क्या ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते व महंगाई राहत पर रोक लगा दी है? सोशल मीडिया पर कुछ लोग एक कथित सरकारी नोटिस शेयर करते हुए ऐसा ही दावा कर रहे हैं.
इस कथित नोटिस में ये भी लिखा है कि ये कदम इसलिए उठाया जा रहा है, ताकि अगर ओमिक्रॉन वैरिएंट के चलते कोई अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो जाए, तो उससे निपटा जा सके.
फेसबुक पर ये नोटिस काफी वायरल है.
एक यूजर ने इसे पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा, “मोदीजी हमारा आलावेंस काट रहे हैं. फिर कैसे सोचते हैं हम लोग बीजेपी को वोट देंगे? नो, नेवर. सरकारी नौकरी वाला कोई नहीं देगा बीजेपी को वोट.”
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वित्त मंत्रालय के नाम पर सोशल मीडिया में वायरल ये नोटिस फर्जी है. सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते व महंगाई राहत पर रोक लगाने जैसा कोई आदेश नहीं दिया है.
जहां कई लोग इस नोटिस को फर्जी बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे सच मानते हुए सरकार को कोस रहे हैं.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
फाइनेंस मिनिस्ट्री की आधिकारिक वेबसाइट या सोशल मीडिया हैंडल पर हमें इस तरह का कोई नोटिस नहीं मिला, जिसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से महंगाई भत्ते और महंगाई राहत पर रोक लगाने की बात लिखी हो. न ही इससे संबंधित कोई मीडिया रिपोर्ट मिली. जाहिर है कि अगर मंत्रालय ने इस तरह का कोई आदेश जारी किया होता, तो इसे लेकर सभी जगह खबर छपी होतीं.
इस नोटिस के अंत में ‘आनंद प्रकाश एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, फाइनेंस (बजट)’ के हस्ताक्षर हैं. लेकिन, फाइनेंस मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर हमें इस नाम और पद वाले किसी व्यक्ति का ब्योरा नहीं मिला.
हमें भारतीय रेलवे की वेबसाइट पर एक नोटिस जरूर मिला, जिसमें ‘आनंद प्रकाश एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, फाइनेंस (बजट), रेलवे बोर्ड’ को ‘एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, फाइनेंस (आरएम), रेलवे बोर्ड’ की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपे जाने की बात लिखी है.
साथ ही, हमें नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के अकाउंट्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर भी एक नोटिस मिला, जिसके अंत में ‘आनंद प्रकाश एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, फाइनेंस (बजट)’ के हस्ताक्षर हैं. ये हस्ताक्षर वायरल नोटिस वाले हस्ताक्षर से काफी मिलता है. यानी, इस बात की काफी संभावना है कि एक फर्जी नोटिस बनाकर उसके नीचे रेलवे अधिकारी आनंद प्रकाश का नाम लिखकर उनके हस्ताक्षर बना दिए गए हों.
प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो ने भी इस नोटिस को फर्जी बताया है.
साफ तौर पर, किसी एडिटिंग सॉफ्टवेयर से बनाई गई एक फर्जी नोटिस के जरिये महंगाई भत्ते व महंगाई राहत पर रोक लगने का झूठा दावा किया जा रहा है.