Advertisement

नेपाल में येति एयरलाइंस का विमान क्रैश... क्यों रखा नाम और क्या है हिमालय पर रहने वाले रहस्यमयी बर्फ-मानव येति का सच?

इंसानों और जानवरों का मिला-जुला रूप येति अक्सर चर्चा में रहा. हिमालय की बर्फीली चोटियां, जहां कोई आता-जाता नहीं, वहां रहते ये बर्फमानव लगभग 20 फुट ऊंचे और डेढ़ से दो सौ किलो वजनी होते हैं. बर्फीले तूफान में भी ये आराम में रहते हैं. पहाड़ों पर ऐसी किसी रहस्यमयी चीज के होने की बात कई देशी-विदेशी पर्वतारोहियों ने की. लेकिन क्या ये वाकई होते हैं!

अंग्रेजी में येति को स्नोमैन कहने की शुरुआत साल 1921 में हुई. सांकेतिक फोटो (Getty Images) अंग्रेजी में येति को स्नोमैन कहने की शुरुआत साल 1921 में हुई. सांकेतिक फोटो (Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST

नेपाल में दुर्घटनाग्रस्त विमान येति एयरलाइन्स का बताया जा रहा है. इस नेपाली एयरलाइन ने बहुत सोच-समझकर अपना नाम चुना. असल में हिमालय की बर्फीली वादियों में रहने वाले बर्फ-मानव को येति कहते हैं. कहा जाता है कि ये मॉडर्न इंसान और आदिमानव का मिला-जुला रूप है, जो काफी ऊंचा- तगड़ा होता है. ज्यादातर लोग इसके होने से इनकार करते हैं, लेकिन बर्फ के बीहड़ों में अकेले फंस चुके कई देशी-विदेशी लोगों ने वहां अजीबोगरीब चीज की मौजूदगी का दावा किया, जिससे येति की धारणा को बल मिलता है. 

Advertisement

क्या है येति शब्द का इतिहास
येति शेरपा शब्द है, जिसका मतलब है खराब लगने वाला जानवर. कुछ रिसर्चर ये भी मानते हैं कि येति संस्कृत के शब्द यक्ष से बना है, जो इंसानों जैसा तो होता है, लेकिन जिसके पास सुपरह्यमन ताकत भी होती है. नेपाल, तिब्बत, भूटान समेत भारत में अक्सर लोकगाथाओं में इसकी चर्चा होती रही. कई दूसरे देशों जैसे मंगोलिया में इसे अल्मास कहते हैं, जबकि तिब्बती इसे केमो कहते हैं. 

हर हिस्से में है अलग नाम
भारत के अलग-अलग हिस्सों में येति को अलग नाम से जाना जाता है. सिक्किम में इसे मेगुर या लत्सन कहा जाता है, जिसका अर्थ है बर्फीले पहाड़ों पर भटकती आत्माएं. त्रिपुरा के लोग बुरा देबोता (बुरा देवता) बुलाते हैं. ध्यान दें तो पाएंगे कि हर जगह इसे रहस्य, आत्मा और डर से जोड़ा जाता रहा.

Advertisement

अंग्रेजी में इसे स्नोमैन कहने की शुरुआत साल 1921 में हुई. तब कोलकाता के द स्टेट्समैन अखबार के लिए एक रिपोर्टर हेनरी न्यूमन हिमालय से लौटे लोगों के इंटरव्यू ले रहा था. ये वो लोग थे, जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने गए थे, या चढ़ चुके थे. इसी दौरान कईयों ने माना कि उन्हें बर्फ पर कुछ ऐसे पैर दिखे, जो किसी इंसान या जाने-पहचाने जानवर के नहीं हो सकते. इसे ही नाम मिला- स्नोमैन. 

अक्सर लोग येति के पैरों के निशान मिलने की बात करते रहे. सांकेतिक फोटो (Getty Images)

नाम इतना अलग और मजेदार था कि जल्द ही लोगों की जबान पर चढ़ गया. इसी दौरान पता लगा कि तिब्बतियों में पहले से ही इस स्नोमैन की बातें होती थीं. वे मानते थे कि बर्फ से ढंकी वे जगहें, जहां कोई नहीं जा सकता, वहां ये अजीबोगरीब चीज रहती है. ये इंसानों की तरह दो पैरों पर चलते तो हैं, लेकिन इंसान नहीं होते. उनका पूरा शरीर लंबे-लंबे बालों से ढंका होता है, और ये कपड़े भी नहीं पहनते. 

