नीतीश कुमार ने 9 अगस्त को बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ कर बिहार के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब वो महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे.
इसी बीच सोशल मीडिया पर जेडीयू के पटना ऑफिस के बाहर लगे कथित पोस्टर की फोटो वायरल हो गई जिस पर नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ लिखा है, ‘नीतीश सबके हैं’.
दरअसल ये एक पुरानी फोटो है जो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त वायरल हुई थी. नीतीश के इस्तीफे के बाद बहुत सारे लोग इस फोटो को मीम के तौर पर पोस्ट करते हुए नीतीश कुमार पर तंज कसने लगे. लेकिन, इस फोटो को लेकर भ्रम की स्थिति तब पैदा हो गई जब कई सारे न्यूज आउटलेट्स ने इसे जेडीयू के पटना ऑफिस के बाहर का हालिया फोटो बताकर शेयर कर दिया.
मिसाल के तौर पर, ‘एएनआई’ न्यूज एजेंसी ने इसे ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा, “नीतीश कुमार के बीजेपी को छोड़कर आरजेडी संग गठबंधन करने के बाद जेडीयू के पटना हेडक्वार्टर में नजर आया ‘नीतीश सबके हैं’ स्लोगन वाला पोस्टर.” एएनआई ने बाद में इस ट्वीट को डिलीट कर दिया.
इसी तरह ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘ईटीवी भारत’ जैसे न्यूज आउटलेट्स ने भी इसे जेडीयू के पटना ऑफिस के बाहर की हालिया फोटो बताकर पोस्ट किया.
इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि ये पोस्टर साल 2020 में बिहार विधानसभा से पहले जेडीयू के पटना ऑफिस के बाहर लगाया गया था. जेडीयू के प्रवक्ता निखिल मंडल ने ‘आजतक’ से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है. साथ ही, हमारे एसोसिएट सीनियर कैमरामैन संजय कुमार ने जेडीयू के पटना ऑफिस जाकर खुद इस बात की तस्दीक की कि 9 अगस्त तक वहां ‘नीतीश सबके हैं’ स्लोगन वाला कोई पोस्टर नहीं लगा था.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल फोटो को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें ‘आजतक’ की एंकर चित्रा त्रिपाठी के 6 अक्टूबर, 2020 के एक ट्वीट में मिली.
इस फोटो की तुलना वायरल फोटो से करने पर साफ हो जाता है कि दोनों एक ही हैं.
इससे मिलती जुलती तस्वीरें हमें ‘हिन्दुस्तान’ और ‘टीवी नाइन भारतवर्ष’ की साल 2020 की रिपोर्ट्स में मिलीं.
इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ये पोस्टर बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लगाया गया था. आपको याद होगा कि साल 2020 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई थी.
‘एबीपी न्यूज’ की साल 2020 की एक वीडियो रिपोर्ट में भी जेडीयू ऑफिस के बाहर ये पोस्टर लगाए जाने के बारे में विस्तार से बताया गया है.
क्या जेडीयू ऑफिस के बाहर अभी भी ये पोस्टर लगा है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने ‘आजतक’ के एसोसिएट सीनियर कैमरामैन संजय कुमार से संपर्क किया जो उस वक्त बिहार में मौजूद थे. संजय ने 9 अगस्त को जेडीयू पार्टी के ऑफिस जाकर वहां का मुआयना किया और हमें बताया कि वहां वर्तमान में ‘नीतीश सबके हैं’ स्लोगन वाला कोई पोस्टर नहीं लगा है. उन्होंने हमें जेडीयू ऑफिस के ठीक उसी स्थान की तस्वीरें और वीडियो भेजे जो वायरल फोटो में नजर आ रहा है. इनमें देखा जा सकता है कि वहां दूसरे स्लोगंस वाले पोस्टर लगे हैं.
हमने बिहार के कुछ दूसरे पत्रकारों से भी इस बारे में बात की. उनका भी यही कहना था कि जेडीयू ऑफिस में ‘नीतीश सबके हैं’ स्लोगन वाला कोई पोस्टर नहीं लगा है.
हमने इस बारे में जानकारी के लिए जेडीयू के प्रवक्ता निखिल मंडल से संपर्क किया. उन्होंने भी हमें यही बताया कि ये पोस्टर बहुत पहले जेडीयू के पटना ऑफिस से हटाया जा चुका है और वर्तमान में इस स्लोगन वाला कोई पोस्टर वहां नहीं लगा है.
नीतीश कुमार ने कब-कब बदला पाला?
1977 में लालू और नीतीश दोनों ने ही जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इसके बाद साल 1985 में नीतीश पहली बार विधायक बने. साल 1989 में उन्होंने विपक्ष के नेता के तौर पर लालू यादव का सर्मथन किया था. 1990 में जनता पार्टी ने बिहार में बहुमत हासिल किया था. लेकिन समय के साथ लालू और नीतीश के रिश्ते में खटास आ गई.
1994 में नीतीश, लालू का साथ छोड़कर जॉर्ज फर्नांडीज के साथ आ गए और उनके साथ मिलकर समता पार्टी बनाई.
इसके बाद साल 1996 में उन्होने बीजेपी के साथ गठबंधन किया.
साल 2000 में नीतीश बीजेपी के साथ गठबंधन करके पहली बार बिहार के सीएम बने. बीजेपी के साथ उनका गठबंधन साल 2013 तक चला जिस दौरान नीतीश अलग-अलग विभागों के केंद्रीय मंत्री रहे.
फिर 2015 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होने लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के साथ गठबंधन किया और सत्ता में आए. ये गठबंधन भी ज्यादा समय तक नहीं चला और साल 2017 में इसे तोड़ कर नीतीश दोबारा एनडीए में शामिल हो गए. साल 2020 में उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और फिर से मुख्यमंत्री बने. अब एनडीए से अपनी साझेदारी तोड़ कर नीतीश एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल के साथ जुड़ गए हैं.
( इनपुट:यश मित्तल )