दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर तमाम वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं. इसी बीच एक और तस्वीर शेयर की जा रही है जिसमें एक पुलिसकर्मी एक बच्चे को लाठी मारने की मुद्रा में दिख रहा है. इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि कैसे दिल्ली पुलिस आतंकवाद से निपटती है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा झूठा है. यह फोटो 10 साल पुरानी है और बांग्लादेश के ढाका की है.
फेसबुक यूजर Anil Kumar Yadav ने इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए इसके साथ हिंदी में कैप्शन लिखकर तंज किया है, “बहुत बड़े आतंकी को पीटते हुए दिल्ली पुलिस.” स्टोरी लिखे जाने तक इस भ्रामक पोस्ट को 29000 से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं और 1300 से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
कई अन्य फेसबुक और ट्विटर यूजर्स ने इसी तस्वीर को वही गलत दावे के साथ शेयर किया है.
एक साधारण रिवर्स सर्च से ही इस वायरल तस्वीर का सच सामने आ गया. इस तस्वीर को The Guardian के एक लेख में 2010 में इस्तेमाल किया गया था. गार्जियन में इस तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा गया है, “ढाका में गारमेंट्स वर्कर से झड़प के दौरान एक बच्चे को मारती बांग्लादेशी पुलिस.”
यह तस्वीर तब ली गई थी जब ढाका में टैक्सटाइल वर्कर कम वेतन और कामगारों की बदतर स्थितियों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया था, आंसू गैस के गोले छोड़े थे और वॉटर कैनन का भी इस्तेमाल किया था. उस समय पुलिस और प्रदर्शनकारियों की इस झड़प में कई बच्चे भी फंस गए थे.
हमें यह तस्वीर Getty Images पर भी मिली. वहां भी इस तस्वीर के बारे में यही सूचना दी गई है. यह तस्वीर 30 जून, 2010 को खींची गई थी.
इस तरह पड़ताल में साफ हुआ कि यह तस्वीर 10 साल पुरानी है और बांग्लादेश के ढाका की है. दिल्ली में हुई हिंसा से इसका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है.