ठेले पर सब्जी बेच रहे एक आदमी की फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. इसमें गौर करने वाली बात ये है कि खीरा-ककड़ी बेच रहे इस सब्जी वाले ने ठेले पर एक तख्ती लगा रखी है. तख्ती पर लिखा है, “इस सब्जी में न तो थूक लगा है न ही गटर के पानी से धुली है, क्योंकि मैं सनातनी हूँ, यह काम हम नहीं करते हैं. जय श्री राम. आपका:रामलाल”.
इस पोस्ट के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से ये कहने की कोशिश की गई है कि मुस्लिम सब्जीवाले थूक लगी और गटर के पानी में धुली सब्जी बेचते हैं. हालांकि ये बात फोटो के कैप्शन में स्पष्ट तौर पर नहीं लिखी है.
वायरल पोस्ट्स पर प्रतिक्रिया देने वाले कई लोग भी इसे सांप्रदायिक एंगल दे रहे हैं. लोग ‘रामलाल’ की तारीफ कर रहे हैं कि उसने अपने ठेले पर ये बोर्ड लगाकर अच्छा काम किया. फेसबुक और ट्विटर पर ये पोस्ट काफी वायरल हो रहा है.
दरअसल, सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसा दावा करते हैं कि मुस्लिम सब्जीवाले या खाना बनाने वाले खाने-पीने की चीजों में थूकते हैं. ऐसे दावे तब और शेयर किए जाने लगे जब ऐसे कुछ मामले सामने आए जिनमें कुछ मुस्लिम रसोइयों पर खाने में थूक का इस्तेमाल करने के आरोप लगे. 2020 में महाराष्ट्र का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें एक सब्जीवाले को नाले के गंदे पानी से सब्जी निकालते हुए देखा गया. खबरों में व्यक्ति का नाम हसीम अंसारी बताया गया था. इसी संदर्भ में फोटो के जरिए मुस्लिमों पर तंज कसा गया है. लेकिन आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल फोटो एडिटेड है. असली फोटो में ठेले पर लगी तख्ती पर मुस्लिम समुदाय का सर्मथन करने वाली बात लिखी है.
कैसे पता की सच्चाई?
फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर हमें इसी के जैसी एक दूसरी फोटो मिली. लेकिन इस फोटो में ठेले पर लगी तख्ती पर लिखा है, “मैं हिन्दू मजदूर हूँ मुझे मुस्लिमों के इलाके में फल सब्जी बेचने पर कोई रोक टोक नहीं है क्योंकि मैं इंसानों के बीच सेफ हूँ”. इस फोटो को अप्रैल 2022 में मोहम्मद वसीम नाम के एक कांग्रेस नेता ने शेयर किया था.
वायरल फोटो में दिख रही तख्ती पर लिखे टेक्स्ट को सर्च करने पर पता चला कि ये फोटो अप्रैल 2020 से ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. 15 अप्रैल, 2020 और इसके बाद भी तमाम लोगों ने फेसबुक पर इस तस्वीर को शेयर किया था.
कुछ लोगों ने लिखा था कि ये दिल्ली के सीलमपुर इलाके की फोटो है. उस समय इस फोटो के साथ कुछ अन्य तस्वीरें भी वायरल हुई थीं. इनमें भी कुछ अन्य सब्जी वालों के ठेलों पर मुस्लिमों के सर्मथन वाली ये तख्ती लगी देखी जा सकती है.
इन तस्वीरों को दानिश सिद्दीकी नाम के एक व्यक्ति ने 15 अप्रैल, 2020 को शेयर किया था. दानिश उन लोगों में से थे जिन्होंने इन तस्वीरों को सबसे पहले शेयर किया था.
दानिश ने लिखा था कि “ये सीलमपुर में प्यार भाईचारे की जिंदा मिसाल है. खुद रेहड़ी वालों ने आ कर हम से ये मैसेज लगाने की गुजारिश की और उन लोगो के मुंह पर जोरदार तमाचा दिया जो हिन्दू मुस्लिम के बीच नफरत की आग भड़काना चाहते है. मजहब नही सीखता आपस मे बेर रखना,, हिंदी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारे”.
दानिश, सीलमपुर से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता हैं. फोटो के बारे और जानने के लिए हमने दानिश से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया कि ये सीलमपुर के चौहान बांगर इलाके की गली नंबर तीन की तस्वीरें हैं. दानिश ने इस संबंध में हमारी बात इसी गली में रहने वाले एक व्यक्ति मोहम्मद नजीब से करवाई.
नजीब ने हमें इन तस्वीरों की पूरी कहानी बताई और वायरल तस्वीर को फर्जी बताया. नजीब का कहना था कि जिस समय की ये तस्वीरें हैं उस समय उनके आसपास के इलाकों में हिंदू-मुस्लिमों के बीच माहौल तनावपूर्ण बना हुआ था. क्योंकि फरवरी 2020 में दिल्ली के इन्हीं इलाको में दंगे हुए थे और फिर मार्च में कोराना फैलने के बाद तब्लीगी जमात वाला मामला सामने आया था. इसमें जमात के लोगों पर संक्रमण फैलाने के आरोप लगे थे.
नजीब ने आगे बताया कि इन्हीं कारणों से ऐसी बातें सुनने को मिल रहीं थी कि हिंदू और मुस्लिम, एक-दूसरे के समुदाय के सब्जी बेचने वालों के साथ भेदभाव कर रहे हैं. उन्हें अपने इलाकों में घुसने नहीं दे रहे. इसी को देखते हुए उनकी गली में आने वाले इन सब्जीवालों ने भाईचारे की मिसाल पेश करने के लिए अपने ठेलों पर ये मैसेज वाली तख्ती लगाई थी.
नजीब का कहना है कि ये सब्जीवाले अभी भी उनकी गली में आते हैं. उनके मुताबिक, ये तस्वीरें उस समय इसी गली में रहने वाले शादाब हसन नाम के शख्स ने ली थीं. नजीब ने हमें शादाब के फेसबुक प्रोफाइल का लिंक भी भेजा. शादाब ने ये तस्वीरें 15 अप्रैल, 2020 को पोस्ट की थीं. ऐसी ही एक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है.
हमारी शादाब से बात तो नहीं हो पाई लेकिन यहां ये बात साफ हो जाती है कि वायरल फोटो फर्जी है. इसे एडिट करके मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधा जा रहा है.