
पाकिस्तान में काम कर रहे चीन के लोगों पर लगातार हमले हो रहे हैं. इस बीच चर्चा है कि चीन अब पाकिस्तान में अपनी सिक्योरिटी फोर्सेस को तैनात करना चाहता है. और इसकी मंजूरी देने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है.
पिछले महीने कराची एयरपोर्ट पर एक बम ब्लास्ट में दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी. दोनों इंजीनियर थाईलैंड से छुट्टी मनाने के बाद काम पर लौटे थे. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चीन अब पाकिस्तान में काम कर रहे इंजीनियरों की सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी फोर्सेस तैनात करने की तैयारी कर रहा है.
पाकिस्तान में कई प्रोजेक्ट्स पर चीन के इंजीनियर काम कर रहे हैं. इनमें सबसे अहम चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) है. सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' का हिस्सा है. इस साल सीपीईसी पर काम कर रहे कई चीनी इंजीनियरों पर हमले हुए हैं.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को एक पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि चीन अपनी सिक्योरिटी फोर्सेस को यहां तैनात करना चाहता है. इसके लिए चीन ने पाकिस्तान को लिखित में प्रस्ताव भेजा है. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान अब तक इस पर राजी नहीं हुआ है. पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां भी चीन के इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं.
ऐसा क्यों चाहता है चीन?
पाकिस्तान में करीब 30 हजार चीनी नागरिक काम करते हैं. इनमें से सबसे ज्यादा लोग CPEC पर काम कर रहे हैं. तीन हजार किलोमीटर लंबा ये कॉरिडोर चीन के काशगर से शुरू होता है और पाकिस्तान के ग्वादर पर खत्म होता है.
ग्वादर बलूचिस्तान में पड़ता है. बलूचों का आरोप है कि चीन और पाकिस्तान उनके संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं. यही वजह है कि बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे लोगों और इंजीनियरों को टारगेट कर रहे हैं.
चीनी वर्कर्स पर हमला करने का BLA का एक लंबा इतिहास रहा है. 2018 में कराची में चीनी कॉन्सुलेट के बाहर बम धमाका, 2019 में ग्वादर पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल, 2020 में पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज और 2022 में कराची यूनिवर्सिटी में हमले हो चुके हैं.
अगस्त 2021 में ग्वादर में चीनी वर्कर्स के एक काफिले पर हमला हो गया था, जिसमें कई लोग घायल हुए थे. इससे पहले जुलाई में खैबर पख्तूनख्वाह में चीनी वर्कर्स को ले जा रही बस पर हमला हुआ था, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी.
बलूचों का आरोप है कि संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद बलूचिस्तान आर्थिक रूप से पिछड़ा है और वो इसके लिए सिर्फ पाकिस्तान की सरकार ही नहीं, बल्कि चीन को भी जिम्मेदार मानते हैं.
BLA के अलावा और दूसरे आतंकी संगठन भी चीनियों को निशाना बनाते रहे हैं. 2017 में क्वेटा में एक चीनी कपल का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने भी कई चीनी नागरिकों को निशाना बनाया है.
क्या पाकिस्तान में तैनात होगी चीन की सेना?
इन हमलों से चीन नाराज हो गया है. वो लंबे समय से अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपनी सिक्योरिटी फोर्सेस को तैनात करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है.
रॉयटर्स के मुताबिक, हाल ही में एक बैठक हुई थी, जिसमें चीनी अधिकारियों ने इस बात के सबूत रखे हैं कि पाकिस्तान चीनी वर्कर्स के सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का पालन करने में नाकाम रहा है. पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी वर्कर्स के लिए एक सिक्योरिटी प्रोटोकॉल है, जिसपर दोनों देशों की रजामंदी है. जब चीनी वर्कर्स काम कर रहे होते हैं या आना-जाना करते हैं तो उन्हें हाई लेवल की सिक्योरिटी दी जाती है. बैठक में चीन ने महीनेभर में दो बार सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का पालन न करने का दावा किया है.
कराची एयरपोर्ट पर दो चीनी इंजीनियरों की मौत के बाद से चीन गुस्साया हुआ है. चीनी अधिकारियों का दावा है कि एयरपोर्ट के बाहर करीब 40 मिनट तक 100 किलो विस्फोटकों से भरा ट्रक मंडराता रहा. उसकी जांच नहीं की गई और आखिरकार उसने चीनी इंजीनियरों को ले जा रही कार को टक्कर मार दी. चीन ने इस गंभीर सिक्योरिटी ब्रीच माना था. चीनी अधिकारियों का तो ये भी मानना है कि उन चीनी इंजीनियरों के शेड्यूल की जानकारी 'अंदर' से ही मिली थी.
चीन अपने वर्कर्स की सुरक्षा के लिए खुद की सिक्योरिटी फोर्सेस तैनात करना चाहता है. हालांकि, पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां इसके खिलाफ है. पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि चीनी दूतावास और कॉन्सुलेट के आसपास ही चीन की सिक्योरिटी फोर्सेस तैनात हो सकती हैं.
चीनी सेना तैनात हुई तो भारत के लिए कितनी बड़ी चिंता?
CPEC के लिए चीन ने पाकिस्तान में 62 अरब डॉलर लगाए हैं. इस प्रोजेक्ट को 2015 में शुरू किया गया था. इस कॉरिडोर में हाईवे, रेलवे लाइन, पाइपलाइन और ऑप्टिकल केबल का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है.
चीन लगातार अपनी सिक्योरिटी फोर्सेस भेजने की मंजूरी देने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है. अभी तक तो पाकिस्तान ने इसकी मंजूरी नहीं दी है. लेकिन चीन उसका पक्का दोस्त है और हो सकता है कि आज नहीं तो कल, वो इसकी मंजूरी दे दे.
अगर पाकिस्तान इसकी मंजूरी देता है तो चीन की सेना वहां तैनात हो जाएगी. ये भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात होगी. क्योंकि इससे चीन की सेना PoK में भी आ जाएगी, क्योंकि यहां भी कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है. भारत PoK में किसी भी विदेशी सेना की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं करेगा. PoK में चीनी सेना की मौजूदगी भारत की उत्तरी सीमाओं के पास चीन का दखल बढ़ेगा. इससे भविष्य में भारत और चीन के बीच उत्तरी सीमा पर भी तनाव बढ़ने का खतरा हो सकता है.