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विनेश को राज्यसभा भेजने की मांग में कितना दम? वहां 100 ग्राम से मेडल छिना, यहां उम्र 4 दिन कम

ओलंपिक से ओवरवेट के कारण डिसक्वालिफाई हो चुकीं विनेश फोगाट को राज्यसभा भेजने की मांग होने लगी है. कांग्रेस नेता भूपिंदर हुड्डा और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने ये मांग उठाई है. हालांकि, उन्हें राज्यसभा भेजने में अभी थोड़ा पेंच है.

भारतीय पहलवान विनेश फोगाट. (फाइल फोटो-PTI) भारतीय पहलवान विनेश फोगाट. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 7:13 PM IST

पहली बार ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल में पहुंचीं विनेश फोगाट का सपना महज '100 ग्राम' से टूट गया. ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल में पहुंचने वालीं विनेश फोगाट पहली भारतीय पहलवान थीं. लेकिन फाइनल मुकाबले से पहले जब उनका वजन मापा गया तो वो तय सीमा से 100 ग्राम ज्यादा निकला. इसके बाद उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया.

विनेश फोगाट पहली बार 50 किलो की कैटेगरी में खेल रही थीं. फाइनल से एक दिन पहले उन्होंने तीन मैच जीते भी थे. लेकिन मैच के बाद उनका वजन 2 किलो 700 ग्राम तक बढ़ गया. उन्होंने रात भर मेहनत करके वजन घटाया भी, लेकिन 100 ग्राम से चूक गईं.

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ओवरवेट होने के कारण पेरिस ओलंपिक से डिसक्वालिफाई हुईं विनेश फोगाट का 'गोल्ड' जीतने का सपना भी टूट गया. इतना ही नहीं, अगर मैच होता और उसमें वो हार जातीं, तब भी उन्हें 'सिल्वर' तो मिलता ही.

बहरहाल, विनेश फोगाट ने डिसक्वालिफाई किए जाने के खिलाफ अपील की है. उन्होंने मांग की है कि उन्हें संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिया जाए. इस पर शुक्रवार को फैसला आने की उम्मीद है.

लेकिन, इन सबके बीच सियासत भी तेज हो गई है. विनेश फोगाट को राज्यसभा भेजने की मांग भी होने लगी है. हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने विनेश को राज्यसभा भेजने की मांग की है.

क्या कहा भूपिंदर हुड्डा और बनर्जी ने?

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा ने कहा था कि अगर राज्य में कांग्रेस बहुमत होती तो वो विनेश फोगाट को राज्यसभा भेज देती. उन्होंने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा, अभी हरियाणा में एक सीट खाली है, अगर मेरे पास बहुमत होता तो मैं उन्हें राज्यसभा भेज देता. 

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वहीं, टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि विनेश फोगाट को या तो भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए या फिर उन्हें राज्यसभा भेजा जाना चाहिए.

हालांकि, विनेश के ताऊ महावीर फोगाट ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया है. उन्होंने कहा, आज भूपिंदर हुड्डा विनेश को राज्यसभा भेजने की बात कर रहे हैं, लेकिन जब उनकी सरकार थी तो उन्होंने गीता को क्यों नहीं भेजा. उन्होंने दावा किया कि उस समय हुड्डा सरकार थी. गीता और बबीता को डीएसपी बनाया जाना था, लेकिन हुड्डा साहब ने भेदभाव किया और गीता को इंस्पेक्टर और बबीता को सब-इंस्पेक्टर बना दिया. हमने केस दर्ज कराया और कोर्ट के जरिए मामला सुलझा.

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लेकिन क्या विनेश राज्यसभा सदस्य बन सकती हैं?

भूपिंदर हुड्डा का कहना है कि हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट खाली है, अगर कांग्रेस के पास बहुमत होता तो विनेश को भेजा जाता.

दरअसल, हरियाणा में दीपेंदर सिंह हुड्डा के लोकसभा जाने के बाद राज्यसभा सीट खाली हुई है. उनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक था. चुनाव के लिए 14 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी होगा, जबकि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है.

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ऐसे में विनेश फोगाट के साथ उम्र को लेकर पेंच फंसेगा. दरअसल, कोई व्यक्ति राज्यसभा सदस्य तभी बन सकता है, जब उसकी उम्र 30 साल या उससे ज्यादा हो. विनेश फोगाट अभी 29 साल की हैं. वो 25 अगस्त को 30 साल की पूरी होंगी. यानी, इस बार तो वो चाहकर भी राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल नहीं कर सकतीं. यानी, अगर कोई पार्टी उन्हें हरियाणा से राज्यसभा भेजना भी चाहे तो विनेश महज 4 दिन से चूक जाएंगी.

क्या राष्ट्रपति नामित कर सकती हैं?

राज्यसभा के 245 में से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत कर सकते हैं. संविधान का अनुच्छेद 80(3) उन्हें ये अधिकार देता है. जिन सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं, उनके पास साहित्य, विज्ञान, कला जैसे क्षेत्रों का अनुभव होना चाहिए.

राष्ट्रपति जिन 12 सदस्यों को मनोनीत करती हैं, उनमें से चार का कार्यकाल 13 जुलाई को ही खत्म हुआ है. इनमें राम शकल, राकेश सिन्हा, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी हैं. बाकी आठ सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने में समय है.

यानी, अभी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू चार सदस्यों को मनोनीत कर सकती हैं. राष्ट्रपति केंद्र सरकार की सलाह पर किसी को मनोनीत कर सकती हैं. ऐसे में विनेश फोगाट को मनोनीत किया जा सकता है.

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कौन बन सकता है राज्यसभा सदस्य?

राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है. उसकी उम्र 30 साल से ज्यादा होनी चाहिए. ये जरूरी नहीं है कि वो जिस राज्य से राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित हो, वहीं का रहने वाला हो.

राज्यसभा कभी भंग नहीं होती. राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है. इसके एक तिहाई सदस्यों हर दो साल में रिटायर हो जाते हैं. इसलिए हर दो साल में चुनाव होते हैं. वहीं, राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत सदस्य छह महीने के भीतर किसी राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें स्वतंत्र उम्मीदवार माना जाता है.

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