सोशल मीडिया पर अमेठी में ईवीएम को लेकर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक ट्रक पर कई सारे ईवीएम हैं और वीडियो के साथ दावा किया गया है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अमेठी में ईवीएम की चोरी पकड़ी है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि अमेठी में हंगामा हुआ ज़रूर था लेकिन यहां ईवीएम के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी.
उत्तरप्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी चुनावी मैदान में आमने सामने हैं. यहां मतदान छह मई को हुआ था और सारे ईवीएम मनीषी महिला पीजी कॉलेज में बनाए गए स्ट्रांग रूम में रखे गए थे. अचानक आठ मई को कॉलेज परिसर से ईवीएम और वीवीपैट निकाले जाने पर खूब हंगामा हुआ था और इसी का वीडियो एक बार फिर वायरल हो रहा है.
20 मई को फेसबुक पेज ‘हितेश रासगां - बीएसपी’ ने एक वीडियो शेयर किया और पोस्ट में लिखा “#अमेठी में EVM की चोरी पकड़ी गई. स्ट्रांग रूम से निकालकर ट्रक में लाद कर ले जा रहे थे EVM #कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पकड़ा ट्रक.” इस पोस्ट को स्टोरी के लिखे जाने तक 23 हज़ार से ज्यादा लोगों ने शेयर किया है. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्ज़न यहां देखा जा सकता है.
यही वीडियो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का समर्थन करते एक फेसबुक पेज ‘ईशान मिल्की सोशल मीडिया’ ने भी सोमवार को इसी दावे के साथ शेयर किया. इस पोस्ट को स्टोरी के लिखे जाने तक 9,000 से ज्यादा लोगों ने शेयर किया है. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्ज़न यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रुम ने ईवीएम को लेकर अमेठी में हुए हंगामे की जानकारी के लिए इंटरनेट पर सर्च किया तो पाया कि 8 मई को वाकई मनीषी महिला पीजी कॉलेज के बाहर हंगामा हुआ था. दरअसल अमेठी में 6 मई को चुनाव हो गए थे और उसके बाद मनीषी महिला पीजी कॉलेज में बनाए गए स्ट्रांग रूम में ईवीएम मशीनों को रखा गया. वहीं 8 मई को अचानक यहां से कुछ ईवीएम निकाले जा रहे थे जिसे लेकर कुछ कांग्रेस नेताओं ने आपत्ति जताई थी. इस घटना के बारे में अखबार में छपी खबर यहां पढ़ी जा सकती है. खबर के अनुसार कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र कुछ समर्थकों के साथ मौके पर पहुंच गए थे और यहां पड़े ईवीएम मशीनों को ट्रक पर लादने से मना कर रहे थे. मिश्र के समर्थकों ने ही ये वीडियो भी बनाया था.
इस मुद्दे पर अमेठी के जिला अधिकारी ने भी 10 मई को ट्वीट कर सफाई दी थी और कहा था कि अमेठी में इस्तेमाल किए गए ईवीएम मशीनों को स्ट्रांग रूम से निकाले जाने के आरोप गलत हैं. जिला अधिकारी के ट्वीट में साफ लिखा है कि ये अतिरिक्त ईवीएम मशीनें थीं जो अमेठी के चुनाव में इस्तेमाल नहीं हुईं, उन्हें सुल्तानपुर भेजा जा रहा था.
दरअसल अमेठी के बगल में ही सुल्तानपुर है और यहां 12 मई को मतदान होना था जिसकी वजह से 8 मई को अमेठी के स्ट्रांग रूम से जो ईवीएम मशीनें इस्तेमाल नहीं हुई थीं, उन्हें निकाला गया था.
इंडिया टुडे ने कांग्रेस नेता योगेंद्र मिश्र से भी संपर्क किया और पूछा कि क्या वाकई अमेठी में बिना इस्तेमाल हुई ईवीएम मशीनों को अमेठी के स्ट्रांग रूम परिसर से निकाला गया था, तो उन्होंने भी कहा कि ये सच है. योगेंद्र मिश्र ने हमें बताया कि “हंगामा इस वजह से शुरू हुआ था क्योंकि हमें लगा था कि अमेठी में इस्तेमाल की हुई मशीनों को स्ट्रांग रूम से निकाला जा रहा है लेकिन हमने अमेठी लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल हुए ईवीएम के अंकों कि जांच की और देखा की स्ट्रांग रूम से निकाले हुए ईवीएम उससे अलग थे. ये ईवीएम स्ट्रांग रूम के बगल के कमरे से निकाले गए थे.” ज़ाहिर है कि अमेठी में ईवीएम को लेकर हुए हंगामे के शांत होने के बावजूद, सोशल मीडिया पर जिस तरह से वीडियो वायरल किया जा रहा उसका मकसद कुछ और है.