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20 ब्लैक कॉफी पीने जितना असर, कौन सी दवा लेकर लड़ाकू पायलट लंबे समय तक जागते रहते हैं, किन देशों में मंजूरी?

कुछ दिनों पहले एक इंडोनेशियाई फ्लाइट में पायलट और को-पायलट के सो जाने की वजह से विमान रास्ता भटक गया. जांच में पता लगा कि दोनों ही पायलट्स नींद की कमी से जूझ रहे थे. इस बीच एक बार फिर पायलट फटीग की बात हो रही है. कई बार वे ऐसी दवाएं भी लेते हैं जो उन्हें जगाए रखें. एक ड्रग तो 20 ब्लैक कॉफी पीने से भी ज्यादा असर रखती है.

अक्सर लंबी उड़ानों के चलते पायलट थके रहते हैं. (Photo- Unsplash) अक्सर लंबी उड़ानों के चलते पायलट थके रहते हैं. (Photo- Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

अक्सर लंबी उड़ानों और देश-विदेश के सफर के चलते पायलट्स पूरी नींद नहीं ले पाते. इसका नतीजा मामूली नहीं, बल्कि बेहद भयंकर हो सकता है. यात्री विमान में काफी लोग सवार रहते हैं, जबकि मिलिट्री विमान भी एक बड़े मकसद के साथ उड़ते हैं. यही देखते एयरलाइंस पक्का करती है कि उन्हें पर्याप्त आराम मिले. लेकिन कई बार ऐसा नहीं भी हो पाता. तब पायलट एक खास मेडिसिन लेते हैं, जो नींद को कोसों दूर रख सकती है. 

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सबसे पहले ताजा मामला जानते चलें

ट्रेन ड्राइवर के सोने या झपकी लगने से गाड़ियों के हादसे की खबर आती रहती है. यही बात हवाई जहाज पर भी लागू होती है. कुछ यही बात इंडोनेशिया में दिखा. वहां जर्काता से केंडेरी के लिए उड़ान भर चुकी एक फ्लाइट जब हवा में 36 हजार फीट से भी ऊपर थी, तभी एक के बाद एक दोनों पायलट्स सो गए. ये लगभग आधे घंटे तक चलता रहा. इस बीच कंट्रोल रूम ने दोनों को कॉन्टैक्ट करना चाहा, लेकिन कुछ हुआ नहीं. फ्लाइट रास्ता भटक गई. हालांकि नींद खुलने पर पायलट्स ने मामला संभाल लिया, और कोई हादसा नहीं हुआ. 

यात्री विमान चलाने वालों को मिलता है पूरा आराम

हवा में हजारों फीट ऊपर उड़ते विमान में अगर पायलट सो जाए तो कितना बड़ा खतरा हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं. यात्री विमानों के पायलट्स को भी फिर भी नींद की सुविधा मिलती है. उनका शेड्यूल इसी तरह से तैयार किया जाता है. 

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एयरफोर्स पायलट्स के साथ समस्या

मिलिट्री पायलट अक्सर नींद पूरी न होने पर भी काम करते रहते हैं. ऐसे में कोई एक्सिडेंट न हो जाए, इसके लिए हिटलर के दौरान एक गोली तैयार हुई. इसका काम ही घंटों-दिनों तक जगाए रखना था. एक नाजी सैनिक की जेब में मेथमफेटामाइन नाम की ये टैबलेट मिली, जिसके बाद पूरी दुनिया में इसका फॉर्मूला आजमाया जाने लगा. खासकर पायलट्स या सैनिकों पर. इसे पायलट सॉल्ट भी कहा गया. 

याद दिला दें कि बीजेपी नेती और सोशल मीडिया सेलिब्रिटी सोनाली फोगाट की मौत के बाद गोवा पुलिस ने दावा किया था कि उन्हें हादसे से कुछ घंटों पहले मेथमफेटामाइन टैबलेट दी गई थी. इसी ड्रग को पीने के बाद उनकी रहस्यमयी मौत हो गई. 

गल्फ युद्ध के दौरान इसी तरह की एक और ड्रग तैयार हुई- डेक्सट्रोम्फेटामाइन, या एम्फेटामाइन. अमेरिकी फाइटर पायलट लगातार ये पिल लेते रहे. अब भी अमेरिकी मिलिट्री पायलट्स इसका भारी इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां तक कि दुनिया के कई हिस्सों में आधिकारिक या अनाधिकारिक रूप से इसका या मिलती-जुलती ड्रग्स का जागे रहने और एक्टिव रहने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. 

खतरे भी हैं इसके

लेकिन यहां एक कैच है. भले ही पायलट इसका उपयोग नींद को भगाने और हादसों से बचने के लिए करें, लेकिन इस ड्रग के कई खतरे भी हैं. लगातार इसके उपयोग से इसका एडिक्शन हो जाता है. इससे दिमागी संतुलन बनने की बजाए बिगड़ने लगता है. समय पर सही फैसले नहीं लिए जाते, जो कि पायलट के साथ-साथ देश या यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है. 

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ये ड्रग है सबसे ज्यादा प्रचलित

यही सब देखते हुए दुनियाभर के देश नई पायलट ड्रग की लगातार तलाश में जुटे रहे. एक ऐसी दवा मिल भी गई- मॉडेफिनिल. असल में ये दवा एक बीमारी नॉरकोलेप्सी के इलाज के लिए बनी थी. इस बीमारी का मरीज दिन में भी लगातार सोता रहता है. यहां तक कि गाड़ी चलाते या काम करते हुए भी उसे नींद आ सकती है. दवा तो बीमारी के लिए आई, लेकिन जल्द ही पायलट्स में भी लोकप्रिय हो गई. 

कितना असरदार है 

पाया गया कि इसका एक डोज 64 घंटों के लिए जगाए और एक्टिव रख सकता है. यह एक बार में 20 कप काली कॉफी से भी कुछ ज्यादा पीने जितना है. मॉडेफिनिल फाइटर पायलट्स के लिए काफी काम की साबित होने लगी. 

अमेरिका समेत भारत में भी 

इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये दवा कई देशों की एयर फोर्स में बाकायदा अप्रूव्ड ड्रग है. इनमें फ्रांस, नीदरलैंड, यूएस और सिंगापुर के साथ भारत भी शामिल है. पाया गया कि चौबीस घंटे जागने के बाद भी अगर ये ड्रग दी जाए, तो उसे लेने वाले को नींद नहीं आती, और वो थकान महसूस किए बगैर काम करता रहता है. यही वजह है कि मॉडेफिनिल लड़ाकू पायलट्स के लिए गो-पिल्स की श्रेणी में आ चुकी. इसे स्पीड पिल भी कहते हैं. 

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क्या हो अगर लड़ाकू पायलट इसे लेने से मना कर दें

किसी मिशन की कामयाबी इसपर भी निर्भर होती है  कि पायलट कितने लंबे समय तक चौकन्ना रह सकता है. ऐसे में उसे मॉडेफिनिल ड्रग ऑफर की जाती है. लेकिन किसी पर इसका दबाव नहीं बनाया जा सकता. हालांकि कनाडाई मिलिट्री ने इसका भी तोड़ निकाल लिया. वहां सैनिकों के लिए ये लीगल रिक्वायरमेंट है कि अगर कोई काम बिना दिन-रात देखे करना हो, और ऐसे काम में किसी चीज की जरूरत पड़े तो उन्हें वो करना ही होगा. ऐसे में सैनिक मना कर दे तो उसपर ये खतरा रहेगा कि उसकी वजह से ऑपरेशन फेल हो सकता है. 

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