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फैक्ट चेक: क्या कोरोनावायरस नियंत्रित करने के लिए सुअरों को जिंदा जला रही चीन सरकार?

वायरल हो रहे वीडियो को पोस्ट कर फे​सबुक यूजर ने दावा किया है कि बीमारी फैलने से रोकने के लिए चीन सरकार सुअरों को नष्ट कर रही है. यह कोरोना हो सकता है या कोई अन्य रोग.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
चीन में कोरोनावायरस फैलने से रोकने के लिए सुअरों को जिंदा जलाने का वीडियो.
सच्चाई
वायरल वीडियो करीब एक साल पुराना है और चीन में कोरोनावायरस से इसका कोई लेना देना नहीं है.
अमनप्रीत कौर
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 7:09 PM IST

सोशल मीडिया पर सुअरों को जिंदा जलाकर मारने का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि चीन की सरकार कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए ऐसे उपायों का सहारा ले रही है.

कई फे​सबुक यूजर इस वीडियो को इस दावे के साथ शेयर कर रहे हैं कि  'बीमारी फैलने से रोकने के लिए चीन सरकार सुअरों को नष्ट कर रही है. यह कोरोना हो सकता है या कोई अन्य रोग.'

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इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल वीडियो करीब एक साल पुराना है. यह वीडियो चीन में कोरोना वायरस के सामने आने से काफी पहले बनाया गया था.

तमाम फेसबुक यूजर्स जैसे 'Syed Mahmood Ahmed Hashmi ' ने इस वीडियो को पोस्ट किया है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां (http://archive.today/5Q3dm) देखा जा सकता है. 85 सेकेंड का यह वीडियो फेसबुक पर तेजी से वायरल (http://bit.ly/37SLaTD) हो रहा है.

वायरल वीडियो के साथ किए जा रहे इस दावे को जांचने के लिए इस वीडियो को हमने कीफ्रेम्स में काटा और उनमें से एक फ्रेम को रिवर्स सर्च किया. हमने पाया कि चीन में कोरोनावायरस फैलने के काफी पहले से ही यह वीडियो यूट्यूब पर मौजूद है. यह वीडियो 11 जनवरी, 2019 को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था, जिसका कैप्शन है, 'जिंदा सुअरों को जलाया और दफनाया जा रहा है.'

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हमें एक जार्जियन वेबसाइट 'Radio Marneuli '  पर प्रकाशित एक लेख मिला जिसमें इस वीडियो का स्क्रीन ग्रैब इस्तेमाल किया गया है. इस लेख में कहा गया है कि यह वीडियो चीन में शूट किया गया था और एक चीनी नागरिक ने 26 दिसंबर, 2018 को वेबसाइट के फेसबुक पेज पर यह वीडियो पोस्ट किया था.

दरअसल, चीन में 2018 में अफ्रीकी स्वाइन फीवर फैला था, जिसे रोकने के लिए चीन में हजारों सुअरों को मारा गया था. इस बारे में कई न्यूज वेबसाइट  ने खबरें भी प्रकाशित की थीं.

इस तरह पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल हो रहा वीडियो करीब एक साल पुराना है और चीन में सामने आए कोरोनावायरस से इसका कोई लेना-देना नहीं है.

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