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पार्टनर के हाथों मारी गईं रोज करीब 133 महिलाएं, क्या है फेमिसाइड, जिसमें महिला-हत्या को बनाया जा रहा अलग क्राइम?

यूनाइटेड नेशन्स (UN) का डेटा कहता है कि दुनिया में हर घंटे औसतन 5 महिलाओं की हत्या उनका ही परिवार कर रहा है. वहीं साल 2022 में रोज लगभग 133 लड़कियां अपने ही साथी के हाथों मारी गईं. अब कई देश एक खास लॉ बना चुके, जिसमें फेमिसाइड को बाकी हत्याओं से अलग जुर्म माना जाएगा. यानी हत्या अलग श्रेणी है, जबकि महिलाओं की हत्या अलग कैटेगरी.

महिला हत्या को अलग क्राइम का दर्जा दिया जा रहा है. (Photo- Getty Images) महिला हत्या को अलग क्राइम का दर्जा दिया जा रहा है. (Photo- Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:01 PM IST

फेमिसाइड एक किस्म का हेट क्राइम है, जो किसी जाति या धर्म के साथ नहीं, बल्कि महिलाओं के खिलाफ होता है. ये नफरत इतनी बढ़ जाए कि किसी महिला की हत्या कर दी जाए तो उसे फेमिसाइड कहते हैं. अब कई मुल्क महिलाओं की हत्या को अलग अपराध बनाने जा रहे हैं, कईयों ने इसपर कानून भी बना दिया. जानिए, क्यों महिलाओं की हत्या को अलग क्राइम का दर्जा दिया जा रहा है.

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कब पहली बार फेमिसाइड शब्द का हुआ इस्तेमाल

साल 1801 में आइरिश लेखक जॉन कॉरी ने अपनी किताब में फेमिसाइड टर्म का पहली बार जिक्र किया था. बाद में फेमिनिस्ट लेखिका डायना रसेल ने महिलाओं के खिलाफ एक्सट्रीम हेट-क्राइम यानी हत्या के लिए इसका इस्तेमाल किया. जैसे दूसरे धर्म में या घर के पुरुषों की मर्जी से अलग रिश्ता बनाने पर लड़की की हत्या, या अपनी मर्जी के कपड़े पहनने पर मर्डर जैसा कदम उठाना. ये बर्बरता मर्डर की दूसरी श्रेणी से अलग है क्योंकि ये विशुद्ध नफरत से उपजती है. 

साल 2013 में यूएन ने रिजॉल्यूशन 69 पारित किया. ये जेंडर की वजह से महिलाओं की हत्या पर सख्त एक्शन लेने की बात करता है. इसके बाद से कई देशों ने ऐसे कानून बनाए. 

इस देश में साल 2007 में बना लॉ 

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कैरिबियाई देश कोस्टा रिका पहला मुल्क है, जिसने फेमिसाइड को अलग क्राइम का दर्जा दिया. बता दें कि लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में महिला हत्या काफी ज्यादा है. कानून बनने के बाद से कोस्टा में पत्नी या पार्टनर की हत्या करने वाले पुरुष को 20 से 35 साल की कैद होने लगी. इस देश में कई ऐसे नियम भी हैं जो उन पुरुषों को सजा देते हैं जो अपनी पार्टनर या पत्नी को आजादी से रहने से रोकें. 

और किन-किन देशों में ये कानून

- लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के 33 देशों में से 18 देशों में होमिसाइड अब हेट क्राइम बन चुका.

- दो साल पहले साइप्रस और माल्टा में क्रिमिनल कोड आया, जो जेंडर-रिलेटेड हत्या पर ज्यादा कठोर सजा देता है.

- दक्षिणपूर्व का यूरोपियन देश क्रोएशिया सबसे नया देश है, जिसने फेमिसाइड को अलग क्राइम की श्रेणी में रखा.

- मर्डर में जहां 10 से 12 साल की कैद मिलती है, वहीं होमिसाइड पर सजा लगभग दोगुनी हो जाती है.  

नियम बनने के बाद भी खास फर्क नहीं पड़ा

लंदन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी ने फेमिसाइड पर कानून बना चुके देशों पर रिसर्च की.  इसके नतीजे कहते हैं कि ज्यादातर जगहों पर होमिसाइड को सिर्फ पत्नी या पार्टनर की हत्या तक सीमित कर दिया गया, जबकि इसके तहत घर में मौजूद तमाम महिलाएं आती हैं.

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इस श्रेणी में वे हत्याएं भी आनी चाहिए जो भले ही मारने के इरादे से न हों, लेकिन जिसमें हिंसा हो. मसलन, फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन. महिलाओं के प्राइवेट पार्ट का एक हिस्सा अलग करने की ये एक धार्मिक प्रक्रिया है, जिसमें कई बच्चियों की मौत हो जाती है. शोधकर्ताओं ने माना कि ऐसी सारी गैर-इरादतन या इरादतन हत्याएं इस कैटेगरी में रखी जानी चाहिए क्योंकि आखिरकार ये जेंडर-बेस्ड हिंसा है. 

कोस्टा रिका ने हाल में फेमिसाइड की परिभाषा में एक बार फिर संशोधन किया. अब वहां रोमांटिक रिश्ते से बाहर भी महिला हत्या पर सख्त सजा मिलेगी. उम्मीद की जा रही है कि ये बाकी देशों के लिए एक उदाहरण होगा. 

क्या हैं अमेरिका से लेकर यूरोप के हाल

एक तरफ लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देश फेमिसाइड पर कानून-कायदे बना रहे हैं, वहीं विकसित देश इस मामले में काफी पीछे हैं. अमेरिका में इसपर लॉ बनाने की बात काफी समय से चल रही है. खासकर कोविड के दौरान वहां कई राज्यों से डराने वाले मामले आए. कनाडा में भी फेमिसाइड से जुड़ा कोई लीगल फ्रेमवर्क अब तक तैयार नहीं हो सका. न ही भारत में इसपर अलग या ज्यादा कड़ा कानून बन सका है. यूरोप में भी दो ही देश हैं, साइप्रस और माल्टा, जो फेमिसाइड को अलग क्राइम का दर्जा देते और कार्रवाई करते हैं. 

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