हाथरस और बलरामपुर के बाद 1 अक्टूबर 2020 को भदोही में एक लड़की के साथ बर्बरता और हत्या का मामला सामने आया है. हाल ही में जारी ‘नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो’ (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल महिलाओं से बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश देश में दूसरे नंबर का राज्य साबित हुआ. 2019 में बलात्कार के सबसे ज्यादा 6,000 मामले राजस्थान में और उसके बाद 3,065 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए.
दिल दहलाने वाली इन घटनाओं के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक कथित बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है कि “हमारा काम गाय बचाना है, लड़की बचाना नहीं”. इस खबर ने लोगों को सकते में डाल दिया है. योगी आदित्यनाथ के इस बयान को सही साबित करने के लिए लोग एक अखबार में छपी खबर की कतरन और एक वेबसाइट के लेख का स्क्रीनशॉट भी शेयर कर रहे हैं.
वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि यह दावा पूरी तरह बेबुनियाद है. योगी आदित्यनाथ ने कभी ऐसा नहीं कहा कि उनका काम गाय बचाना है, लड़की बचाना नहीं. दो साल पहले एक व्यंग्य वेबसाइट ने योगी आदित्यनाथ के नाम से इस काल्पनिक बयान के आधार पर एक व्यंग्य लेख छापा था, जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
वायरल पोस्ट में चार अलग-अलग फोटोज का एक कोलाज है. इसमें एक वेबसाइट के लेख का स्क्रीनशॉट, एक अखबार में छपी खबर की फोटो, गन्ने के खेत में खड़ी एक लड़की की फोटो और योगी आदित्यनाथ की फोटो है.
इस तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा है, “तुम्हारी नजर में होगी वो दलित लड़की मेरे लिए सिर्फ भारत की एक बेटी है, जिसे इंसाफ मिलना चाहिए. #justice4manishavalmiki.”
यह दावा फेसबुक पर काफी वायरल है. ट्विटर पर भी बहुत सारे लोग इसे शेयर कर रहे हैं.
दावे की पड़ताल
हमने पाया कि योगी आदित्यनाथ का यह काल्पनिक बयान साल 2018 से ही सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है और एक बार फिर वायरल हो गया है.
वायरल पोस्ट में वेबसाइट की खबर का जो स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है, वह एक व्यंग्य वेबसाइट से लिया गया है. खबर की हेडिंग को कीवर्ड सर्च के जरिये खोजने से हमें इस वेबसाइट की खबर का आर्काइव मिल गया. इस खबर में योगी आदित्यनाथ के विवादास्पद बयान से जुड़ी खबर को मजाकिया लहजे में लिखते हुए तंज कसा गया है. ‘गौ-रक्षा’ को ‘गौ-रक्सा’ लिखा है.
इस वेबसाइट के ‘अबाउट अस’ सेक्शन में साफ लिखा है, “रह्यूमर टाइम्स एक व्यंग्यात्मक वेबसाइट है जो वास्तविक मुद्दों पर काल्पनिक खबर बनाकर व्यंग्य और हास्य के रूप में पेश करती है. रह्यूमर टाइम्स पर पोस्ट की गई कोई भी खबर वास्तविक नहीं होती है. कृपया इसे सच न मानें. रह्यूमर टाइम्स की खबरें उतनी ही सच्ची होती हैं जितने नेताओं के चुनावी वादे.”
अखबारी कटिंग की हकीकत
पोस्ट में एक अखबार में छपी खबर भी शेयर हो रही है जिसका शीर्षक है, “योगी आदित्यनाथ का फिर गैर-जिम्मेदाराना बयान, कहा हमारा काम गाय बचाना है, लड़की नहीं”. इस पोस्ट में हेडलाइन के नीचे लिखी खबर साफ दिखाई नहीं दे रही है. हमें फेसबुक की एक अन्य पोस्ट मिली जिसमें यह खबर साफ दिखाई दे रही है. यहां इस खबर में स्पष्ट लिखा है कि दैनिक मूलनिवासी नायक नामक अखबार के संवाददाता ने यूट्यूब पर वायरल एक वीडियो और सोशल मीडिया की जानकारी के आधार पर यह खबर लिखी न कि किसी विश्वसनीय सूत्र के हवाले से. साथ ही, इस खबर में थोड़े-बहुत बदलाव के साथ काफी हद तक वही वाक्य लिखे हैं, जो ‘रह्यूमर टाइम्स’ की खबर में लिखे हैं.
वायरल पोस्ट में जिस लड़की की फोटो बतौर हाथरस पीड़िता शेयर की जा रही है, वह दरअसल चंडीगढ़ की मनीषा यादव है, जिसकी 22 जुलाई 2018 को एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. ‘आजतक’ ने इस खबर की भी सच्चाई बताई थी.
इससे पहले भी कई वेबसाइट्स इस खबर की हकीकत बता चुकी हैं.
पड़ताल से साफ है कि योगी आदित्यनाथ यह बयान कि उनका काम गाय बचाना है, लड़की बचाना नहीं - पूरी तरह काल्पनिक है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है.