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ट्रंप के वाइट हाउस पहुंचने से पहले ही तय हो चुका अमेरिका का भविष्य, क्या है वो विवादित प्रोजेक्ट, जिसमें हर कदम का जिक्र?

डोनाल्ड ट्रंप जनवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं. इस बीच उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल लोगों को अपनी टीम से जोड़ा, जिनका नाम प्रोजेक्ट 2025 से भी जुड़ता रहा है. इसके साथ ही एक बार फिर विवादित प्रोजेक्ट का मामला उछल चुका. कथित तौर पर इसमें राष्ट्रपति के लिए बाकायदा गाइडलाइन है कि वो क्या करेंगे, और क्या नहीं.

डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी को पॉलिसी पर एक दस्तावेज से जोड़ा जा रहा है. (Photo- AP) डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी को पॉलिसी पर एक दस्तावेज से जोड़ा जा रहा है. (Photo- AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का गुबार थम चुका. कुछ ही वक्त में रिपब्लिकन्स के नेता डोनाल्ड ट्रंप वाइट हाउस की कमान संभालने वाले हैं, लेकिन उनके पद पर पहुंचने से पहले ही विवाद उनके साथ चल पड़े. सबसे ज्यादा बात प्रोजेक्ट 2025 की हो रही है. लगभग दो साल पहले अमेरिकी थिंक टैंक 'द हैरिटेज फाउंडेशन' ने ये दस्तावेज तैयार किया था. लेकिन इसमें ऐसा क्या है, जिसपर अभी से सुगबुगाहट है?

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क्या है विवादित दस्तावेज

ये एक तरह का पॉलिसी प्रपोजल है, जिसे बहुत सारे दक्षिपंथी हाई प्रोफाइल लोगों ने मिलकर तैयार किया. इसमें ये बात है कि आने वाले साल में अमेरिका में कौन से काम किस तरह से अंजाम दिए जाएं. आरोप है कि 900 पन्नों के डॉक्युमेंट में कई ऐसे एजेंडा हैं, जो अमेरिका की उदारवादी छवि से अलग हैं.

किन पॉलिसीज की बात है

द कन्वर्सेशन की मानें तो ये प्रोजेक्ट कहता है कि आने वाले समय में LGBTQ के अधिकार घटा दिए जाएंगे.

महिलाओं से अबॉर्शन का हक ले लिया जाए या इसे न्यूनतम कर दिया जाए. 

शरणार्थियों के लिए दरवाजे बंद करना भी एक बड़ा एजेंडा है, जिसपर पूरी पार्टी बात करती रही.

चीन से व्यापार बहुत कम करने का सुझाव है ताकि बाजार में बढ़ती उसकी आक्रामकता कम हो सके. 

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डिफेंस और फॉरेन पॉलिसी पर और धारदार काम करने की बात भी प्रोजेक्ट में है.

चुनाव के दौरान डेमोक्रेट्स ने यह दावा भी किया कि इसमें ये सलाह भी है कि ताकतवर पदों पर किनकी नियुक्ति हो. 

क्लाइमेट चेंज भी पॉलिसी में शामिल

यहां तक कि पर्यावरण प्रोटेक्शन पर जो मौजूदा योजनाएं हैं, उन्हें डिसमेंटल करने की बात कई बार कई गई. रिपोर्ट के मुताबिक लगभग ढाई सौ बार पर्यावरण की मौजूदा पॉलिसीज के इलिमिनेशन यानी उन्हें हटाने की बात लिखी हुई है. ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान पेरिस एग्रीमेंट से देश को हटा लिया था. बाद में बाइडेन उसमें दोबारा शामिल हुए. एजेंडा फॉसिल फ्यूल के अधिकतम इस्तेमाल की बात करता है. अगर ऐसा हुआ तो क्लाइमेंट चेंज की रफ्तार और तेज हो जाएगी.

प्रोजेक्ट 2025 में स्टेप-दर-स्टेप बताया गया कि ये मकसद कैसे पूरे हो सकते हैं. इसके लिए पहले रोडमैप तैयार किया गया. दस्तावेजों के साथ-साथ उन लोगों की सूची बनाई जा रही है, जो राइट-विंग सोच रखते हों और उन्हें ट्रेनिंग दी जाए. ये प्रेसिडेंशियल एडमिनिस्ट्रेशन का हिस्सा होंगे जो पॉलिसी लागू करेंगे. आखिरी स्टेप होगा- प्रेसिडेंट की ट्रांजिशन में मदद करना ताकि वो पद संभालते ही पॉलिसी लागू करने में जुट जाए. 

क्या ये ट्रंप प्रशासन से जुड़ा हुआ है

इसका जवाब हां और नहीं के बीच अटका है. लंबे-चौड़े इस दस्तावेज में वैसे ट्रंप का जिक्र नहीं लेकिन लगातार ये आरोप लग रहा है कि ये सबकुछ उनके लिए ही हो रहा है. दरअसल, इसका एजेंडा ट्रंप के बयानों से काफी मिलता-जुलता है. वे माइग्रेशन, चीन से व्यापार और ट्रांसजेंडरों को लेकर कई बार आक्रामक हो चुके. यहां तक कि क्लाइमेट चेंज को लेकर कह चुके कि बाकी देश प्रदूषण कर रहे और अमेरिका पर जबरन दबाव बना रहे हैं. कुल मिलाकर, प्रोजेक्ट 2025 रिपब्लिकन्स की पॉलिसीज से मेल खा रहा है, यही वजह है कि दोनों को जोड़ा जा रहा है. 

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इस कनेक्शन को एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं. रस वॉट, जो कि ट्रंप के दफ्तर में बजट डायरेक्टर होंगे, उन्होंने प्रोजेक्ट 2025 का ड्राफ्ट बनाने पर काफी काम किया. उन्होंने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के भी ड्राफ्ट बनाए, जिसके तहत बहुत से फेडरल कर्मचारी काम से हटाए जा सकते हैं. 

जिस थिंक टैंक हैरिटेज फाउंडेशन ने ये तैयार किया, वो पहले भी मैंडेट तैयार कर चुका. साल 1981 में कथित तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति रोनॉल्ड रीगन ने इसी के तैयार किए हुए एक दस्तावेज के मुताबिक काम किया था. फाउंडेशन ने दावा किया था रीगन ने खुद मैनेफेस्टो की कॉपी हरेक कैबिनेट सदस्य को बांटी थी. बाद में प्रोजेक्ट की दो-तिहाई पॉलिसीज लागू भी कर दी गई थीं. 

क्या ट्रंप इस प्रोजेक्ट से सहमत हैं

कई सारी बातें ट्रंप की विचारधारा से मेल खाती हैं. लेकिन अबॉर्शन के मुद्दे पर उनकी असहमति है. कमला हैरिस ने चुनाव अभियान के दौरान ऐसी झलक दी थी कि ट्रंप की जीत के बाद अमेरिका में गर्भपात पर पक्का बैन लग जाएगा. हालांकि ट्रंप खुद ही अबॉर्शन पिल्स को सहमति देते हैं. 

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