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घर की जिम्मेदारी, समाज का दबाव... पढ़ाई में पुरुषों से आगे लेकिन नौकरियों में क्यों पीछे हैं महिलाएं?

भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में लोअर सेकंडरी एजुकेशन पूरी करने की दर ज्यादा है. इसके बावजूद वो लेबर फोर्स से बाहर हैं. 2022 में महिलाओं में लोअर सेकंडरी एजुकेशन पूरी करने की दर 88.8% थी, जबकि पुरुषों में 85.8% थी. लेकिन लेबर फोर्स में 32.8% महिलाएं शामिल हैं.

भारत में ज्यादातर महिलाएं जॉब मार्केट से बाहर हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीरः Reuters) भारत में ज्यादातर महिलाएं जॉब मार्केट से बाहर हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीरः Reuters)
सम्राट शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST

आज के समय में भारतीय महिलाएं पहले से ज्यादा शिक्षित हैं, लेकिन क्या इससे नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी बढ़ रही है? जवाब है- नहीं. 

वर्ल्ड बैंक के जेंडर डेटा पोर्टल के मुताबिक, फीमेल लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट के मामले में भारत 2023 में 187 देशों की लिस्ट में 165वें नंबर पर था. भारत में लेबर फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 32.7% है. इसका मतलब ये हुआ कि महिलाओं की एक बहुत बड़ी आबादी जॉब मार्केट में है ही नहीं. जबकि, चीन में लेबर फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 60.5% थी, जो भारत की तुलना में लगभग दोगुना है.

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एजुकेटेड लेकिन जॉब मार्केट से बाहर

भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में लोअर सेकंडरी एजुकेशन पूरी करने की दर ज्यादा है. इसके बावजूद वो लेबर फोर्स से बाहर हैं. 2022 में महिलाओं में लोअर सेकंडरी एजुकेशन पूरी करने की दर 88.8% थी, जबकि पुरुषों में 85.8% थी. वहीं, वैश्विक औसत 77% था.

नारी शक्ति पर सरकार का जोर

इस साल चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'नारी शक्ति' पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि 10 साल में महिला सशक्तिकरण ने गति पकड़ी है. उन्होंने ये भी बताया था कि मुद्रा योजना के तहत महिला उद्यमियों को 30 करोड़ रुपये के लोन दिए गए हैं. इतना ही नहीं, 10 साल में हायर एजुकेशन में एनरोल करने वाली महिलाओं की संख्या भी 28 फीसदी बढ़ गई.

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उन्होंने ये भी कहा था कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने और गांवों में पीएम आवास योजना के तहत 70 प्रतिशत से ज्यादा मकान महिलाओं को देने से उनकी गरिमा बढ़ी है.

हालांकि, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को जॉब मार्केट में आने से रोक रहे हैं.

वर्कप्लेस पर महिलाओं की स्थिति

भारत में महिलाओं के लिए काम करना मुश्किल समझा जाता है. महिलाएं अगर जॉब मार्केट में नहीं हैं, तो उसकी कई सारी वजहें हैं, जिनमें वर्कप्लेस पर काम के लिए अच्छा माहौल न मिल पाना भी शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, असुरक्षित नौकरियों में न अच्छी कमाई होती है और न ही यहां काम करने के लिए अच्छा माहौल मिल पाता है, जिससे कामगारों के मौलिक अधिकार भी कमजोर होते हैं. 2022 में महिलाओं के लिए असुरक्षित नौकरियों का वैश्विक 45.1 प्रतिशत था, जबकि भारत में ये 78 प्रतिशत तक था.

नौकरी क्यों नहीं करतीं महिलाएं?

अप्रैल 2023 में श्रम और रोजगार मंत्रालय ने एक सर्वे किया था. सर्वे में शामिल 45% महिलाओं ने बताया था कि बच्चों की देखभाल और घर के कामकाज के कारण वो नौकरी नहीं कर पाती हैं. पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं और सामाजिक कारण भी महिलाओं को नौकरी करने से रोकते हैं.

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कामकाजी महिलाएं क्या करती हैं?

वैसे तो ज्यादा महिलाएं जॉब मार्केट से बाहर हैं, लेकिन जो इसमें हैं, वो भी असुरक्षित हैं. लेबर फोर्स में शामिल 32.8% महिलाओं में से 19.7% स्व-रोजगार यानी खुद का कुछ काम संभालती थीं. सिर्फ 5.3% महिलाएं ही ऐसी थीं जिन्हें दिहाड़ी या सैलरी मिलती थी.

सालों से चली आ रही परंपराएं और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी महिलाओं पर होती है. जबकि, घर के खर्चों का जिम्मा पुरुषों पर होता है. 'फीमेल लेबर यूटिलाइजेशन इन इंडिया' रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं को शिक्षित किया जाता है और उन्हें घर से बाहर काम करने की इजाजत दी भी जाती है, तब भी वो दूसरी जिम्मेदारियों के कारण काम करना पसंद नहीं करतीं.

'नारी शक्ति' को कैसे बढ़ा सकता है बजट?

BYST के मैनेजिंग ट्रस्टी लक्ष्मी वेंकटरमन वेंकटेशन ने बताया कि 2024 का बजट नारी कई पहलों के माध्यम से नारी शक्ति को बढ़ावा गे सकता है. लखपति दीदी 2.0 प्रोग्राम, बिजनेस मॉडल और स्किल डेवलपमेंट जैसी पहलें ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक ताकत को बदलने की क्षमता रखता है. इससे न सिर्फ कमाई का जरिया मिलेगा बल्कि लॉन्ग टर्म में महिलाओं को कामयाब भी बनाएगा.

उन्होंने कहा कि टैक्स और जीएसटी प्रक्रियाओं को सरल बनाने से महिला उद्यमियों के लिए काम करना आसान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं से जुड़ी मौजूदा योजनाओं को और मजबूत करना होगा. 

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वेंकटेशन ने कहा कि CGTMSE योजना के तहत 25 लाख रुपये तक के लोन जैसी फाइनेंशियल इंसेटिव शुरू करना, ब्याज में छूट और कैपिटल सब्सिडी देकर महिला उद्यमियों को बढ़ावा दिया जा सकता है.

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