
इजरायली सेना और फिलिस्तीन में चल रहे युद्ध के बीच तेल अवीव स्थित भारतीय दूतावास अलर्ट हो गया. उसने इजरायल में रह रहे भारतीयों की सेफ्टी का आश्वासन देते हुए उन्हें लगातार अपने संपर्क में रहने को कहा है. भारतीय नौकरी के लिए पश्चिमी देश तो जाते ही हैं, हर साल काफी संख्या में वे इजरायल भी पहुंच रहे हैं. यहां वे IT से अलग केयरगिविंग की जॉब करते हैं. इसमें पैसे भी हैं, और पर्क्स भी.
उम्रदराज लोगों की देखरेख का जिम्मा
जैसे-जैसे देश या लोग अमीर होते जाते हैं, उनके पास बुजुर्गों की देखभाल के लिए वक्त कम होता चला जाता है. ये बात अमेरिका पर भी लागू है, जापान पर भी, और इजरायल पर भी. यहां पैसे तो हैं, लेकिन किसी के पास समय नहीं है. ऐसे में लोग प्रोफेशनल केयरगिवर खोजते हैं जो उनके बुजुर्गों की देखभाल कर सके. इसमें साथ समय बिताना भी शामिल है. मसलन, अगर बुजुर्ग को अकेलापन या डिप्रेशन की समस्या है तो केयरगिवर उसे खाना-पानी ही नहीं देगा, बल्कि साथ बैठकर बातें भी करेगा. इन्हें उम्रदराज लोगों की नैनी भी मान सकते हैं.
तेजी से बढ़े बुजुर्ग
इजरायल में भी ये कंसेप्ट काफी चल रहा है. इसकी वजह ये है कि वहां बुजुर्गों की पॉपुलेशन तेजी से बढ़ी. यूनाइटेड नेशन्स इकनॉमिक कमीशन फॉर यूरोप के मुताबिक इजरायल में साल 1950 के बाद से 65 पार के लोगों की आबादी तेजी से बढ़ते हुए अब 18 गुना तक पहुंच गई है. हाई फर्टिलिटी रेट के कारण देश की हालत अब भी जापान या चीन जैसी नहीं हुई, लेकिन ये उसके मुहाने पर खड़ा है.
बुजुर्ग आबादी की देखरेख के लिए इजरायली परिवार केयरगिवर्स हायर कर रहे हैं. इसमें भारतीय टॉप पर हैं. धीरज और प्रोफेशनल स्किल्स के चलते वे इजरायल की पसंद बने हुए हैं. यही वजह है कि वहां रह रहे करीब 14 हजार भारतीय यही काम करते हैं.
भारतीयों को क्या फायदा हो रहा है
इजरायल में इंडियन केयरगिवर्स की काफी डिमांड है. उन्हें तरजीह तो मिलती ही है, साथ ही सैलरी भी बाकी देशों के मुकाबले ठीक रहती है. जैसे सोशल मीडिया पर इजरायली केयरगिवर्स के कई ग्रुप चलते हैं. इनकी मानें तो वहां सवा लाख से 3 लाख तक की तनख्वाह कॉमन है. घंटों के हिसाब से देखें तो प्रति घंटा काम के बदले कम से कम 9 सौ रुपए मिलते हैं. रहने-खाने का खर्च अलग से है. साथ ही मेडिकल सुविधाएं भी केयरगिवर का परिवार ही उठाता है.
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एक दिन की मिलती है छुट्टी
छुट्टियों के मामले में हालांकि ये थोड़ा मुश्किल जॉब है. यहां शुक्रवार दोपहर से शनिवार दोपहर तक की छुट्टी मिलती है. ये यहूदियों के लिए धार्मिक आयोजन और फैमिली गेट-टूगेदर का समय होता है. सरकारी नियम भी कम से कम 24 घंटों की छुट्टी देते हैं. लेकिन इसके अलावा केयरगिवर को 24 घंटे उसी शख्स के आसपास रहना होता है, जिसकी देखभाल का उसे काम मिला हो. इसके बाद भी दूसरे देशों की तुलना में ये ज्यादा आसान है, जहां से लगातार केयरगिवर्स के शोषण की खबरें आती रहती हैं.
कॉन्ट्रैक्ट तोड़ भी सकते हैं
कई बार क्लाइंट और प्रोफेशनल के बीच दिक्कतें भी आ जाती हैं. तब केयरगिवर अगर सालभर पूरा कर चुका हो तो वो नई नौकरी खोजने के लिए आजाद है. या फिर अगर जिसकी देखभाल की जा रही हो, उसकी मौत हो जाए तो भी कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो जाता है, लेकिन वीजा चूंकि करीब 4 साल के लिए होता है तो भारतीय शख्स इजरायल में ही नई नौकरी खोज सकता है.
कितना पढ़ा-लिखा होना काफी है
बहुत से देशों में केयरगिवर के लिए नर्सिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी है, लेकिन भारतीयों को इजरायल में छूट मिलती है. अगर उनके पास जनरल नर्सिंग का अनुभव है तो भी वे केयरगिवर की जॉब के लिए अप्लाई कर सकते हैं. पहले चरण के बाद बेसिक हिब्रू भी सिखाई जाती है, ताकि आसानी रहे. वहीं अमेरिका या यूके जैसे देशों में किसी भी नौकरी के लिए अंग्रेजी के टेस्ट में पास होना जरूरी है.
भारत में किन राज्यों से जा रहे लोग
केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से लोग इजरायल जा रहे हैं. भारतीयों के अलावा नेपाल और फिलीपींस जैसे देशों के लोग भी इजरायल में केयरगिवर का काम करते मिल जाएंगे.
हो रहा विवाद भी
कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये आरोप भी लग रहा है कि भारतीय मुस्लिम तीर्थ के बहाने इजरायल आते और वहां गायब हो जाते हैं. मिडिल ईस्ट आई नाम की न्यूज वेबसाइट ने दावा किया कि केरल के मुसलमान इजरायल में धार्मिक यात्रा के बहाने काम की तलाश में आ रहे हैं. ट्रैवल ऑर्गेनाइज करने वाले कई ऑपरेटरों ने पाया कि उनके साथ आए कई लोग तेल अवीव पहुंचते ही गायब हो जाते हैं. ऐसी बीते 2 दशकों में बढ़ा. हालांकि इस रिपोर्ट की सच्चाई पर कोई डेटा नहीं मिलता.