अध्यक्षता अगले कुछ साल तक ग्लोबल साउथ देशों के पास ही रहेगी. भारत के पास इसकी अध्यक्षता ग्लोबल साउथ के देश इंडोनेशिया से आई है. भारत भी ग्लोबल साउथ का ही देश है. 2024 में ब्राजील और 2025 में दक्षिण अफ्रीका के पास जी-20 की अध्यक्षता होगी. दोनों ही ग्लोबल साउथ के देश हैं.

 

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