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क्या होगा अगर आप ब्लैक होल में गिर जाएं, क्या है वर्महोल, जिससे टुकड़े-टुकड़े होकर भी साबुत लौट सकता है इंसान?

ब्लैक होल में जाने के बाद गुरुत्वाकर्षण शरीर को चारों तरफ से खींचने लगता है, जब तक कि उसके लाखों टुकड़े न हो जाएं. इस प्रोसेस को स्पेगेटिफिकेशन कहते हैं. हालांकि यहीं पर सबकुछ खत्म नहीं होगा. ब्लैक होल अगर भीतर निगलकर टुकड़े करेगा तो वाइट होल आपको वापस बाहर भी फेंक सकता है.

समझिए, क्या होगा अगर ब्लैक होल में इंसान गिर जाएं. सांकेतिक फोटो (Pixabay) समझिए, क्या होगा अगर ब्लैक होल में इंसान गिर जाएं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

वैसे तो पूरा स्पेस ही रहस्यों से भरा पड़ा है, लेकिन ब्लैक होल की बात अलग है. दूर-दराज के ग्रहों पर जाने और वहां इंसानी बस्ती तक बनाने की सोच सकने वाले एक्सपर्ट ब्लैक होल के बारे में लगभग कुछ नहीं जानते. सिवाय इसके कि यहां इतनी ग्रेविटी होती है, जो सबकुछ, यहां तक कि रोशनी को भी गड़प कर जाती है. तो क्या होगा अगर ब्लैक होल में इंसान गिर जाए? क्या वो सही-सलामत लौट सकेगा?

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क्या है ब्लैक होल और कैसे काम करता है? 

ब्लैक होल कोई अलग चीज नहीं, बल्कि किसी तारे की मौत है. जब कोई विशालकाय तारा खत्म होने वाला होता है तो अपने ही भीतर सिकुड़ने लगता है. आखिर में ये ब्लैक होल बन जाता है. इसकी ग्रेविटी इतनी ज्यादा होती है कि आसपास की हर चीज गड़प कर सकता है. मजे की बात ये है कि जितनी चीजें भीतर जाएंगी, ब्लैक होल उतना ही ज्यादा ताकतवर होता चला जाएगा. इतना विशाल होने के बाद भी इन्हें नंगी आंखों या सामान्य टेलीस्कोप से देखा नहीं जा सकता. असल में अपने गुरुत्वाकर्षण के चलते ये रोशनी भी निगल लेते हैं, तो इन्हें रेडियो टेलीस्कोप या ग्रेविटेशनल वेव डिक्टेटर से ही देखा जा सकता है. 

ब्लैक होल के मोटे तौर पर 3 प्रकार होते हैं

स्टेलर मास ब्लैक होल सबसे छोटा है, लेकिन ये भी सूरज से 1 से सौ गुना तक बड़ा हो सकता है. ये तारों की मौत से बनता है. वहीं सुपरमासिव ब्लैक होल सूरज से कई करोड़ गुना या उससे भी ज्यादा बड़ा होता है. माना जाता है कि ये बहुत से तारों और बहुत से ब्लैक होल्स के मिलने से बनता होगा. वैसे साइंटिस्ट इस थ्योरी पर अलग-अलग राय भी रखते हैं. तीसरा टाइप है- इंटरमीडिएट मास ब्लैक होल, जिसका आकार इन दोनों के बीच होता है. 

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क्या हम इन्हें देख सकते हैं

ब्लैक होल को देखा जा नहीं जा सकता. असल में इनमें इतना ज्यादा गुरुत्वाकर्षण होता है कि रोशनी भी इससे आर-पार नहीं हो सकती. इससे इन्हें देखा जाना मुश्किल है. केवल ग्रेविटेशनल वेव डिटेक्टर के जरिए ही ये देखे जा सकते हैं. 

