मौजूदा वक्त में कश्मीर के किसी वीडियो का आंखें मूंदकर भरोसा मत कीजिये, कश्मीर घाटी में चल रहे तनाव के चलते इन दिनों तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों की भरमार है.
दावा – कश्मीर का वीडियो
फेसबुक यूजर मुदस्सिर जमील ने 23 अगस्त 19 को एक वीडियो पोस्ट किया और दावा किया कि ये घटना कश्मीर की है. इस वीडियो में कुछ लोग अपने चेहरे छिपाकर हाथों में हथियार और लाठियां लिए दिख रहे हैं. ये लोग महिलाओं और बच्चों पर हमला कर रहे हैं और एक घर में तोड़फोड़ कर रहे हैं.
उनकी टीशर्ट पर लिखा “पुलिस” साफतौर पर देखा जा सकता है. फेसबुक यूजर मुदस्सिर जमील ने लिखा-
“#कश्मीर
हजारों कश्मीरी शहीद हो गए, हम साथ खड़े हैं.
कश्मीरी बच्चे यतीम हो गए, हम साथ खड़े हैं.
इज्जत पामाल हो गई, हम साथ खड़े हैं.
कश्मीर की बहन बेटियों का सौदा हो गया. हम साथ खड़े हैं.
हम ये पूछना चाहते हैं, हम जिंदा खड़े हैं या हम मुर्दा खड़े हैं ”
इस पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
सच्चाई क्या है?
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ( AFWA) ने पाया कि ये दावा भ्रामक है.
वायरल वीडियो कश्मीर का नहीं, बल्कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत का है. पाकिस्तान के सिंध पुलिस के मुताबिक उन्हें बदनाम करने के लिए ये फर्जी वीडियो बनाया गया.
संदिग्ध वीडियो
इस वीडियो को फेसबुक पर खबर लिखे जाने तक 6 हजार से ज्यादा बार साझा किया जा चुका था. ज्यादातर लोग इस वीडियो को कश्मीर का मानते हैं और पुलिस की ज्यादतियों पर हैरान हैं. लेकिन कई लोगों ने इस वीडियो पर सवाल उठाए हैं और कह रहे हैं कि हमलावर पुलिसवालों की एक्टिंग कर रहे हैं, असली पुलिसवाले नहीं हैं.
दरअसल ध्यान से देखने पर पता चलता है कि तथाकथित पुलिसवालों का व्यवहार बचकाना दिखता है. कई लोगों ने कमेंट में इसे पाकिस्तान के पुलिसवाले बताया है.
सच्चाई क्या है?
कीवर्ड के जरिए जब हमने खोज कि तो हमें ऐसा ही वीडियो YouTube पर मिला जो 6 मई 2019 को अपलोड किया गया था. इसमें लिखा था “सिंध पुलिस ने बेगुनाह औरतों पर हमला किया. पाकिस्तान.”
यही वीडियो एक और यूट्यूब यूजर “Earth Sagar ” ने भी 5 मई को पोस्ट किया था. चूंकि पुलिस की कार्रवाई पहली नजर में फर्जी दिख रही थी, इसलिए हमने इस वीडियो की और पड़ताल की. हमने उर्दू में कीवर्ड के जरिए इस वीडियो को ढूंढा - “سندھ پولیس اہکاروں کا عورتوں پر تشدد.”
इसके भी नतीजे सामने आ गए. फेसबुक यूजर “English Pathan” ने भी यही वीडियो May 6, 2019 को पोस्ट किया था जिसके साथ कुछ उर्दू में लिखा था. उर्दू में लिखी इस पोस्ट का अनुवाद करने पर पता चला कि वायरल वीडियो फर्जी है और ये पाक के सिंध के जमशोरो पुलिस के खिलाफ प्रचार का हिस्सा है.
अब हमने जमशोरो +वायरल वीडियो सर्च किया तो हमें सिंध पुलिस का एक ट्वीट मिला जो 11 मई 2019 को पोस्ट किया गया था.
इसमें पाकिस्तानी न्यूज चैनल “Aap news” की क्लिप पोस्ट की गई थी, जिसमें साफ तौर पर लिखा गया कि वीडियो में जो लोग पुलिस की वर्दी में दिख रहे हैं, वो फर्जी हैं और उन्होंने किसी घर पर छापा नहीं मारा. ये सिर्फ सिंध पुलिस और जमशोरो पुलिस को बदनाम करने के लिए तैयार किया गया है.
“Aap news” ने ये वायरल वीडियो दिखाया और उस रिपोर्ट में सारी सच्चाई बताई.
निष्कर्ष
पाकिस्तान के अखबार “Dawn ” ने भी 12 मई 2019 को एक पूरी रिपोर्ट छापी थी, जिसमें पूरी बात लिखी गई थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक 4 पुलिसवाले और एक नागरिक को फर्जी वीडियो पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक सिंध के जमशोरो के एसएसपी तौकिर मोहम्मद नईम ने भान सैदाबाद पुलिस स्टेशन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी पुष्टि की थी.
वीडियो में यूनिफॉर्म पहने चार लोग असली पुलिसवाले ही निकले, जबकि चार अन्य फर्जी थे. इसलिए ये कहा जा सकता है कि इस वीडियो का कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है.