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फैक्ट चेक: कचरा जलाने के खिलाफ आवाज उठाते इन लोगों का महाकुंभ से नहीं है कोई लेना-देना

प्रयागराज महाकुंभ में आग की घटनाओं के बीच एक वायरल वीडियो से फैले भ्रम का पर्दाफाश हुआ है. यह वीडियो मध्य प्रदेश का है, जहां यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विरोध में प्रदर्शन हुआ था. जांच से साफ हुआ कि इसे महाकुंभ से जोड़कर गलत जानकारी फैलाई जा रही है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये वीडियो महाकुंभ का है, जहां नगर निगम के इन कर्मचारियों ने कचरा जलाने से मना कर दिया क्योंकि उसमें लाशें पड़ीं थी. पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया है.
सच्चाई
ये मध्य प्रदेश का वीडियो है, जहां 3 जनवरी, 2025 को ये लोग भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से आए जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
संजना सक्सेना
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में 7 फरवरी को एक बार फिर से आग लग गई, जिस पर जल्द ही काबू पा लिया गया और कोई जनहानि नहीं हुई. 29 जनवरी को हुई भगदड़ के बाद से अब तक कुंभ में आग लगने की ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं.  

इस बीच महाकुंभ से जोड़ते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया है जिसमें कुछ पुलिसकर्मी दो लोगों को अपने वाहन में बिठाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इन दोनों आदमियों के चेहरे और हाथ देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे वो आग से झुलस गए हों. जब इनसे एक शख्स पूछता है कि वो क्या चाहते हैं, तो दोनों कहते हैं, “कचरा नहीं जलेगा, कचरा नहीं जलेगा.”  

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वीडियो शेयर करने वाले कई लोगों का कहना है कि ये नगर निगम के कर्मचारी हैं, जिन्हें महाकुंभ में भगदड़ के दौरान कचरा जलाने को कहा गया था. लेकिन इन्हें  कचरे में एक लाश नजर आई, जिस वजह से उन्होंने कचरा जलाने से मना कर दिया और फिर पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया.  

फेसबुक पर ये वीडियो शेयर करते हुए एक शख्स ने लिखा, “ब्रेकिंग न्यूज. सोचो इस दोनों को पुलिस प्रशासन गिरफ्तार क्यों किया इन्हें कचरा जलाने को बोला गया और ये लोग कचरा जलाने से मना कर दिया क्योंकि कचरे में लोगों की लाशें पडी़ है. लावारिस योगी सरकार श्रध्दालुओं के लाशें भी नहीं देना चाहते हैं योगीजी परिवार को जिंदा या मुर्दा दे.”  

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि इस वीडियो का महाकुंभ से कोई लेना-देना नहीं है. ये मध्य प्रदेश का वीडियो है, जहां 3 जनवरी, 2025 को ये लोग भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से आए जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. 

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कैसे पता लगाई सच्चाई?

वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें 3 जनवरी, 2025 का एक यूट्यूब वीडियो मिला. इसमें वायरल वीडियो शेयर करते हुए बताया गया है कि ये वीडियो पीथमपुर का है. पीथमपुर, मध्य प्रदेश के धार जिले में है.  

साथ ही, वीडियो में पुलिस की गाड़ी की नंबर प्लेट भी दिखाई दे रही है, जिसपर ‘MP 03’ लिखा है. यानि, ये गाड़ी मध्य प्रदेश की है, उत्तर प्रदेश की नहीं.  

इसके बाद हमें इस घटना से जुड़ी कई खबरें मिलीं. इनके मुताबिक भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के कचरे को पीथमपुर में जलाए जाने के विरोध में स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान पीथमपुर के रहने वाले राजू पटेल और राजकुमार रघुवंशी नाम के दो प्रदर्शनकारियों ने आत्मदाह करने की कोशिश की, जिसके बाद उन्हें इंदौर के अस्पताल में भर्ती कराया गया. मौके पर हालात बिगड़ने से पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया.  

दरअसल, किसान नेता संदीप रघुवंशी यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने के खिलाफ 2 जनवरी, 2025 को आमरण अनशन पर बैठे थे. उनके समर्थन में  3 जनवरी, 2025 को बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और सड़कें जाम करने की कोशिश की. इस दौरान दो प्रदर्शनकारियों ने खुद पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली. इस घटना के बाद एमपी के सीएम मोहन यादव ने उस वक्त एक बैठक भी की थी.   

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क्या है पूरा मामला?

बता दें कि साल 1984 में भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए और हजारों लोग अपंग हो गए थे. इस त्रासदी के 40 साल बाद भी सरकार इस कारखाने में इकट्ठा जहरीले कचरे से निपट नहीं पाई. हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर, 2024 को सरकार को चेतावनी देते हुए 4 हफ्ते के भीतर कचरा हटाने का आदेश दिया था. 

इसके बाद, 2 जनवरी, 2025 को यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा पीथमपुर पहुंचा दिया गया. लेकिन, स्थानीय लोग कचरे को जलाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे. वहां के कार्यकर्ताओं का कहना है कि साल 2015 में भी पीथमपुर में परीक्षण के तौर पर यूनियन कार्बाइड का 10 टन कचरा नष्ट किया गया था, जिसके बाद आस-पास के गांवों की मिट्टी और पानी प्रदूषित हो गया था. 

साफ है, मध्य प्रदेश में 3 जनवरी, 2025 को हुई एक घटना को महाकुंभ से जोड़कर लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है. 

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