तिब्बत और नेपाल के अलग-अलग हिस्सों से अक्सर स्नोमैन की खबरें आती रहीं, लेकिन वो समय सोशल मीडिया का था नहीं, और एक के बाद एक लगातार दो वर्ल्ड वॉर भी हो गए. येति की चर्चा इसमें ही कहीं खो गई. बाद में चीन के तिब्बत पर कब्जा करने की कोशिशों के बाद जब तिब्बती शरणार्थी भारत आने लगे तो एक बार फिर बर्फ पर रहती इस रहस्यमयी चीज की बात होने लगी. 

Advertisement

शरणार्थी तिब्बतयों ने दावा किया कि पश्चिमी तिब्बत के एक बहुत प्राचीन मठ के पास किसी सीक्रेट जगह पर येति का मृत शरीर भी संभालकर रखा हुआ है. 

इंसान और बंदर के मेल से जन्मा
येति को लेकर तिब्बतियों के लगाव या ऑब्सेशन के पीछे एक वजह ये भी रही कि वहां की लोकगाथाओं में इसे खूब जगह मिली. वे मानते हैं कि तिब्बती लड़की और भारी-भरकर वनमानव में प्रेम पनपने पर उनकी संतान न तो इंसान बन सकी, न ही बंदर रह गई. इस तरह येति का जन्म हुआ. इस तरह से येति दूसरे जानवरों से अलग हुआ, क्योंकि उसमें कुछ हिस्सा इंसानों का भी था. 

कहलाने लगा पर्वत का रखवाला
हर सूनी जगह, जहां जाना बेहद मुश्किल हो, उससे जुड़कर कई तरह की कहानियां चल पड़ती हैं तो स्नोमैन के साथ भी यही हुआ. लोकगाथाओं में इसे हिमालय की रक्षा करने वाले सिपाही की तरह देखा जाने लगा. डिसिप्लिन तोड़ने पर ये सजा भी देता. जैसे अगर कोई शख्स ऊंची बर्फीली चोटियों पर जाकर येति के जीवन में बाधा डालने की सोचे तो वो बीमार हो जाएगा, या कोई हादसा होगा. 

कई समुदायों में येति को बर्फीले पर्वतों का रखवाला भी कहा जाता है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

तिब्बत की राजधानी ल्हासा के कई मठों में दीवार पर इस तरह की तस्वीरें उकेरी हुई हैं, जो स्त्री-येति से मिलती-जुलती हैं. 

Advertisement

जब विदेशी पर्वतारोहियों ने किए दावे
ये तो हुई लोकगाथाओं-कथाओं में येति की प्रेजेंस, लेकिन हिमालय पर घूमने वाले कई सैलानियों ने इसके होने की बात कही. साल 1951 ब्रिटिश एक्सप्लोरर एरिक शिंप्टन ने बर्फ पर कुछ फुटप्रिंट देखे, जो इंसान या किसी जाने-पहचाने जानवर के नहीं थे. साल 1960 में सर एडमंड हिलेरी ने दावा किया कि उन्होंने येति का सिर देखा है, जो हेलमेट की तरह होता है. इसी तरह से हाल में कुछ शोधकर्ताओं को बर्फ पर एक ऊंगली मिली, जो लंबी-मोटी थी. उन्होंने इसे येति की ऊंगली माना, लेकिन DNA में ये इंसानी ऊंगली साबित हो गया. 

भारतीय सेना का ट्वीट हुआ था वायरल
येति पर बहस ने साल 2019 में दिलचस्प मोड़ ले लिया, जब इंडियन आर्मी ने बर्फ पर उसके पैरों के निशान देखने का दावा किया. सेना ने 32×15 इंच के निशान देखे, जिससे साफ था कि ये इंसानी पैर नहीं हैं. पैरों की तस्वीर के साथ किया गया ट्वीट तब जमकर वायरल हुआ था. सेना ने तस्वीर को एक्सपर्ट्स को सौंपने की भी बात की, जिसके बाद इसपर कोई अपडेट नहीं आई. 

साइंस क्या कहता है
क्या येति वाकई में होते हैं! क्या वे इंसानों की ही श्रेणी की कोई चीज हैं, जिनका विकास नहीं हो सका! विज्ञान की भी इसपर एक राय है. नवंबर 2017 में रॉयल सोसायटी की पत्रिका प्रोसिडिंग्स ने कहा कि आधे इंसान- आधे स्नोमैन लगने वाले लोग असर में बर्फीले भालू हैं. वैज्ञानिकों ने हिमालय की सूनी कंदराओं-वादियों में तीन तरह के भालुओं की बात की, जो इंसानों से बहुत ऊंचे और भारी-भरकम होते हैं, और जो लोगों की येति की धारणा से मेल खाते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement