
बीजेपी ने अनंत राज्य 'महाराज' को पश्चिम बंगाल से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है. अनंत राय उत्तरी बंगाल का एक बड़ा राजनीतिक चेहरा हैं. वो उत्तरी बंगाल के कूच बिहार जिले को अलग राज्य बनाने की मांग करते रहे हैं.
पश्चिम बंगाल की छह राज्यसभा सीटों के लिए 24 जुलाई को वोटिंग होनी है. इसके साथ ही एक सीट के लिए उपचुनाव भी होना है.
अनंत राय ग्रेटर कूच बिहार पीपुल्स एसोसिएशन (GCPA) के अध्यक्ष हैं. ये संगठन लंबे समय से ग्रेटर कूच बिहार को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहा है. अनंत राय खुद को ग्रेटर कूच बिहार का 'महाराज' बताते हैं.
अनंत राय को उम्मीदवार बनाने पर टीएमसी ने बीजेपी पर निशाना साधा है. टीएमसी सांसद और प्रवक्ता शांतनु सेन ने का कहना है, 'हम लंबे समय से कह रहे हैं कि बीजेपी उत्तरी बंगाल में अलगाववादी आंदोलन को बढ़ावा दे रही है और राज्य को बांटना चाहती है.' उन्होंने कहा कि अनंत राय को उम्मीदवार बनाने से साबित होता है कि बीजेपी राज्य का बंटवारा चाहती है और कुछ नहीं.
हालांकि, बीजेपी प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य का कहना है कि 'हम सब समुदाय को साथ लेकर विकास पथ पर आगे बढ़ने पर विश्वास करते हैं. हम 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' पर विश्वास करते हैं.'
एक ही मकसद- अलग राज्य बने ग्रेटर कूच बिहार
अनंत राय ग्रेटर कूच बिहार का महाराजा होने का दावा करते हैं. उनकी राजनीति का एकमात्र मकसद ग्रेटर कूच बिहार को अलग राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेश बनाना है.
अपने खिलाफ कई सारे मामले दर्ज होने के कारण अनंत राय कुछ साल पहले असम चले गए थे. 2019 के चुनाव से पहले उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. बाद में कूच बिहार में एक चुनावी रैली में उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच पर भी देखा गया था.
माना जाता है कि अनंत राय की मौजूदगी का बीजेपी को अच्छा फायदा हुआ. उनकी वजह से लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तरी बंगाल में बड़ी जीत मिली.
2021 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी अनंत राय के साथ एक मंच पर देखा गया था.
बीजेपी के लिए कितने अहम अनंत राय?
अनंत राय राजबंशी समुदाय से आते हैं. मातुआ के बाद ये पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय है. अनंत राय को उम्मीदवार बनाने से बीजेपी की उत्तरी बंगाल में अच्छी-खासी पकड़ बन सकती है, क्योंकि वहां राजबंशी समुदाय का अच्छा-खासा दबदबा है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, उत्तरी बंगाल की आठ में से चार लोकसभा सीटों पर राजबंशी अहम फैक्टर है. 2019 में बीजेपी ने इनमें से सात सीटें जीती थीं.
अनंत राय को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं. माना जा रहा है कि अगर अनंत राय यहां से राज्यसभा जाते हैं तो ये बीजेपी के लिए बड़ी जीत होगी. उसकी सबसे बड़ी वजह तो यही है कि अनंत राय की राजबंशी समुदाय की बीच अच्छी-खासी पैठ है.
कितना अहम है उत्तरी बंगाल?
उत्तरी बंगाल में दार्जिलिंग समेत आठ जिले आते हैं. ये पूरा क्षेत्र अपने चाय के बागान, लकड़ी और पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है. लिहाजा ये राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम इलाका है.
उत्तरी बंगाल की सीमा नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ लगती है. 80 के दशक के बाद यहां गोरखाओं, राजबंशी, कोच और कमातपुरी के बीच जातीय हिंसा भी बढ़ी है.
बीजेपी के कई सांसद और विधायक भी इन आठ जिलों को मिलाकर अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग करते रहे हैं. हालांकि, बीजेपी का कहना है कि वो इस तरह की मांग का समर्थन नहीं करती है.
7 राज्यसभा सीटों पर होने हैं चुनाव
पश्चिम बंगाल की सात राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. इनमें से 6 पर चुनाव होने हैं, जबकि एक पर उपचुनाव.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में 294 में से 216 विधायक टीएमसी के हैं. जबकि, बीजेपी के पांच विधायक भी टीएमसी से जुड़ चुके हैं. हालांकि, उन्होंने अभी तक विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है. वहीं, बीजेपी के 70 विधायक हैं.
विधायकों की संख्या देखी जाए तो सात में से छह सीटों पर टीएमसी के उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है. जबकि, बीजेपी के खाते में एक सीट आ सकती है.