नहीं खत्म हो सकी मिस्ट्री 

यहां जाने के बाद क्या होगा, ये अब तक कोई नहीं जान सका. हो सकता है कि इससे आप किसी नए ग्रह में पहुंच जाएं . ये भी हो सकता है कि कोई होल के भीतर रहे और हमेशा के लिए वैसा ही रह जाए. सुपरमासिव ब्लैक होल यानी जो लाखों सूरज के बराबर बड़े ब्लैक होल्स हैं, उनके बारे में वैज्ञानिक कुछ भी नहीं जानते. हो सकता है कि अंदर जाने के बाद आप सबकुछ देखते हुए उसी उम्र में रह जाएं, लेकिन बाहर का कोई इंसान आपको नहीं देख सकेगा क्योंकि रोशनी नहीं होगी. लेकिन ये सब तो तब होगा, जब आप जिंदा बचें. ब्लैक होल में जाने वाली कोई भी चीज, यहां तक कि पृथ्वी भी अपने शेप में नहीं रह सकती. 

इस तरह होती है भीतर जाने की शुरुआत

ब्लैक होल की तरफ जाने से काफी पहले ही हमपर उसका असर शुरू हो जाएगा. ये अंतरिक्ष की वो चीज है, जिससे रोशनी या इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें भी बाहर नहीं आ सकती हैं. हालांकि इससे हजारों प्रकाशवर्ष की दूरी के बाद भी इनका होना पता लग जाएगा. होगा ये कि हम तेजी से एक दिशा में खिंचने लगेंगे. ये ब्लैक होल की ताकत है, जो हमें अपनी तरफ बुला रही है. इसे इवेंट होराइजन भी कहते हैं. इसके करीब जाने के साथ-साथ खिंचाव तेज होता जाएगा. 

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क्या इस दौरान हमें तकलीफ होगी

थोड़ी भी तेज हवा या दबाव में हम कैसा महसूस करते हैं? वॉशरूम में हैंड ड्रायर की तेज हवा से हाथ किस तरह तुड़ने-मुड़ने लगते हैं? ये हवा या प्रेशर बहुत मामूली है. ब्लैक होल की ग्रेविटी इतनी ज्यादा होती है कि जो भी उसके पास जाएगा, नूडल की तरह खिंचता चला जाएगा. इस प्रक्रिया को स्पेगेटिफिकेशन कहते हैं. यानी स्पेगेटी की तरह लंबा खिंचता चला जाना. अपनी किताब ब्लैक होल में एस्ट्रोनॉमर डॉक्टर एड ब्लूमर ने इस बारे में विस्तार से बात की कि होल में जाने के बाद क्या होता है. 

पॉइंट ऑफ नो रिटर्न तक पहुंचने के बाद सब बदल जाएगा

जैसे ही हम इवेंट होराइजन में प्रवेश कर जाते हैं, वापस लौट सकने की संभावना खत्म हो जाती है.इसके बाद कुछ सेकंड्स से लेकर कुछ मिनट के भीतर सबकुछ घट जाता है. जैसे गुरुत्वाकर्षण से शरीर तेजी से लंबा होने लगेगा और तब तक खिंचेगा, जब तक कि टुकड़े-टुकड़े न हो जाए. इसके बाद भी फोर्स अपना काम करता रहेगा. अंगों के टूटने के बाद टिश्यू और कोशिकाएं टूटेंगी. ये प्रोसेस तब तक चलेगी, जब तक सूक्ष्मतम कण न बन जाए. ये सब केंद्र में पहुंचकर गायब हो जाते हैं. 

वाइट होल से खेल बदल सकता है

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लेकिन बात यहीं नहीं रुकेगी. अब भी आपके पास साबुत शरीर पा सकने की गुंजाइश है. ब्लैक होल में जाने के बाद हो सकता है कि वाइट होल से आप बाहर निकल जाएं. वैज्ञानिक मान रहे हैं कि ब्लैक होल का सिरा जहां खत्म होता है, वहीं से वाइट होल शुरू होता है. ये एक तरह की सुरंग होती है, जिसे वर्महोल भी कहते हैं.

वैज्ञानिक इस बारे में पक्का नहीं कि हर ब्लैक होल के साथ वर्कहोल होता होगा. लेकिन अगर आप कुछ बिलियन सालों का इंतजार करें तो ब्लैक होल खुद ही वाइट होल में बदल जाएगा. इसके बाद आपके साबुत लौट सकने की संभावना बन जाएगी. वैसे ये सारी बातें अभी थ्योरी के स्तर पर ही हो रही हैं क्योंकि रोशनी भी आरपार न हो सकने के चलते वैज्ञानिक इस बारे में ज्यादा नहीं जानते.

 

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