
किसी की देश के पास कितना सोना है, इससे तय होता है कि वो इकनॉमिक तौर पर कितना मजबूत होगा. खासकर युद्ध या किसी भी इमरजेंसी के बाद इससे उबरने में गोल्ड रिजर्व ही मदद करता है. WGC हर साल बताती है कि किस देश के पास कितना गोल्ड है. अमेरिका इसमें टॉप पर है. यानी उसके सरकारी बैंकों में सबसे ज्यादा सोना रखा हुआ है. हालांकि इस रिजर्व को बढ़ाने के लिए उसने एक वक्त पर आम लोगों के सोना रखने को गैरकानूनी बना दिया था.
क्या था ऑर्डर नंबर 6102?
आपदा के समय सरकार के पास ये हक होता है कि वो अपने नागरिकों से सोना जब्त कर सके. इसकी सबसे बड़ी मिसाल सुपरपावर अमेरिका में देखने मिली थी. वो ग्रेट डिप्रेशन का दौर था. पहले वर्ल्ड वॉर के बाद और दूसरे की शुरुआत से पहले अमेरिका में भारी मंदी आ गई. नौकरियां जा रही थीं. लोग भूख से मर रहे थे. सरकार के पास पैसे नहीं थे कि वो बाजार को चला सके. ऐसे में तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर 6102 निकाला.
सौ डॉलर की कीमत जितना गोल्ड ही वैध
इमरजेंसी बैंकिंग एक्ट 1933 के तहत आनन-फानन यह बिल पास कर दिया और आदेश आ गया कि लोगों को अपने घरों या लॉकर में सोना रखना मना है. यानी जिसके पास जितना भी सोना है, वो सरकार को बेच दिया जाए. कोई भी परिवार ज्यादा से ज्यादा सौ डॉलर की कीमत जितना गोल्ड अपने पास रख सकता था. इसमें भी कॉइन या गहने ही रखना वैध था. बुलियन यानी सोने का शुद्ध बार इसमें शामिल नहीं था. इस तरह से रातोरात अपने ही घरों में रखा अपना ही गोल्ड गैरकानूनी की श्रेणी में आ गया.
जब्ती के बाद कीमत बढ़ा दी गई
सरकार बहुत कम कीमत पर इसे खरीदकर बैंकों में रखने लगी. यहां तक तो फिर भी ठीक था, लेकिन इसके बाद दूसरा विस्फोट हुआ. गोल्ड कॉन्फिसेक्शन (सोने की जब्ती) के अगले ही साल सरकार ने उसकी नई कीमतें जारी कर दीं तो असल कीमत से कई गुना ज्यादा थी. यानी अब लोगों को अगर थोड़ा भी सोना खरीदना हो तो उन्हें कई गुना पैसे चुकाने पड़ते. बहुत से अमेरिकी नाराज होकर कोर्ट पहुंच गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अमेरिका ने ये नियम 1970 तक जारी रखा. तब तक दुनिया दूसरा युद्ध झेल चुकी थी और अमेरिका अपने गोल्ड भंडार के साथ सबसे बड़ी ताकत बन चुका था.
क्या अब भी कोई लिमिट है?
अब वहां पर सोना रखने की कोई लिमिट नहीं है. कोई भी गहने, कॉइन, या किसी भी रूप में जितना चाहे गोल्ड निजी तौर पर रख सकता है. हां, अगर कोई एकाएक काफी ज्यादा सोना खरीदे, या बेचे तो उसे इंटरनल रेवेन्यू सर्विस को बताना होता है, वरना कार्रवाई हो सकती है. इससे तस्करों पर भी लगाम कसी रहती है.
और देशों में भी गोल्ड कॉन्फिसेक्शन
पचास के आखिर में ऑस्ट्रेलिया में भी एक लॉ बना, जो सरकार को गोल्ड सीज करने का अधिकार देता है, अगर जरूरत पड़े.
साल 1966 में यूके सरकार ने पाउंड की वैल्यू कम होने से रोकने के लिए नियम बना दिया. इसके तहत लोग 4 से ज्यादा गोल्ड कॉइन नहीं रख सकते थे.
तीस की शुरुआत में नीदरलैंड ने भी गोल्ड सीज करने की बात की थी और लिमिट तय कर दी थी ताकि मंदी से उबरा जा सके.
भारत में सोने की जब्ती तब होती है जब वो तस्करी में पकड़ा जाए. वित्त मंत्रालय के मुताबिक साल 2022 में साढ़े 3 हजार किलो गोल्ड सीज हुआ.
सोने के भंडार में हमारा देश कहां?
भारत सबसे ज्यादा गोल्ड रिजर्व वाले टॉप 10 देशों में 9वें नंबर पर है. हमारे पास 8 सौ टन से कुछ ज्यादा भंडार है. साल 2017 से हमारे रिजर्व में 248 टन सोने की बढ़त हुई. ये सबसे तेज मानी जा रही है.
सरकारी भंडार में रखे सोने को छोड़ दें तो भारत में निजी तौर पर सबसे ज्यादा सोना है. WGC की पिछले साल जून की एक रिपोर्ट दावा करती है कि 21 हजार टन सोना भारतीय घरों में रखा हुआ है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है.
जाते हुए गोल्ड रिजर्व को भी जानते चलें. सरकारी बैंकों में सोने का भंडार रखने की सीधी वजह है कि गोल्ड को अब भी सबसे सेफ एसेट माना जाता है. ये सबसे भरोसेमंद संपत्ति है जो किसी भी इमरजेंसी में देश को स्थिर बनाए रखती है, या उसे कोलैप्स होने से रोकती है. ये करेंसी की वैल्यू में भी मदद करती है.