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फैक्ट चेक: बजरंग दल ने करौली की मस्जिद में नहीं फहराया भगवा झंडा, ये फोटो कैला देवी मंदिर की है

सफेद गुम्बदों वाली इमारत पर कई भगवा झंडे लहरा रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये राजस्थान स्थित करौली की वही मस्जिद है जहां से हाल ही में हुई हिंसा के दौरान पत्थर फेंके गए थे. उसी घटना का बदला लेने के लिए अब बजरंग दल ने वहां भगवा झंडे फहरा दिए हैं.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये राजस्थान के करौली शहर की उसी मस्जिद की फोटो है, जहां से से हाल ही में हुई हिंसा के दौरान पत्थरबाजी की गई थी. बजरंग दल के सदस्यों ने इस मस्जिद पर चढ़कर भगवा झंडा फहरा दिया.
सच्चाई
ये किसी मस्जिद की नहीं, बल्कि करौली के कैलादेवी मंदिर की फोटो है. बजरंग दल के मस्जिद में भगवा झंडा फहराने की बात भी झूठ है.
ज्योति द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 12:55 PM IST

सफेद गुम्बदों वाली एक इमारत की तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल है. इमारत पर कई भगवा झंडे लहरा रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि ये राजस्थान स्थित करौली की वही मस्जिद है जहां से हाल ही में हुई हिंसा के दौरान पत्थर फेंके गए थे. उस घटना का बदला लेने के लिए अब बजरंग दल ने वहां भगवा झंडे फहरा दिए हैं.

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एक इंस्टाग्राम यूजर ने इस फोटो को पोस्ट करते हुए लिखा, “करोली राजस्थान जिस मस्जिद से पत्थर फेंके गए थे...! उसी मस्जिद पर चढ़कर बंजरग दल ने भगवा लहराया...! जय श्री राम” 

हमने पाया कि ये फोटो न तो हाल-फिलहाल की है और न ही इसका करौली, राजस्थान की हटवाड़ा रोड में हुई हालिया हिंसा से कुछ लेना-देना है. ये करौली जिले के कैलादेवी मंदिर की करीब नौ साल पुरानी फोटो है. मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने ‘आजतक’ से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है.

बजरंग दल के करौली जिला संयोजक रजनीश शर्मा ने हमें बताया कि उनकी संस्था के मस्जिद में भगवा झंडा फहराने की बात कोरी अफवाह है.


कैसे पता लगाई सच्चाई?


सबसे पहले हमने इस फोटो को तस्वीरें खोजने वाली वेबसाइट ‘टिनआई’  की मदद से रिवर्स सर्च किया. ‘टिनआई’ में किसी तस्वीर का सबसे पुराना वर्जन, सर्च रिजल्ट में सबसे ऊपर देखने का विकल्प होता है. ऐसा करने से हमें पता लगा कि ये तस्वीर कम से कम साल 2013 से इंटरनेट पर मौजूद है. हालांकि अब 2013 वाला वो वेब पेज खुल नहीं रहा है.

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हमें ये फोटो ‘एलेमी’  , ‘एडोब’ और ‘बिगस्टॉकफोटो’ जैसी कई स्टॉक इमेज वेबसाइट्स में भी मिली. सभी जगह यही लिखा है कि ये करौली की तस्वीर है. हालांकि ये कहीं भी नहीं बताया गया है कि फोटो में दिख रही गुंबद वाली सफेद इमारत कौन-सी है. सभी जगह इस फोटो का क्रेडिट ‘PRILL Mediendesign’ नाम की एक जर्मन विज्ञापन व फोटो एजेंसी को दिया गया है.

हमने गूगल मैप पर मौजूद कैला देवी मंदिर की तस्वीरों को खंगाला तो उनमें और वायरल फोटो में कई समानताएं नजर आईं. गुंबद का डिजाइन, गुंबद के पास बनी पीले शेरों की आकृतियां और खिड़कियों का आकार तक एक जैसा है.

क्या कहना है कैला देवी मंदिर प्रशासन का?  

हमने वायरल फोटो कैला देवी मंदिर, करौली के एक अधिकारी चंद्रकांत को भेजी. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि ये फोटो कैला देवी मंदिर की ही है, हालांकि ये काफी पुरानी है. साथ ही, उन्होंने ये भी कहा कि इस फोटो का हालिया करौली हिंसा से कुछ लेना-देना नहीं है. हटवाड़ा नाम के जिस मुस्लिम बहुल इलाके की मस्जिद के पास ये विवाद हुआ था, उससे कैला देवी मंदिर की दूरी तकरीबन 25 किलोमीटर है.

मस्जिद में झंडा फहराने की बात अफवाह है: बजरंग दल

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हमने इस तस्वीर के बारे में बजरंग दल का पक्ष जानने के लिए बजरंग दल करौली के जिला संयोजक रजनीश शर्मा से संपर्क किया. रजनीश ने हमें बताया कि ये बात पूरी तरह झूठ है. वो कहते हैं, “2 अप्रैल की घटना के तुरंत बाद ही इलाके में कर्फ्यू लग गया था. 500-600 पुलिसवाले लगातार पहरा दे रहे थे. फिर भला हम कैसे मस्जिद में भगवा झंडा फहराएंगे?”  

जाहिर है, कैला देवी मंदिर की एक पुरानी फोटो को हालिया करौली हिंसा से जोड़कर भ्रम फैलाया जा रहा है.

(इनपुट: गोपाल लाल माली)

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