सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो की मानें तो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 153(A), 295, 295(A) और 298 के तहत रावण का पुलता जलाने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो में किया गया दावा गलत है. इसमें बताई गई आईपीसी की धाराएं किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने से संबंधित नहीं हैं.
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. डीएनएम न्यूज नामक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए करीब 18 मिनट के वीडियो में एक टीवी एंकर रावण के पुतले के दहन पर अपने विचार रखता नजर आता है. खबर लिखे जाने तक इस वीडियो को 91000 से ज्यादा बार देखा जा चुका था.
यह दावा फेसबुक पर भी काफी वायरल है जिसके कैप्शन में लिखा गया है, 'रावण के पुतला दहन करने वालों के खिलाफ होगी I.P.C की धारा 153(अ) 295, 295(अ) एवं 298 के तहत F.I.R दर्ज.'
डीएनएम न्यूज के इस वीडियो के शुरुआत में एंकर अपना नाम पी के ए भारतीय बताता है. वीडियो में अपने विचार रखते हुए वह आईपीसी की धारा 153(अ)295, 295(अ) एवं 298 का हवाला देता है. वह दर्शकों को चेतावनी देता है, 'अगर आप रावण का पुतला दहन करते हैं तो आप पर आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है, एफआईआर दर्ज हो सकती है, आप जेल जा सकते हैं.'
हमने एंकर भारतीय से संपर्क कर उनके दावे का आधार पूछा, लेकिन वो इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके.
दिल्ली पुलिस देती है दहन की अनुमति
हमें दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर रावण दहन की अनुमति के लिए पूरी प्रक्रिया का ब्योरा मिला. यह प्रक्रिया राम लीला, रावण दहन, दुर्गा पूजा, मेले आदि के लिए है. दिल्ली पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक, इस साल भी दशहरे पर रावण दहन के लिए 31 अगस्त तक आवेदन स्वीकार किए गए.
अगर रावण दहन गैरकानूनी होता तो दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर इसके लिए अनुमति की प्रक्रिया नहीं दी गई होती. यह बात साफ है कि रावण दहन करना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इसके लिए पुलिस व स्थानीय प्रशासन की पहले से अनुमति लेना कानूनन जरूरी है.
क्या कहती हैं आईपीसी की धाराएं
वायरल वीडियो में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153(अ) , 295(अ) और 298 का जिक्र किया गया है. यह सभी धाराएं धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर दंड से संबंधित हैं. इनमें से किसी भी धारा में यह नहीं लिखा गया है कि रावण का पुतला जलाने पर एफआईआर या आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है याचिका
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक याचिका को खारिज किया था , जिसमें रावण के पुतले को जलाने पर बैन की मांग की गई थी. यह याचिका हरियाणा के जर्नलिस्ट आनंद प्रकाश शर्मा ने लगाई थी, जिस पर उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 25 हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देता है.
वहीं मद्रास हाई कोर्ट भी एक मामले में यह स्पष्ट कर चुका है कि आईपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं दिया गया है, जिसके तहत पुतला जलाने को दंडनीय अपराध माना जाए.
क्या सरकार बनाएगी रावण दहन को लेकर नीति?
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में केंद्र व राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार को दशहरे पर रावण दहन के लिए नीति तैयार करने को कहा था, लेकिन यह मामला कोर्ट में लंबित है.