
सऊदी कथित तौर पर अपने यहां ह्यमन राइट्स को बुरी तरह से कुचलता है, फिर इमेज चमकाने के लिए इंटरनेशनल खेलों पर डोनेट करता है. सबसे पहले साल 2018 में उसने वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (WWE) के साथ 10 साल का करार किया. इसपर उसने जितने पैसे लगाए, वो WWE की सालाना रेवेन्यू का 10 प्रतिशत है. इसके बाद से वो बॉक्सिंग, टेनिस, हॉर्स रेसिंग और यहां तक फॉर्मूला 1 पर भी जमकर पैसे खर्च कर चुका है. वो यहीं पर नहीं रुका, बल्कि उसने गोल्फ कंपीटिशन को स्पॉन्सर किया, क्रिकेट और सॉकर टीमें खरीदने लगा.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने आरोप लगाया कि वो असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए स्पोर्ट्सवॉशिंग कर रहा है.
क्या है स्पोर्ट्सवॉशिंग का मकसद
कोई व्यक्ति, संस्था या सरकार अपनी खराब छवि को सुधारने के लिए खेल या किसी बड़े इवेंट की मदद लेता है. इस दौरान वो भले ही होस्ट की भूमिका में रहता है. खूब तैयारियां की जाती हैं. खाने-पीने का उम्दा इंतजाम होता है. ये सब इसलिए कि लोग आएं, भोजन-संगीत-खेल का आनंद लें और बुरी इमेज को भूल जाएं.
एक्सपर्ट इसे रेपुटेशन लॉड्रिंग भी कहते हैं
इसके जरिए न केवल अपनी इमेज सुधारी जाती है, बल्कि बड़े-बड़े जुर्म, पैसों का गबन और यहां तक कि सामूहिक हत्याकांड जैसी चीजों को छिपाने के लिए भी देश इसका सहारा लेते हैं. ये वैसा ही है, जैसे गलतियां छिपाने के लिए लोग चश्मदीद को बड़ा तोहफा या पार्टी दें.
विदेशी पत्रकार की हत्या का आरोप
सऊदी के शाही परिवार पर आरोप है कि उसने अपने आलोचक पत्रकार जमाल खाशोजी की हत्या करवा दी. इसके बाद इस देश में कई खेलों का आयोजन हुआ, जिसमें भारी पैसे लगाए गए. जैसे सिर्फ घुड़दौड़ की प्रतियोगिता सऊदी कप में देश ने 60 मिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च किए. ह्यूमन राइट्स संस्था ग्रांट लिबर्टी के मुताबिक साल 2018 में हत्या के बाद से सऊदी में कई हाई प्रोफाइल खेल हुए, जिसमें 1.5 बिलियन डॉलर से ज्यादा पैसे लगाए गए.
मजूदरों पर हिंसा को लेकर भी घिरता रहा
इस देश पर लंबे समय से विदेशी कामगारों के साथ बदसलूकी का आरोप लगता रहा. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक यहां विदेशी मजदूरों की अचानक मौत हो रही है. वे बंदे कमरों में जानवरों की तरह रखे जाते हैं. उनके खाने-पीने और बीमारी में मेडिकल ट्रीटमेंट का भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं होता. आईएलओ ने बाकायदा आंकड़े देते हुए पूछा कि फलां-फलां साल में एकाएक इतने लेबर्स की मौत क्यों हुई, जो देश आने से पहले स्वस्थ और युवा थे.
कब-कितने पैसे लगाए
- अप्रैल 2018 में सऊदी स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री ने WWE के साथ 10 साल का करार किया, जिसमें कथित तौर पर एनुअली 100 मिलियन डॉलर खर्चे जा रहे हैं.
- दिसंबर 2019 में लगातार दो इवेंट हुए. साथ ही दिरिया कप टेनिस टूर्नामेंट भी रखा गया, जिसमें विदेशी मेहमान आए.
- सॉकर प्लेयर लियोनल मेस्सी ने 25 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया.
- दिसंबर 2021 में जेद्दाह में फॉर्मूला 1 रेस रखी गई. इसके बाद से ये इवेंट हर साल हो रहा है.
- जून 2022 में वहां लाइव गोल्फ टूर का आयोजन हुआ, जिसपर सऊदी सरकार ने कथित तौर पर 2 बिलियन डॉलर खर्च किए.
- पुर्तगाल के स्टार फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने इंग्लिश टीम को छोड़कर सऊदी से करार किया, जिसके बदले उन्हें 6 सौ मिलियन डॉलर दिए गए. ये स्पोर्ट्स हिस्ट्री में सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट माना जा रहा है.
अमेरिकी एजेंसियां कर रही जांच
इसी जून में वहां की पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड ने कथित तौर पर गोल्फ के लिए 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा लगाए. इसके तुरंत बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसियां एक्टिव हो गईं. अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) ने तुरंत ही इस पैसे की जांच शुरू कर दी. अमेरिका को नाराजगी है कि अपनी इमेज चमकाने के लिए सऊदी पैसों का सहारा ले रहा है.
वहां की सरकार का क्या तर्क है
सऊदी के अधिकार कहते हैं कि खेलों पर पैसे लगाना उनके विजन 2030 का हिस्सा है. ये सरकारी योजना है, जिसके तहत ये देश ऑइल से अलग भी इकनॉमी खड़ी करने की बात करता है. इससे विदेशी टूरिस्ट उनके यहां आएंगे और डोमेस्टिक एम्प्लॉयमेंट बढ़ेगा. लेकिन इन सारी बातों को हवा में उड़ाते हुए मानवाधिकार संस्थाएं कई सवाल करती हैं.
क्या और देश भी स्पोर्ट्सवॉशिंग कर रहे हैं
कई देशों पर ऐसे आरोप लगते रहे. जैसे चीन ने साल 2008 और 2022 में ओलंपिक का आयोजन किया. इसी दौरान उसपर उइगर समेत कई माइनोरिटीज पर हिंसा के आरोप भी लगते रहे. रूस ने साल 2014 में ओलंपिक होस्ट करने के कुछ ही हफ्तों बाद क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. सऊदी के अलावा कई अमीर खाड़ी देशों पर भी स्पोर्ट्सवॉशिंग के आरोप लग चुके हैं.